गंगा का पानी 'विषाक्त', मृत मिलीं मछलियां

जासं, इलाहाबाद : माघ मेला शुरू होने के ठीक महीने भर पहले संगम तट पर गंगा का पानी विषाक्त हो गया। सोम

By Edited By: Publish:Mon, 24 Nov 2014 09:47 PM (IST) Updated:Mon, 24 Nov 2014 09:47 PM (IST)
गंगा का पानी 'विषाक्त', मृत मिलीं मछलियां

जासं, इलाहाबाद : माघ मेला शुरू होने के ठीक महीने भर पहले संगम तट पर गंगा का पानी विषाक्त हो गया। सोमवार को संगम तट पर सफाई के दौरान दर्जनों मछलियों के मृत मिलने से हड़कंप मचा है। कुछ दिन पहले भी संगम तट के पास किला घाट पर लगभग दो सौ मछलियां मृत पाई गई थीं। उस समय मछलियों के मरने की वजह तैलीय पानी बताया गया था। इससे पहले 16 नवंबर को संगम नोज पर चार साइबेरियन पक्षियों के मृत मिलने से हड़कंप मच चुका है। इस घटना की जानकारी वन विभाग के अफसरों को दी गई थी, मगर पक्षियों का पोस्टमार्टम नहीं हो सका था। अब सोमवार को संगम तट पर घटित इस तीसरी घटना को लेकर जहां स्नानार्थी सकते में हैं, वहीं प्रशासन बेखबर है।

सोमवार की सुबह समाजसेवी कमलेश सिंह और दुर्बल कुष्ठ सेवा संस्था की अध्यक्ष आरती सिंह और सदस्यों द्वारा संगम तट की सफाई कर रहे थे। इस दौरान गंगा में दर्जनों मछलियां मृत तैरती मिलीं। इन मछलियों को बाहर निकाला गया और इसमें से दो मछलियों को पॉलिथिन में भरकर माघ मेला प्रशासन कार्यालय पहुंचाया गया, ताकि उसका पोस्टमार्टम हो सके और मछलियों के मरने के राज से पर्दा उठ सके। वहीं इस घटना के बारे में मेला अधिकारी रमेश शुक्ल का कहना है कि किसी ने मृत मछलियों के बारे में न तो जानकारी दी और न ही पोस्टमार्टम के लिए मृत मछलियों को मेला प्रशासन को सौंपा गया। वहीं मंडलायुक्त वीके सिंह से जब दैनिक जागरण ने मृत मछलियों के बाबत जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने भी अनभिज्ञता प्रकट की। हालांकि उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि घटना के संबंध में जांच का निर्देश दिया जाएगा, जिससे पानी के विषाक्त होने के असली कारण का पता चल सके।

आखिर क्यों बताए जा रहे झूठे आंकड़े

गंगा में मछलियों के मृत मिलने के बाबत क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एसबी फ्रैंकलिन का कहना है कि पानी का नमूना ले लिया गया है। पूर्व में शिकायत मिलने पर मंडलायुक्त बीके सिंह ने जांच के लिए कहा था। 21 नवंबर को गंगा के पानी का नमूना लिया गया था, पानी में बीओडी की मात्रा सामान्य पायी गई है। इस पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर दीनानाथ शुक्ल का कहना है कि अगर मछलियां मर रही हैं, तो निश्चित ही बीओडी लेबल सामान्य नहीं हो सकता। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड झूठे आंकड़े देकर बरगलाने की कोशिश न करे। इस समय गंगा में पानी बेहद कम है और कानपुर से आ रहे फैक्ट्रियों के जल से गंगा का पानी विषाक्त हो गया है। इसकी जांच होना चाहिए।

chat bot
आपका साथी