Aligarh News : दाऊद और श्रीप्रकाश शुक्ला की तरह डान बनना चाहता था मुनीर, एएमयू में नाम से कांपते थे छात्र

Aligarh News 2013 में अलीगढ़ की धरती पर कदम रखने वालेे मुनीर का सपना था वह दाऊद इब्राहिम व श्रीप्रकाश शुक्‍ला की तरह बड़ा डान बने। अलीगढ़ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी में छात्र उसके नाम से कांपतेे थे। उसका एक ही सपना था कि किसी तरह एके-47 हासिल कर ले।

By Santosh SharmaEdited By: Publish:Tue, 22 Nov 2022 08:13 AM (IST) Updated:Tue, 22 Nov 2022 08:14 AM (IST)
Aligarh News : दाऊद और श्रीप्रकाश शुक्ला की तरह डान बनना चाहता था मुनीर, एएमयू में नाम से कांपते थे छात्र
एनआइए के डीएसपी तंजील अहमद की हत्या करने वाले कुख्‍यात अपराधी मुनीर का फाइल फाेटो।

संतोष शर्मा, अलीगढ़Aligarh News : इकहरा बदन। शरारत भरी आंखें। गले में गमछा। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अंदर और बाहर दिन भर बाइक से फर्राटे भरना। जिससे भी विवाद हुआ उसे बख्शा नहीं। एएमयू में कुछ ऐसा ही खौफ था कुख्यात अपराधी मुनीर का। उसके नाम से यूनिवर्सिटी में छात्र कांपते थे। उसके गैंग के लोगों से भी किसी की भिड़ने की हिम्मत नहीं होती थी। मुनीर गैंग ने अलीगढ़ में लूट, हत्या की घटनाओं से पुलिस के होश उड़ा दिए थे। जिले में 32 और 35 लाख की सबसे बड़ी लूट इसी गैंग ने ही की थी। अलीगढ़ में सबसे पहले उसने अमीर निशा में बाइक टकराने पर फहद नाम के कारोबारी की गोली मारकर हत्या की थी। मुनीर माफिया दाऊद इब्राहिम और यूपी का सबसे बड़ा अपराधी रहे श्रीप्रकाश शुक्ला से प्रेरित था। उनकी तरह ही डान बनकर यूपी में अपराध की दुनिया में राज करना चाहता था। उसका एक ही सपना था किसी तरह एके-47 हासिल करना। इसके लिए ही उसने एनआइए के डीएसपी तंजील अहमद की हत्या की थी। मुनीर की मौत से एएमयू से जुड़े उन लोगों ने राहत की सांस ली है, जो कभी मुनीर के निशाने पर रहते थे। 

2013 में अलीगढ़ में रखा था कदम

बिजनौर निवासी मुनीर ने 2013 में अलीगढ़ में कदम रखा था। वह एएमयू में पढ़ाई करना चाहता था। दाखिला न होने पर भी वह अलीगढ़ से नहीं गया। अलीगढ़ का माहौल उसे ऐसा भाया कि यहीं का होकर रह गया। आवारागर्दी में घूमने लगा। जेब खर्च के लिए अपराध की दुनिया में चला गया। अलीगढ़ में मुनीर गैंग ने 2014 से 2015 तक कई घटनाओं को अंजाम दिया। 20 अक्टूबर 2014 को अमीर निशा में कारोबारी फहद की गोली मारकर हत्या कर दी थी। उस समय फहद अपनी बाइक से पत्नी के साथ जा रहा था। मुनीर का बाइक टकराने को लेकर विवाद हुआ था। एक बार तो मुनीर अपने साथी आशुतोष मिश्रा के साथ फहद से आगे निकल गया। इसके बाद फिर लौटा और फहद पर गोली बरसा दीं।

मजिस्‍ट्रेट के गनर की हत्‍या की

दूसरी बड़ी घटना उसने 13 फरवरी 2015 को रेलवे स्टेशन के सामने की। यहां रेलवे मजिस्ट्रेट सुनील कुमार के गनर सुरेश बाबू की हत्या कर पिस्टल लूट कर दहशत फैलाई थी। एटा जिले के थाना निधौली कलां क्षेत्र के गांव गुलाबपुर निवासी सुरेश बाबू घटना वाली शाम करीब 5:20 बजे बैरक से रेलवे स्टेशन रोड स्थित रफीक टी स्टाल पर चाय पीने पहुंचे थे। तभी बाइक सवार दो युवकों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। सुरेश की मौके पर ही मौत हो गई। हत्यारे 9-एमएम की सरकारी पिस्टल लूट ले गए। यह पिस्टल आज तक पुलिस बरामद नहीं कर पाई है।

इसे भी पढ़ें Aligarh Municipal Election 2022 : कभी हाथ उठाकर होता था चेयरमैन का चुनाव, रोचक है बेसवां नगर पंचायत का इतिहास*

एएमयू में दिनदहाड़े आलमगीर की हत्या की थी

मुनीर की एएमयू से एमबीए कर रहे फैजाबाद के सिविल लाइन निवासी आशुतोष उर्फ आशू से गहरी दोस्ती थी। आशुतोष के लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार रहता था। आशुतोष का एक बार मेरठ से लौटते समय बस में एएमयू में पढ़ाई कर रहे सहारनपुर निवासी छात्र आलमगीर से विवाद हो गया था। इसमें आशुतोष के चोट आई थी। आलमगीर उस समय प्राक्टोरियल टीम के नजदीक भी रहता था। इसके चलते परिसर में उसकी भी छात्रों में ठीक चलती थी। आशुतोष से विवाद होने पर मुनीर ने उसे ठिकाने लगाने की योजना बनाई।18 सितंबर 2015 को मुनीर ने सहारनपुर के चिलकाना रोड स्थित अजीज कालोनी निवासी आलमगीर की एएमयू में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी।

