High Court ने UP सरकार से पूछा- क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है

Allahabad High Court न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में सभी सवालों का जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी। अब सरकार का जवाब आने पर सुनवाई होगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 01:11 PM (IST) Updated:Thu, 02 Sep 2021 03:15 PM (IST)
High Court ने UP सरकार से पूछा- क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है
हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा के लिए फंड दे सकते हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की सलाह देने के साथ ही बुधवार को सरकार की तरफ से मदरसों को फंड मिलने पर भी आपत्ति जताई। हाई कोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा के लिए फंड दे सकते हैं। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर राज्य सरकार से चार हफ्ते में सभी सवालों का जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसों पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या कोई सेक्युलर स्टेट धार्मिक शिक्षा देने वाले मदरसे को फंड दे सकता है। मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की प्रबंध समिति ने कोर्ट में याचिका दायर की है। मदरसा मान्यता और सरकारी सहायता प्राप्त है। मदरसे ने अतिरिक्त पदों पर भर्ती की इजाजत मांगी थी जिसे सरकार ने खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ मदरसे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिस पर अब कोर्ट ने सरकार से सवाल पूछे हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश सरकार से मान्यता और सहायता प्राप्त धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों जैसे मदरसों आदि के सरकारी वित्त पोषण पर राज्य सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। हाईकोर्ट की पीठ ने राज्य सरकार से मान्यता और सहायता प्राप्त मदरसों और अन्य सभी धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता के मानक आदि उपलब्ध कराने को कहा। मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम ने विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अध्यापकों के अतिरिक्त पदों का सृजन करने का इस याचिका में अनुरोध किया है। अदालत ने निर्देश 19 अगस्त को पारित किया था और हाल ही में इसे अपलोड किया गया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों (मदरसों)को फंड दे सकता है। क्या धार्मिकशिक्षा देने वाले मदरसे अनुच्छेद 25 से 30 से प्राप्त मौलिक अधिकारों के तहत सभी धर्मों के विश्वास को संरक्षण दे रहे हैं। क्या संविधान के अनुच्छेद 28 में मदरसे धार्मिकशिक्षा संदेश व पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं। स्कूलों में खेल मैदान रखने के अनुच्छेद 21 व 21ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है। अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को सरकार फंड दे रही है। क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है। यदि ऐसा है तो क्या यह विभेदकारी नहीं है। इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह में मांगा जवाब है कि धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए भी प्रदेश में क्या कोई शिक्षा बोर्ड है।

मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि मदरसों के पाठ्यक्रम, शर्तें, मान्यता का मानक, खेल मैदान की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है। क्या लड़कियों को प्रवेश दिया जाता है। इसका भी जवाब दिया जाय। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले अन्य धर्मों के लिए कोई शिक्षा बोर्ड है? कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष राज्य की स्कीम है तो सवाल है कि क्या पंथनिरपेक्ष राज्य धार्मिक शिक्षा देने वाले स्कूलों को फंड दे सकती है। इस मामले में अब सरकार का जवाब आने पर सुनवाई होगी। 

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