AMU जेएन मेडिकल के हटाए गए डॉक्टरों के पक्ष में आया RDA, हड़ताल की चेतावनी , 24 घंटे का अल्टीमेटम

डॉक्टरों के हटाए जाने पर रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) विरोध में आ गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हम्जा मलिक ने कहा है कि 24 घंटेे में डॉक्टरों को फिर से नहीं रखा तो जनरल बॉडी मीटिंग बुलाकर हड़ताल पर जाने का निर्णय ले सकते हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 10:14 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 10:14 PM (IST)
AMU जेएन मेडिकल के हटाए गए डॉक्टरों के पक्ष में आया RDA, हड़ताल की चेतावनी , 24 घंटे का अल्टीमेटम
डॉक्टरों के हटाए जाने पर आरडीए विरोध में आ गया है।

अलीगढ़, जेएनएन। एएमयू के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में लीव वेकेंसी पर कार्यरत दो डॉक्टरों के हटाए जाने पर रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) विरोध में आ गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हम्जा मलिक ने कहा है कि 24 घंटेे में डॉक्टरों को फिर से नहीं रखा तो जनरल बॉडी मीटिंग बुलाकर हड़ताल पर जाने का निर्णय ले सकते हैं। उधर हटाए गए डॉक्टरों ने फिर से तैनाती पाने के लिए सीएमओ इंचार्ज को आवेदन दिया है। जिसे कुलपति के पास भेज दिया है। कुलपति उस पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो इंतजामिया डॉक्टरों को फिर से तैनाती देगा। ताकि विवाद न बढ़े। 

यह है मामला

मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मंगलवार को लीव वेकेंसी पर कार्यकरत डॉ. उबैद और डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक को हटा दिया था। दोनों कैज्युअलटी मेडिकल ऑफीसर के पद कार्यरत थे। हटाने के पीछे तर्क दिया गया था कि दोनों का कार्यकाल 8 अक्टूबर तक था। इस लिए उन्हें हटा दिया। इनमें डॉ. मलिक ने हाथरस प्रकरण में मीडिया को बयान दिया था। इसके मेडिकल कॉलेज की काफी आलाेेचना हुई थी। इसके बाद से ही डॉ. मलिक के हटाने की चर्चा शुरू हो गई थी। सोमावर को सीबीआइ भी जांच के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंची थी। दोनों डॉक्टरों पर हुई कार्रवाई को सीबीआइ से जोड़कर भी देखा जा रहा था। आरडीए के अध्यक्ष डॉ. हम्जा मलिक का कहना है कि डॉ. उबैद व डॉ. मलिक ने ऐसे समय में काम किया है जब डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए। कोई काम करने को तैयार नहीं था। इन्हें हटाने के पीछे राजनीति कतई नहीं होनी चाहिए। कुलपति प्रो. तारिक मंसूर को डॉक्टरों को फिर से रखने के लिए पत्र भेजा है। 24 घंटे में अमल न हुआ तो जीबीएम में बुलाकर आगे का फैसला लिया जाएगा। अध्यक्ष ने बताया कि मांग न मानी तो मजबूरन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया जाएगा।  

खुद को बचाने के लिए उठाया कदम 

इमरजेंसी से हटाए गए दोनों के डॉक्टरों का कार्यकाल 8 अक्टूबर को खत्म हो गया। कार्यकाल खत्म होने के बाद कैजुअलिटी मेडिकल ऑफीसर मेडिको लीगल पर साइन नहीं कर सकता। सूत्रों के अनुसार इन डॉक्टरों ने ऐसे केेस में साइन किए हैं। ऐसे में इनमें से कोई केस पुलिस या अदालत तक चला जाता है तो इंतजामिया को जवाब देना भारी पड़ जाएगा। ऐसे में माना ये जा रहा है कि डॉक्टरों को हटाकर फिर से उन्हें 9 अक्टूबर से ही नियमित किया जा सकता है। जिससे दोनों काम हो जाएंगे।  

 केंद्र सरकार से की जाएगी शिकायत 

सबसे पहले इस केस को उठाने वाले भाजपा नेता व एएमयू के पूर्व छात्र डॉ. निशित शर्मा ने कहा है कि दोनों डॉक्टरों को हटाकर कुलपति ने अच्छा निर्णय लिया है लेकिन पर्याप्तन नहीं हैं। हाथरस प्रकरण में इन डॉक्टरों को बयान देने का कोई हक नहीं था। अगर फिर से इन डॉक्टरों को ड्यूटी पर रखा जाता है तो इसकी शिकायत केंद्र सरकार से की जाएगी। आरडीए वही है जिसने डॉ. कफील को कैंपस में बुलाया था। माहौल खराब करने का प्रयास किया। ये वही लोग हैं जो हाथरस के प्रकरण को जातिगत व धार्मिक रूप देना चाह रहे थे। 

 कुलपति कर रहे विचार

दोनों डॉक्टरों ने फिर से लीव वेकेंसी पर रखने के लिए आवेदन किया है। कुलपति इस पर विचार कर रहे हैं। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।  

- प्रो. शाफे किदवई, प्रवक्ता एएमयू

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