लूट से दहला दिया था शहर

मुनीर गैंग ने अलीगढ़ में यूं तो कई घटनाओं को अंजाम दिया, लेकिन लूट की घटनाओं से दहला दिया था। मुनीर गैंग ने 23 जनवरी 2014 को मीनाक्षी पुल के पास इंडस बैंक का 31,44,190 रुपये लूटे थे। नोएडा एसटीएफ ने जब मुनीर को गिरफ्तार किया तब उसने आशुतोष के साथ लूट की बात स्वीकारी थी। इस मामले में आशुतोष और मुनीर की गिरफ्तारी हुई थी। दोनों तिहाड़ जेल में रहे। 2014 को ही मुनीर गैंग ने रेलवे रोड पर गार्ड को गोली मारकर 35 लाख रुपये की लूट की थी।

अलीगढ़ की टीम ने गिरफ्तार किया था दो लाख काइनामी मुनीर

कारोबारी फहद की हत्या के बाद पुलिस आशुतोष को ही गिरफ्तार कर पाई थी। मुनीर भागने में सफल रहा था। फरारी के दौरान ही उसने एएमयू छात्र आलमगीर की हत्या की थी। दो अप्रैल 2016 को तंजील दंपती की हत्या में सात अप्रैल को उसका नाम सामने आया था। मुनीर की गिरफ्तारी के लिए उस समय अलीगढ़ पुलिस में तैनात तेजतर्रार थाना प्रभारी अजय कौशल, एसओजी में कार्यरत राकेश यादव, दुर्विजय सिंह व फिरोज खान को एसटीएफ लखनऊ यूनिट से संबद्ध किया गया। इन चारों ने दो महीने के प्रयास के बाद मुनीर को 26 जून को नोएडा-गाजियाबाद बार्डर स्थित एक मकान से गिरफ्तार किया था। तब मुनीर पर दो लाख का इनाम था। अलीगढ़ टीम ने मुनीर को गिरफ्तार करने से पहले उसके साथी अतीउल्लाह को नेपाल से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाया। टीम के सामने मुनीर को पकड़ने की सबसे बड़ी चुनौती ये भी थी कि वह मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करता था। उसे किसी से बात करनी होती थी तो सीधे उसके पास पहुंचकर बात करता था। इसके लिए पुलिस ने मुनीर के कुछ ऐसे संपर्क टीम ने रडार पर लिए, जिनके विषय में उम्मीद थी कि कभी तो मिलने आएगा। उसी के सहारे यह सफलता मिली थी।

पकड़ में नहीं आ सका मुनीर का साथी सऊद

उस समय के मुनीर गैंग के 50 हजार का इनामी सऊद आज भी फरार है। उसके दुबई भागने की बात कही गई थी। सऊद को दुबई से लाने के लिए अलीगढ़ टीम के पासपोर्ट तक बनवाए गए। बाद में टास्क टूट गया और आज तक सऊद की गिरफ्तारी नहीं हो सकी।

ब्लाक पिस्टल भी थी पसंद

2016 में मुनीर गिरफ्तारी के बाद सितंबर माह में अलीगढ़ पुलिस की रिमांड पर आया। उसने अलीगढ़ से जुड़े सभी अपराध स्वीकारे। आखिरी बार वह 2018 में पेशी पर आया। तब उसने पुलिस से हुई बातचीत में कहा था कि उसकी इच्छा एके-47 हासिल करना था। उसे ब्लाक पिस्टल पसंद थी। पिस्टल लूट के उद्देश्य से ही उसने रेलवे मजिस्ट्रेट के गनर और दिल्ली में एक सिपाही की हत्या की थी। एसटीएफ व पुलिस की पूछताछ में मुनीर ने अलीगढ़ में किए लूट, हत्या व जान लेवा हमले के 27 अपराध स्वीकार किए थे।

तहरीर लिखने पर ही मुनीर ने मान लिया था दुश्मन

आलमगीर की हत्या के बाद उस समय से पीएचडी कर रहे डा. शहंशाह खान ने मुकदमा पंजीकृत कराने के लिए तहरीर लिखी थी। मुनीर को जब इसकी जानकारी हुई तो उसने शहंशाह खान को ही दुश्मन मान लिया। बदला लेने के लिए कई बार हमला कराने की भी कोशिश की। तब शहंशाह ने तत्कालीन एसएसपी राजेश पांडेय की मदद ली थी। मुनीर गैंग पर कार्रवाई की मांग भी की थी। शहंशाह खान ने बताया कि मुनीर के रूप में खौफ का अंत हुआ है। इससे उन छात्रों को राहत मिली है जो कभी उसके निशाने पर रहते थे।

इनका कहना है

मुनीर ने अलीगढ़ में हुई घटनाओं में शामिल रहा। सभी केस ट्रायल पर हैं। उसके अन्य साथियों को सजा दिलाने के लिए पुलिस काम कर रही है। इस मामले में विधिक राय भी ली जाएगी।

- कलानिधि नैथानी, एसएसपी

chat bot
आपका साथी