Sanskar Bharati : संस्कार है जीवन का मूल, इसे जन जन तक ले जायेंगे

Sanskar Bharati संस्कार भारती बच्चों के बीच में संस्कार का अलख जगाएगी। इसके लिए वह बस्तियों में पाठशाला लगाई जाएगी। समिति के पदाधिकारी बच्चों को माता-पिता के सुबह पांव छूना बड़ों का सम्मान करना आदि की जानकारी देंगे।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 01:52 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 01:52 PM (IST)
Sanskar Bharati : संस्कार है जीवन का मूल, इसे जन जन तक ले जायेंगे
प्रतिदिन आरती की आदत भी डलवाई जाएगी जिससे अपने देवी-देवताओं के बारे में उन्हें जानकारी हो सके।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। संस्कार भारती बच्चों के बीच में संस्कार का अलख जगाएगी। इसके लिए वह बस्तियों में पाठशाला लगाई जाएगी। समिति के पदाधिकारी बच्चों को माता-पिता के सुबह पांव छूना, बड़ों का सम्मान करना आदि की जानकारी देंगे। इसके लिए एक महीने का अभियान चलाया जाएगा। और हम इसे जन जन तक ले जाने की तैयारी की जाएगी।

नई पीढ़ी हो जागरूक करना जरूरी

संस्कार भारती के जिला संयोजक भुवनेश आधुनिक ने कहा कि आज नई पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता की ओर तेजी से भाग रही है जिससे वह है अपनी संस्कृति और संस्कार से दूर होती जा रही है। पश्चिम का अंधानुकरण करके युवाओं में भी बहुत बड़ा बदलाव आ रहा है, वह पश्चिम के देशों की तरह रहन सहन और खानेपीने पर विश्वास करने लगे हैं, इसका परिणाम है कि उनके अंदर से संस्कार खत्म हो रहा है और इसी के कारण जो भारत पारिवारिक संरचना में इतना मजबूत होता था परिवार के प्रति इतना समर्पण और त्याग हुआ करता था, वह भारत अब इन सब चीजों से दूर होता जा रहा है। एकल संस्कृति का विकास होता जा रहा है। संयुक्त परिवार की अवधारणा धरी की धरी रह जा रही है। परिवार में तमाम तरह के मतभेद सामने आ रहे हैं। इसलिए संस्कार भारती ने निर्णय लिया है की परिवार को एकजुट करेंगे। संस्कार केंद्र में बस्तियों के बच्चों को शिक्षित किया जाएगा। उन्हें माता पिता के सम्मान के बारे में बताया जाएगा। घर में पूजन पाठ की जानकारी दी जाएगी। देवी देवताओं के बारे में बताया जाएगा। साथी सुबह और शाम को पूजन के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

पाश्‍चात्‍य संस्‍कृति बढ़ी समस्‍या

प्रतिदिन आरती की आदत भी डलवाई जाएगी जिससे अपने देवी-देवताओं के बारे में उन्हें जानकारी हो सके और वह अपनी परंपरा से जुड़ सकें। संस्कार भारती के संरक्षक राजाराम मित्र ने कहा कि आने वाले दिनों में पाश्चात्य संस्कृति बहुत बड़ी समस्या बनेगी। इस समस्या से निपटने के लिए संस्कार भारती द्वारा चलाए जा रहे केंद्र बहुत प्रभावी साबित होंगे भले ही आज लोगों को यह लग जाए कि वह आधुनिकता की दौड़ में सबसे आगे निकल रहे हैं पश्चात संस्कृति मॉडर्न का स्लोगन है, मगर उन्हें यह पता नहीं कि पाश्चात्य संस्कृति को ही छोड़कर तमाम विदेशी भारत आ रहे हैं और वह सनातन धर्म सनातन संस्कृति को अपना रहें वैदिक रीति-रिवाज से वह परंपराओं का निर्वहन करते हैं। वह भारतीय संस्कार को धारण कर रहे हैं और हम अपने संस्कार को भूलते चले जा रहे है।

रामचरित मानस का पाठ बच्‍चों से कराएं

देश के तमाम बड़े तीर्थ स्थलों पर विदेशी आकर बस रहे हैं और वह भजन कीर्तन धर्म अध्यात्म में व्यस्त रहते हैं जबकि हमारे गांव गांव में रामायण रामचरितमानस का पाठ आधी हुआ करती थी। यह सब अब हम भूलते चले जा रहे हैं। राजाराम मित्र ने कहा जिन्हें दोहराना होगा नहीं तो नई पीढ़ी हाथ से निकल जाएगी। फिर कुछ नहीं शेष रहेगा इसलिए बस्तियों में जब भी जाएं। बच्चों को अधिक से अधिक जागरूक करें उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम योगेश्वर श्री कृष्ण भगवान विष्णु लक्ष्मी माता दुर्गा माता पार्वती मैया आदि के बारे में बताएं।

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