MNNIT प्रयागराज का दावा, कोरोना वायरस के संदिग्धों का पता लगाएगा 'अमृत मोबाइल एप'
आरोग्य सेतु एप के बनने के बाद अब एमएनएनआइटी ने अमृत मोबाइल एप को तैयार किया है। संस्थान ने दावा किया है कि इस एप से कोरोना वायरस के संदिग्धों का पता चलेगा।
प्रयागराज, जेएनएन। 'आरोग्य सेतु' की तरह मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) ने 'अमृत मोबाइल एप' तैयार किया है। इस एप के जरिए आसानी से कोरोना वायरस के संदिग्धों का पता लगाया जा सकेगा। संस्थान का दावा है कि इस एप से मरीजों की जांच भी की जा सकेगी। इस एप के लिए इंटीलेक्चुअल प्रापर्टी राइट (आइपीआर) यानी कॉपीराइट फाइल कर दिया गया है। अब इसे उपयोग में लाने के लिए जिला प्रशासन से वार्ता चल रही है।
एमएनएनआइटी के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने कहा
एमएनएनआइटी के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने बताया कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है। 130 करोड़ की आबादी वाले हमारे देश में कोरोना वायरस के संदिग्धों की जांच भी किसी चुनौती से कम नहीं है। वह कहते हैं बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता कि उन्हेंं सामान्य खांसी-जुकाम की वजह कहीं कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं। ऐसे लोग जाने अनजाने दूसरे लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं। इससे सामुदायिक स्तर पर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
संस्थान के इन विशेषज्ञों ने तैयार किया है एप
ऐसे में संस्थान के डॉ. आशुतोष, डॉ. अंबक कुमार, डॉ. समीर श्रीवास्तव, डॉ. नंदकुमार सिंह, प्रो. शिवेश शर्मा, विकल, हिमांशु, प्रो. गीतिका और खुद निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने मोबाइल एप तैयार किया। कहा जा रहा है कि इसकी मदद से संदिग्ध कोरोना मरीजों की आसानी से पहचान की जा सकेगी।
'अमृत मोबाइल एप' की यह है खासियत
'अमृत मोबाइल एप' का उपयोग क्लीनिक, नर्सिंग होम या दवा की दुकानों पर किया जाएगा। इसकी खासियत यह है कि सर्दी, खांसी, जुकाम अथवा सांस की तकलीफ वाले मरीजों की सूचना सिर्फ एक क्लिक से कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगी। आवश्यकता पडऩे पर ऐसे मरीजों की जांच भी की जा सकेगी।
बोलीं, संस्थान की आइपीआर सेल की चेयरमैन
संस्थान की आइपीआर सेल की चेयरमैन प्रोफेसर गीतिका ने बताया कि 'अमृत मोबाइल एप' के लिए आइपीआर फाइल कर दिया गया है। इस एप के माध्यम से स्वास्थ्य सेविका आशा को सर्वे करने में काफी सहूलियत मिलेगी। इसमें डोर टू डोर होने वाले सर्वे की मानिटरिंग आसानी से की जा सकती है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी ने बताया कि एप को उपयोग में लाने के लिए जिला प्रशासन से वार्ता चल रही है।