Allahabad High Court Order: पुलिस की लापरवाही पर नहीं छोड़ी जा सकती नागरिकों की स्वतंत्रता

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता पुलिस की शिथिलता पर नहीं छोड़ा जा सकता। मांगी जानकारी न देने से सुनवाई स्थगित करनी पड़ती है। जो कि न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है। इसके लिए माफ नहीं किया जा सकता।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Fri, 30 Sep 2022 06:59 AM (IST) Updated:Fri, 30 Sep 2022 06:59 AM (IST)
Allahabad High Court Order: पुलिस की लापरवाही पर नहीं छोड़ी जा सकती नागरिकों की स्वतंत्रता
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता पुलिस की शिथिलता पर नहीं छोड़ा जा सकता।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता पुलिस की शिथिलता पर नहीं छोड़ा जा सकता। मांगी जानकारी न देने से सुनवाई स्थगित करनी पड़ती है। जो कि न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है। इसके लिए माफ नहीं किया जा सकता।

डीजीपी को सीओ व दारोगा की शिथिलता पर उचित आदेश देने का निर्देश

हाई कोर्ट ने प्रदेश के डी जी पी को मामले में स्वयं उचित आदेश देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने विनीत कुमार की अपील की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। हाई कोर्ट ने पेश हुए देश दीपक सिंह क्षेत्राधिकारी हाई वे मुरादाबाद और दरोगा भोजपुर बिपिन कुमार को अगली तारीख पर हाजिर न होने की छूट दी है।

हाई कोर्ट ने आदेश की प्रति महानिबंधक के मार्फत डीजीपी भेजने का निर्देश दिया है। अपीलार्थी का कहना है कि पीड़िता अस्पताल में भर्ती हुई, लेकिन कुछ घंटे में ही मौत हो गई। इससे पहले उसने बयान भी दिया जिसकी वीडियो रिकार्डिंग भी हुई है। जो केस डायरी का हिस्सा है।

कोर्ट ने अपर शासकीय अधिवक्ता से जानकारी मांगी, लेकिन सूचना के बावजूद कोई जानकारी नहीं दी तो कोर्ट ने सीओ व विवेचक को तलब किया। पूछा कि सूचना के बावजूद जानकारी क्यों नहीं दी? दोनों अधिकारियों ने हाजिर होकर हलफनामा दिया, लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं किया कि सूचना के बावजूद जानकारी क्यों नहीं दी। जिसके कारण सुनवाई स्थगित करनी पड़ी। यह भी नहीं कहा कि एजीए ने सूचना नहीं भेजी।

कोर्ट ने डीजीपी को उचित आदेश देने के लिए किया निर्देशित

कोर्ट ने कहा अधिकांश मामलों में पुलिस के जानकारी नहीं देने के कारण जमानत अर्जियों की सुनवाई स्थगित करनी पड़ती है। इस पर कोर्ट ने डीजीपी को उचित आदेश देने का निर्देश दिया है।

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