शहर में बनेंगे तीन मैटीरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर,परीक्षण के बाद होगा कूड़े का उपचारAligarh news

नगर निगम दिल्ली की तर्ज पर शहर में तीन मैटीरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ ) सेंटर बना रहा है। प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 07:41 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 09:19 AM (IST)
शहर में बनेंगे तीन मैटीरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर,परीक्षण के बाद होगा कूड़े का उपचारAligarh news
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अलीगढ़ [जेएनएन] : एटूजेड प्लांट में निस्तारण से पहले कूड़े का परीक्षण होगा। इसमें से प्लास्टिक, कांच, कागज, थैलियां, कंटेनर व पॉलिथीन को अलग किया जाएगा और शेष कचरा खाद बनाने में उपयोग होगा। इसके लिए नगर निगम दिल्ली की तर्ज पर शहर में तीन मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी (एमआरएफ ) सेंटर बना रहा है। प्रदेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी है। एक सेंटर के निर्माण में करीब 33 लाख रुपये की लागत आएगी। सेंटर के लिए नगर निगम अब भूमि तलाश रहा है। मुख्य अभियंता नगर निगम कुलभूषण वाष्र्णेय का कहना है कि मैटेरियल रिकवरी फेसिलिटी सेंटर प्रदेश सरकार का प्रोजेक्ट है। ऐसे तीन सेंटर शहर में बनाए जाने हैं। एस्टीमेट तैयार हो चुका है और भूमि तलाश रहे हैं।

व्यवस्था

- अलग-अलग हिस्सों में कूड़ा प्लांट में होगा निस्तारण

- शासन की स्वीकृति पर जमीन तलाश रहा नगर निगम

कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी

नगर निगम ने कूड़ा निस्तारण की जिम्मेदारी एटूजेड कंपनी को दे रखी है। शहर से करीब 400 मीट्रिक टन प्रतिदिन उठता है। ये कूड़ा मथुरा रोड स्थित एटूजेड प्लांट पर जाता है। कूड़े से प्लास्टिक, धातु अलग कर बाकी अपशिष्ट से कंपोस्ट खाद तैयार होती है, जिसमें 40 दिन लगते हैं। साल में करीब 1600 टन खाद तैयार होती है, जिसे कृभको कंपनी 2500 रुपये प्रति टन के हिसाब से खरीदती है। खाद बनाने के बाद जो कचरा बचता है, उसका कोई उपयोग नहीं हो रहा। करीब 10 हजार टन कचरा प्लांट में  पड़ा है। 

अलग होगा गीला व सूखा कूड़ा

कूड़ा पहले एमआरएफ में

कूड़ा पहले एमआरएफ सेंटर में लाया जाएगा। गीला कूड़ा वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन भेजा जाएगा, जो सारसौल में तैयार हो चुका है। यहां फिक्सड कांपैक्टर ट्रांसमिशन मशीन के जरिए बेहिसाब कूड़े को कंप्रेस कर समेटा जाएगा, फिर कंटेनर से एटूजेड प्लांट भेज दिया जाएगा। एमआरएफ सेंटर में सूखे कूड़े से प्लास्टिक, कांच, कागज, थैलियां, पॉलीथिन आदि अलग होगी। खाद लायक कूड़ा प्लांट जाएगा, बाकी वेस्ट एनर्जी प्लांट में इस्तेमाल होगा। ये प्लांट भी निर्माणाधीन हैंं।

 डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था

प्लांट तक कूड़ा लाने के लिए डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था प्रभावी की जाएगी। इससे सड़क पर कूड़ा नहीं डाला जाएगा। 

यह भी जानें

- 400 मीट्रिक टन रोज उठता है कूड़ा।

- 200 मीट्रिक टन कूड़े से होता है कंपोस्ट खाद उत्पादन।

- 84 कूड़ा कलेक्शन प्वॉइंट बनाए गए हैं शहर में।

- 150 छोटे-बड़े वाहन हैं नगर निगम में बेड़े में।

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