Prayagraj Kumbh: कड़ाके की ठंड में भी मुफ्त चाय नहीं पीना चाहते श्रद्धालु, जानें कारण...

Prayagraj Kumbh मेले में हर ओर आस्‍था और परंपरा का संगम दिख रहा है। स्नान घाटों की ओर श्रद्धालुओं का कारवां पहुंच रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 14 Jan 2019 11:50 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 09:17 AM (IST)
Prayagraj Kumbh: कड़ाके की ठंड में भी मुफ्त चाय नहीं पीना चाहते श्रद्धालु, जानें कारण...
Prayagraj Kumbh: कड़ाके की ठंड में भी मुफ्त चाय नहीं पीना चाहते श्रद्धालु, जानें कारण...

कुंभ नगर, गुरुदीप त्रिपाठी भइया, जिस-जिस को संगम जाना है, यहीं उतर जाए। सामने टेंपो खड़ी है हनुमान मंदिर तक पहुंचा देगी। बस दस कदम पर संगम है...

यह सुनते ही बस से तकरीबन तीस लोग नए यमुना पुल की दूसरी तरफ बांगड़ धर्मशाला के सामने उतरे और विक्रम की तरफ बढ़ चले। तभी रीवा से आए सुरेश ने अमित, राजेश और वैभव गौतम से कहा, इया दादू ठंड बहुत आय। चाय पी लान जाय तौ तनि देही में जान आई जाय फिर चली अपना नहाय। लेकिन बीच में ही 65 वर्षीय बुजुर्ग अवधेश नारायण दुबे ने बात काटते हुए कहा-नाहीं पहिले जौन काजे के निमित्त आइन अही, उ करबय फिरै चाय-वाय...। युवाओं की टोली बुजुर्ग की बात सुन ठिठक गई। मन मसोस कर सभी लोग बुजुर्ग अवधेश नारायण के पीछे संगम की ओर पैदल ही बढ़ चले।

हर ओर आस्था, विश्वास और सपर्पण
आस्था, विश्वास और समर्पण का यह भाव पतितपावनी की पावन प्रयागराज भूमि पर जगह-जगह देखने को मिल रहा है। आस्था से परिपूर्ण युवा-बुजुर्ग, महिलाओं-बच्चों की टोली बस, ट्रेन और निजी वाहनों से शहर पहुंच रही है। संगम की पावन रेती पर कदम रखने से पहले जहां युवा चाय, नाश्ते को तवज्जो दे रहे हैं, वहीं बुजुर्गों को संगम स्नान से पहले पानी भी पीेने से बच रहे हैं।

आस्था और लालसा ऐसी कि न ठंड की परवाह और न ही किसी साधन का इंतजार। हाथ में तिल, गुड़, चावल और कपड़ों से भरा झोला और आंखों में मां भागीरथी के दर्शन की लालसा लिए ये बुजुर्ग किसी नौजवान की तरह अपने गंतव्य तक बढ़ रहे हैं। इन्हें रास्ते में न रुकना पसंद है और न ही थकना। इन्हें तो सिर्फ आस्था की डुबकी लगा दर्शन और पुण्य प्राप्त करने की एकमात्र इच्छा है। 

बाबा! तनि रुक जा थक गा अहि...
दो नातियों को साथ लेकर संगम स्नान करने पहुंचे प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा निवासी रामशिरोमणि उपाध्याय निकले थे। वह अभी बांध स्थित लेटे हनुमान जी के पास पहुंचे थे। इसी बीच थक चुके नन्हे कदम जवाब दे चुके थे। उनके नाती ने अपने बाबा को आवाज दी। बाबा! तनि रुक जा थक गा अहि...इस पर वह तपाक से बोल पड़े। नई जवानी मांझा ढील। अबहिन ई हाल बा। अरे चला बच्चा बस वह संगमय आटय।

दादा, चाय तौ पी ल्या
कुंभ मेला क्षेत्र में जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए निश्शुल्क चाय की भी व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं को आवाज लगाकर स्टॉल के पास खड़े नौजवान चाय पीने के लिए बुला रहे हैं। दादा, चाय तौ पी ल्या। युवाओं की टोली तो चाय की चुस्की लेने को लपक रहे हैैं पर बुजुर्ग यह कहकर चाय पीने से पल्ला झाड़ रहे हैं कि काहे चाय पी लेई, सारा पुण्य हियइन उड़ेल देई का।

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