कैच द रेन अभियान का दिखने लगा असर, वर्षा के जल से धरती की गोद भराई

कैच द रेन अभियान का असर दिखने लगा है। ये केंद्र सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है। इस समय अलीगढ़ में शहर के साथ ही गांवों में भी रेन वाटर हावेर्स्‍टिंग बन रहे हैं। दर्जनों पंचयतों में अभी भी निर्माण कार्य जारी है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 13 Jul 2022 11:46 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jul 2022 11:46 AM (IST)
कैच द रेन अभियान का दिखने लगा असर, वर्षा के जल से धरती की गोद भराई
केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कैच द रेन अभियान का असर जमीन पर दिखना शुरू हो गया है।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कैच द रेन अभियान का असर जमीन पर दिखना शुरू हो गया है। शहर के साथ ही गांव-देहात में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग बन रहे हैं। जिले की 577 ग्राम पंचायतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनकर तैयार हो गए हैं। दर्जनों पंचायतों में अभी निर्माण कार्य जारी है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग इस बार की बरसात में जल संचयन में काफी मददगार साबित होंगे। स्कूल व पंचायत भवनों की छतों का पानी इस सिस्टम के माध्यम से सीधे 70 फीट की गहराई तक जाएगा। 300 वर्गमीटर व उससे अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों के लिए यह सिस्टम बने हैं।

कैच द रेन अभियान

जिले के 12 ब्लाक में 867 ग्राम पंचायते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्च 2021 में कैच द रैन अभियान की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य जल संरक्षण के लिए लोगों के सहयोग से जन जागरुकता अभियान चलाना है। जिले में भी पिछले कई महीनों से इस योजना के तहत काम किया जा रहा है। पंचायत स्तर पर तालाब तैयार हो रहे हैं। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने जिले की सभी पंचायतों में 300 वर्ग मीटर या इससे अधिक बड़े पंचायत भवन व स्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का निर्णय लिया गया। इससे इनके परिसर के बरसात के पानी का संचयन किया जा सका।

577 रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनकर तैयार

जिले इस योजना के तहत अब तक 517 रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनकर तैयार हो गए हैं। इनमें अकराबाद में 38, अतरौली में 39, बिजौली में 40, चंडौस में 42, धनीपुर में 67, गंगीरी में 45, इगलास में 41, जवां में 63, खैर में 42, लोधा में 73 व टपपल में 42 रेन वाटर हार्वेस्टिंग बने हैं। अन्य दो दर्जन पंचायतों में अभी निर्माण कार्य जारी है।

ऐसे लगता है सिस्टम

छत के पानी के लिए जमीन में 10 फीट चौड़ा एक टैंक बनाया जाता है। उसमें बोरिंग कर पाइप जमीन में डाला जाता है। बीच में पिट (फिल्टर) बनाई जाती है। इस पीट में जाली, गिट्टी, मौरंग, बालू भरी जाती है। टैंक से जमीन के अंदर तक जाने वाली पाइपलाइन से पानी जमीन के अंदर तक जाता है। पंचायतों में तैयार किए गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग में 70 फीट अंदर तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था हुई है।

यह हैं फायदे -बरसात का पानी बेकार नहीं जाता। -भूगर्भ जल स्तर संतुलित रहता है। -हैंडपंप, कुएं और कुएं लंबे समय तक चलते हैं

एक लाख के करीब खर्च

पंचायताें में तैयार किए गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर ग्राम निधि से धनराशि खर्च की जा रही है। एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर करीब एक से डेढ़ लाख तक लगे हैं। हालांकि, इस सिस्टम का लंबे समय तक काफी फायदा है।

इनका कहना है

कैच द रैन अभियान केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना में शामिल है। इसी तहत ग्राम पंचायतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाए जा रहे हैं। इसे जल संचयन में काफी मदद मिलेगी। स्कूल व पंचायत भवन की छतों का पानी सीधे जमीन के अंदर जाएगा। भविष्य के लिए यह सिस्टम काफी उपयोगी हैं।

अंकित खंडेलवाल, सीडीओ

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