विद्यालय के कार्य करने के लिए स्कूल समय में नहीं जाएंगे शिक्षक

हाथरस जागरण संवाददाता । बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर सरकार के द्वारा हर साल करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जाता है। लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों की दशा और दिशा काफी खराब है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 01:03 PM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 01:16 PM (IST)
विद्यालय के कार्य करने के लिए स्कूल समय में नहीं जाएंगे शिक्षक
जिले में करीब 1205 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित है।

हाथरस, जागरण संवाददाता । बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर सरकार के द्वारा हर साल करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जाता है। लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों की दशा और दिशा काफी खराब है। विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षक व शिक्षिकाएं विद्यालय कार्य का बहाना लेकर स्कूल छोड़कर चले जाते थे। लेकिन अब शिक्षक व शिक्षिकाएं ऐसा नहीं कर सकेंगे। क्योंकि शासन स्तर से स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि शिक्षक व शिक्षिकाएं विद्यालय अवधि में किसी भी कार्य से बाहर नहीं जा सकेंगे।

जिले में करीब सवा लाख छात्र - छात्राएं अध्‍ययनरत

जिले में करीब 1205 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों करीब सवा लाख छात्र व छात्राएं पढ़ते है। इन विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को स्कूल यूनिफार्म, जूते व मोजे, स्वेटर, स्कूल बैग सहित कई योजनाओं का लाभ दिया जाता है। अभी तक तमाम शिक्षक व शिक्षिकाएं विद्यालय से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों यथा- पासबुक में इंट्री, अपडेशन, ग्राम प्रधान से वार्ता, चेक पर हस्ताक्षर, एमडीएम संबंधी आवश्यकताओं एवं समन्वय आदि हेतु शिक्षण अवधि में विद्यालय परिसर से बाहर चले जाते थे। जिस वजह से विद्यालय में शिक्षण कार्य प्रभावित होता था। तो वहीं बेहतर ज्ञान विद्यार्थियों को नहीं मिल पाता था। स्कूल शिक्षा के महानिदेशक की ओर से समस्त बीएसए के लिए आदेश जारी किया गया है।

चिकित्सा शिक्षा प्रौद्योगिकी पर कार्यशाला

अलीगढ़ । एएमयू के भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. भानु प्रकाश सिंह ने विश्व विज्ञान दिवस के अवसर पर परमाणु ऊर्जा उत्पादन और परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन में नई दिशा विषय पर आनलाइन वार्ता में रेडियोधर्मी कचरे के प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने योजना, तैयारी, उपचार, पैकेजिंग, भंडारण और निपटारण सहित परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन में विभिन्न चरणों में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा की। प्रो. सिंह ने कहा कि परमाणु से उत्पन्न ऊर्जा यद्यपि कार्बन मुक्त है लेकिन परमाणु कचरे की समस्या भी महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे जलवायु संकट गहराता जा रहा है और जीवाश्म ईंधन का प्रयोग बंद करने की जरूरत हो रही है। उन्होंने ऊर्जा उत्पादन के तरीकों और परमाणु ऊर्जा के महत्व और विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।

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