'निकी लागे मोहे पिया की आंखें..'

जासं, इलाहाबाद : ठुमरी, दादरा, मिश्र खमाज, मिया की तोड़ी और मल्हार रागों की तान सुन समंदर में गोता लग

By Edited By: Publish:Sat, 18 Oct 2014 11:10 PM (IST) Updated:Sat, 18 Oct 2014 11:10 PM (IST)
'निकी लागे मोहे पिया की आंखें..'

जासं, इलाहाबाद : ठुमरी, दादरा, मिश्र खमाज, मिया की तोड़ी और मल्हार रागों की तान सुन समंदर में गोता लगाते दिखा प्रयाग। मौका था आकाशवाणी इलाहाबाद की ओर से आयोजित संगीत सम्मेलन का। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में जब पद्मश्री से सम्मानित व किराना घराने की शास्त्रीय गायिका विदुषी शान्ति हीरानंद ने 'निकी लागे मोहे पिया की आंखें' सुनाया तो श्रोता वाह-वाह कर उठे। इसके बाद बेगम अख्तर की इस शिष्या ने राग मिश्र पीलू में एक और ठुमरी सुनाकर ऐसा समा बांधा कि श्रोता वन्स मोर, वन्स मोर कहने लगे। दर्शकों को रुहानी स्तर तक ले जाते हुए इस मशहूर गायिका ने मारु विहाग और माज खम्माज में जब दादरा सुनाया तो संगीत प्रेमी आनंद रस से सराबोर हो गए। संगीत संध्या के प्रारम्भ में प्रख्यात सरोद वादक प्रदीप कुमार बारोट ने अपने वादन कला से श्रोताओं को भारतीय पारंपरिक संगीत से रूबरू कराया। इन्होंने राग शुद्ध कल्याण, राग जैजेवंती व अन्य रागों में प्रस्तुतियां देकर सरोद को जीवंत तो किया ही, साथ ही संगीत प्रमियों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर आकाशवाणी के अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी मौजूद थे।

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