Allahabad High Court ने कहा- वकील को शस्त्र की जरूरत पड़े तो यह खतरनाक प्रैक्टिस होगी, यह था मामला

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आएगा जब हर वकील शस्त्र लेकर कोर्ट परिसर में आएंगे। वकील हमेशा कोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 11:34 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 11:34 AM (IST)
Allahabad High Court ने कहा- वकील को शस्त्र की जरूरत पड़े तो यह खतरनाक प्रैक्टिस होगी, यह था मामला
इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने याची की याचिका खारिज कर दी है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि वकालत एक आदर्श व्यवसाय है। यदि वकील को व्यक्तिगत व व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े तो यह खतरनाक प्रैक्टिस होगी। कोर्ट ने कहा कि वकील वादकारी के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में निर्भय होकर बहस करता है। यदि उसके मस्तिष्क में भय है तो आदर्श व्यवसाय का पतन हो जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने प्रयागराज दीवानी अदालत के अधिवक्ता राम मिलन की याचिका पर दिया है।

कोर्ट ने यह कहा

कोर्ट ने कहा कि यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आएगा जब हर वकील शस्त्र लेकर कोर्ट परिसर में आएंगे। कहा कि वकील हमेशा सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है। यही उसकी व्यक्तिगत व व्यावसायिक तथा वादकारी की सुरक्षा के लिए काफी है। यही कोर्ट से न्याय पाने के लिए पर्याप्त है।

कोर्ट ने याचिका खारिज की

कोर्ट ने कहा कि सामान्य तौर पर व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत नहीं होती है। वकील के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन देने पर कोई रोक नहीं है। उसकी अर्जी पर कानूनी प्रावधानों के तहत विचार किया जाएगा। बिना ठोस वजह के वकील का शस्त्र लाइसेंस रखने की सराहना नहीं की जा सकती। यह आदर्श व्यवसाय के हित में नहीं है। यदि वास्तव में खतरा है तो गवाह संरक्षण योजना 2018 के अंतर्गत पुलिस के पास जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग प्राधिकारी के निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के याचिका जारी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

याची ने कहा कि वकालत के लिए यात्रा पर जाने पर जान का खतरा है

मामले के अनुसार याची के परिवार की महिलाओं से छेड़छाड़ व मारपीट गाली-गलौज किया गया। इसकी बारा थाना में दो एफआइआर दर्ज कराई गई है। याची का कहना था कि वकालत के लिए यात्रा पर जाने पर उसकी जान को खतरा है। धमकी दी जा रही है। शस्त्र लाइसेंस की अर्जी यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि याची अपराध का पीडि़त नहीं है। कानून के तहत उसे शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। एससी-एसटीवी अन्य धाराओं में दर्ज प्राथमिकी में से एक में चार्जशीट दाखिल की गई है। उस पर विचारण चल रहा है। दूसरे की विवेचना हो रही है।

कोर्ट ने कहा- लाइसें के लिए वास्‍तवकि व वैध कारण होना चाहिए

कोर्ट ने कहा हत्या के प्रयास का दस्तावेजी सबूत नहीं है। वह पीडि़त नहीं है। गवाह के रूप में सुरक्षा की मांग नहीं की है। पुलिस रिपोर्ट व तथ्यों के आधार पर लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने अर्जी निरस्त की है। उसके निष्कर्ष पर बिना ठोस वजह के हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। याची का कहना था कि वकालत के नाते व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए शस्त्र लाइसेंस दिया जाय। कोर्ट ने कहा लाइसेंस के लिए वास्तविक व वैध कारण होना चाहिए। जीवन व संपत्ति को वास्तविक खतरा होना चाहिए।

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