यहां राम और रहीम में कोई भेद नहीं, एक साथ दिन की शुरुआत, बांटते हैं एक दूसरे का दु:ख दर्द, ऐसी है कैदियों की जिंदगी

कोरोना ने बदल गयी जिला कारागार में बंदियों की जिंदगी। कोरोना के चलते जेल प्रशासन ने भी कैदियों के स्‍वास्‍थ्‍य का पूरा ध्‍यान रखा। बंदियों में इन दिनों इतना सदभाव हो गया है कि वे हमेशा एक दूसरे के दुख में खड़े रहते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 29 Jan 2022 06:18 AM (IST) Updated:Sat, 29 Jan 2022 06:46 AM (IST)
यहां राम और रहीम में कोई भेद नहीं, एक साथ दिन की शुरुआत, बांटते हैं एक दूसरे का दु:ख दर्द, ऐसी है कैदियों की जिंदगी
जिला कारागार में बंदी हर रोज भजन कीर्तन कर कोरोना से मुक्‍ति की दुआ मांग रहे हें।

सुमित शर्मा, अलीगढ़ । यहां राम और रहीम में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक साथ दिन की शुरुआत करते हैं...। खेलों में भाग लेते हैं...। दुख-दर्द बांटते हैं...। शायद इसीलिए कैद में भी इनके चेहरों की मुस्कुराहट कम नहीं हुई। यह तस्वीर जिला कारागार की है, जहां बंदियों ने ऐसे ही माहौल में सद्भावना की ताकत से कोरोना पर बड़ा प्रहार किया। न सिर्फ नियम-कायदे माने, बल्कि हर रोज भजन-कीर्तन में कोरोना से मुक्ति की दुआ भी मांग रहे हैं।

जिला कारागार में चार हजार कैदी-बंदी

जिला कारागार में चार हजार कैदी-बंदी हैं। वर्तमान में बंदियों की मुलाकात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान भी करीब डेढ़ साल तक मुलाकात पर रोक लगी हुई थी। 16 अगस्त 2020 को मुलाकात की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन, ओमिक्रोन के चलते एक जनवरी 2022 से फिर से मुलाकात बंद हो गई। ऐसे में बंदी भी कहीं न कहीं तनाव का शिकार होने लगे। लेकिन, जेल प्रशासन ने इसके लिए सार्थक पहल की। बंदियों को मनोरंजक गतिविधियों में शामिल किया और ईश्वर से भी जोड़ने की पहल की, ताकि उनका ध्यान भटके। धीरे-धीरे बंदी अब खुद-ब-खुद कोरोना की लड़ाई में आगे आ गए हैं। वर्तमान में दिनचर्या बदली हुई है। सुबह होते ही बैरकों में भजन-कीर्तन की आवाज गूंजने लगती है, जिसमें बंदी भी मग्न हो जाते हैं। खास बात ये है कि मुस्लिम बंदी भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। रात में भी भजन कीर्तन का समापन होता है तो सभी बैरकों में ईश्वर की प्रार्थना की जाती है। इस दौरान बंदी यही दुआ मांगते हैं कि ईश्वर सभी को निरोगी बनाए और कोरोना जैसे वायरस से विश्व को मुक्त कराएं।

खुशनुमा माहौल सतर्कता भी पूरी

इस माहौल के बीच बंदी नियम-कायदे नहीं भूल रहे। एक तरफ जेलर पीके सिंह कैमरों से पूरी निगरानी रखते हैं तो दूसरी तरफ डिप्टी जेलर आफताब अंसारी, राजेश राय अहाते पर चहलकदमी करके हर गतिविधि पर निगाह बनाए रखते हैं। इस दौरान बीच-बीच में सकारात्मक संदेश देने वाली आडियो भी चलाई जाती हैं। इस व्यवस्था को बनाए रखने में लंबरदारों की भूमिका भी अहम है। वहीं बंदी मास्क लगाकर रखते हैं। कोई भी आयोजन होता है, तो शारीरिक दूरी का भी ख्याल रखते हैं।

बंदियों को काढ़ा व हल्की का दूध

ठंड बढ़ने के साथ जेल प्रशासन ने हर बंदी को अतिरिक्त कंबल भी वितरित किए। वहीं बंदियों को काढ़ा व हल्दी का दूध भी दिया जा रहा है। इसके अलावा हर बैरक में अलाव की व्यवस्था की गई है। जेल के इस पूरे माहौल पर एक बंदी ने लेख भी लिखा है।

इनका कहना है

जेल में मुलाकात बंद है। बंदी फोन से अपने स्वजन से बात करते हैं। कोविड गाइडलाइन के तहत कुछ गतिविधियां भी करवाई जा रही हैं, जिससे वातावरण स्वस्थ रहे। बंदी पूजा-पाठ भी कर रहे हैं। बैरकों में भजन चलाए जाते हैं। सभी बैरकों पर विशेष निगरानी भी रखी जा रही है, ताकि किसी बंदी को कोई दिक्कत न आए।

विपिन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक

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