सृष्टि ने 78वीं रैंक हासिल कर चमकाया जिले का नाम
यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2020 की मुख्य परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को देर शाम जारी हुआ।
जासं, अलीगढ़ : यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2020 की मुख्य परीक्षा का परिणाम शुक्रवार को देर शाम जारी किया गया। मुख्य परीक्षा जनवरी में कराई गई थी। सृष्टि सिंह ने भी शानदार सफलता हासिल करते हुए आलइंडिया 78वीं रैंक हासिल की है। वे इलाहाबाद की मूल निवासी हैं। पिता राजीव सिंह पिछले तीन साल से कासिमपुर पावर हाउस में असिस्टेंट इंजीनियर के पद पर तैनात हैं। इसलिए वे भी कासिमपुर में ही रह रही हैं। पिता ने बताया कि बेटी ने दिल्ली में तैयारी की है।
वहीं दूसरी ओर गभाना के दौरऊ गांव निवासी ऐश्वर्या सिंह ने आलइंडिया 97वीं रैंक हासिल कर जिले का नाम चमकाया है। पापा की तरह बड़ा आफीसर बनने का सपना रखने वाली ऐश्वर्या ने इस सफलता से जिले व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। इनके पिता जीपी सिंह 1991 बैच के आइपीएस हैं। इसके साथ ही ये दोनों मेधावी बेटियां आइएएस बनने की रेस में शामिल हो गई हैं।
यूएसए से पढ़ाई करने को शादाब का चयन: एएमयू के एसटीएस स्कूल के 11वीं के छात्र मोहम्मद शादाब अब मेडिसिन ईस्ट हाईस्कूल यूएसए से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी करेंगे। उनके सपने को पूरा करने में एएमयू के पूर्व छात्रों व मोरक्को के मेजबान परिवार और स्कूल का विशेष योगदान है। मोटर मैकेनिक के बेटे मोहम्मद शादाब मेडिसिन विस्कान्सिन यूएसए में रहने वाले एएमयू के पूर्व छात्र मसूद अख्तर के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि अमेरिका से वापस आने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मैं कुछ और चीजें तलाश सकता हूं। सीख मगर दुर्भाग्य से मेरी छात्रवृत्ति केवल एक वर्ष के लिए थी। शादाब की पृष्ठभूमि उपलब्धियों और उच्च महत्वाकांक्षाओं ने अख्तर को शादाब की मदद करने का बीड़ा उठाने के लिए प्रेरित किया। वह मेडिसिन ईस्ट हाईस्कूल के प्रिसिपल के पास पहुंचे और उन्हें आश्वासन दिया कि अगर शादाब इस संस्थान से 12वीं कक्षा पूरी करता है, तो स्कूल उसे हाईस्कूल डिप्लोमा प्रदान करेगा। उनके वार्षिक शिक्षण शुल्क, वीजा खर्च, एयरलाइन टिकट, स्वास्थ्य बीमा, रहने के खर्च आदि को कवर करने के लिए तुरंत पर्याप्त धन जुटाया गया। शादाब अब 25 सितंबर को शिकागो के ओश्हारे हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे। एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने कहा कि किसी संस्था की सफलता के लिए कल्याणकारी पूर्व छात्रों का नेटवर्क बनाना महत्वपूर्ण है। एक जरूरतमंद छात्र का समर्थन या उसकी शिक्षा को प्रायोजित करना मातृसंस्था को वापस देने का सबसे अच्छा तरीका है।