Allahabad High Court ने कहा, पट्टे के विपरीत खनन व बिना लाइसेंस के खनन अपराध में है भिन्नता

हाई कोर्ट ने कहा कि अपराध की विवेचना का काम पुलिस का है। एफआइआर दर्ज करने पर माइंस एंड मिनरल एक्ट की धारा-22 रोक नहीं लगाती। यह कहना सही नहीं है कि माइंस एंड मिनरल एक्ट की धारा-4 के उल्लंघन करने पर एक्ट के तहत ही केस चलेगा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 05 Oct 2021 12:10 PM (IST) Updated:Tue, 05 Oct 2021 12:10 PM (IST)
Allahabad High Court ने कहा, पट्टे के विपरीत खनन व बिना लाइसेंस के खनन अपराध में है भिन्नता
कोर्ट ने कहा, पट्टे के विपरीत खनन व बिना पट्टे या लाइसेंस के खनन अपराध में है भिन्नता

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अवैध खनन और चोरी दोनों अलग अपराध हैं। अवैध खनन पर माइंस एंड मिनरल एक्ट के तहत आपराधिक कार्यवाही की जा सकती है, जबकि चोरी से अवैध खनन के अपराध पर पुलिस केस चलाया जा सकता है। कानून में कोई रोक नहीं है। एक मामले में दोहरी आपराधिक कार्रवाई नहीं कही जा सकती। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट पर मजिस्ट्रेट संज्ञान ले सकता है और पुलिस रिपोर्ट पर अधिकृत प्राधिकारी कंप्लेंट केस कायम कर सकता है।

अधिकृत अधिकारी को नियमानुसार कंप्लेंट दाखिल करने की छूट

हाई कोर्ट ने कहा कि अपराध की विवेचना का काम पुलिस का है। एफआइआर दर्ज करने पर माइंस एंड मिनरल एक्ट की धारा-22 रोक नहीं लगाती। यह कहना सही नहीं है कि माइंस एंड मिनरल एक्ट की धारा-4 के उल्लंघन करने पर एक्ट के तहत ही केस चलेगा। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट पर अधिकारी की कंप्लेंट पर मजिस्ट्रेट का संज्ञान लेना गलत नहीं है। बिना अधिकृत अधिकारी के कंप्लेंट के पुलिस रिपोर्ट पर संज्ञान लेना वैध नहीं कहा जा सकता। इस आधार पर कोर्ट ने संज्ञान लेने के आदेश को रद कर दिया है और अधिकृत अधिकारी को नियमानुसार कंप्लेंट दाखिल करने की छूट दी है। यदि कंप्लेंट दाखिल होती है तो मजिस्ट्रेट संज्ञान लेकर समन जारी करें।

याची ने कहा, एक कानून में ही केस चलेगा

यह आदेश न्यायमूर्ति डा. वाईके श्रीवास्तव ने चोपन, सोनभद्र के राम बहाल की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका में 30 मई 2019 की पुलिस चार्जशीट, 27 अगस्त 2020 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र द्वारा संज्ञान लेने व राज्य सरकार बनाम दिनेश शर्मा व अन्य केस कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि यदि भारतीय दंड संहिता व माइंस एंड मिनरल एक्ट दोनों में अपराध हुआ है तो एक कानून में ही केस चलेगा। दोनों कानूनों में केस चलाना एक अपराध पर दोहरी कार्रवाई मानी जाएगी, यह गलत है। वहीं, सरकार का कहना था कि यदि दो भिन्न अपराध है तो अलग-अलग आपराधिक कार्रवाई की जायेगी।

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