सुभाष चंद्र बोस जयंती : जानिए जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को अलीगढ़ के एक सेठ ने 101 रुपये व एक कनस्‍तर तेल दिया तब नेताजी ने क्‍या किया

एक बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सेठ ने नेताजी को 101 रुपये की थैली व एक तेल का कनस्तर भेंट किया। रुपये तो नेताजी ने स्वीकार कर लिए क्योंकि उन्हें दौरे में दो गाडिय़ों के लिए पेट्रोल के लिए धन की जरूरत थी। कनस्तर वापस कर दिया।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sun, 23 Jan 2022 09:22 AM (IST) Updated:Sun, 23 Jan 2022 09:45 AM (IST)
सुभाष चंद्र बोस जयंती : जानिए जब नेता जी सुभाष चंद्र बोस को अलीगढ़ के एक सेठ ने 101 रुपये व एक कनस्‍तर तेल दिया तब नेताजी ने क्‍या किया
गुलाम भारत में जोश भरने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ में भी गरजे थे।

विनोद भारती, अलीगढ़ । 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'- यह नारा देकर गुलाम भारत में जोश भरने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ में भी गरजे थे। खैर, लोधा, जवां का दौरा किया। कांग्रेस से अलग होने के बाद उन्हें आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक पार्टी की स्थापना की। 1940 में देश का तूफानी दौरा कर यहां मालवीय पुस्तकालय में जनसभा को संबोधित करने आए। जिलेभर के युवा व आजादी के मतवाले उन्हें सुनने के लिए पहुंचे। नेताजी ने जंग-ए-आजादी में कूदने का आह्वान लोगों से किया। कहा था कि आजादी मांगने से नहीं मिलेगी, छीनने से मिलेगी।

1943 में आजाद हिंद फौज का गठन

आजाद हिंद फौज का गठन (1943) करने से काफी पहले ही नेताजी व महात्मा गांधी के बीच कुछ विवाद हो गया। उन्होंने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़कर फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। स्पष्ट किया कि फारवर्ड ब्लाक कांग्रेस में रहकर ही काम करेगा। नेताजी ने देश के कई हिस्सों में घूमकर लोगों में आजादी के प्रति जागृत किया। 1940 में जिले के स्वतंत्रता सेनानी ठा. नवाब सिंह चौहान व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें अलीगढ़ आने का बुलावा भेजा। नवाब सिंह चौहान के पुत्र योगेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी हरपाल सिंह व रामगोपाल आजाद उन्हें लेने के लिए हापुड़ पहुंचे, लेकिन वहां पर उन्नाव के विशंभर दयाल त्रिपाठी की आज्ञा प्राप्त कर खैर के बांकेलाल शर्मा पहले ही मौजूद थे। इसके बाद सुभाषचंद्र बोस खैर व लोधा होते हुए अलीगढ़ पहुंचे। खैर व लोधा में उनका स्वागत हुआ।

भेंट किया 101 रुपया और तेल का कनस्तर

एक बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ आए थे तो एक सेठ श्रीचंद सिंघल के यहां रुके। सेठ ने नेताजी को 101 रुपये की थैली व एक तेल का कनस्तर भेंट किया। रुपये तो नेताजी ने स्वीकार कर लिए, क्योंकि उन्हें दौरे में दो गाडिय़ों के लिए पेट्रोल के लिए धन की जरूरत थी। कनस्तर वापस कर दिया। यहां भोजन किया। इसके बाद जवां क्षेत्र के गांव नगौला पहुंचे। यहां नेताजी का स्वागत हुआ। ग्रामीण नेताजी से मिलकर गदगद हो गए।

सशस्त्र लड़ाई का समय

गांव नगौला के बाद नेताजी की मालवीय पुस्तकालय में बड़ी जनसभा हुई। अध्यक्षता मलखान सिंह ने की थी। इसका प्रबंधन भूदेव शर्मा होटल वालों ने किया। नंद कुमार देव वशिष्ठ, काशी प्रसाद फतेहपुर, डा. महाराज सहाय सक्सेना, नवाब सिंह चौहान, रमाशंकर याज्ञिक, माता कृष्णा दुलारी समेत काफी स्वतंत्रता सेनानी इसमें शामिल हुए। नेताजी के भाषण से हर व्यक्ति के मन में आजादी की हूक उठी। नेताजी ने कहा था कि महात्मा गांधी के अङ्क्षहसा के रास्ते पर चलकर आजादी मिलने में समय लगेगा। अब अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेडऩे का समय आ गया है। यहां से नेताजी हाथरस चले गए, जहां आर्य समाज मंदिर में सभा हुई। मुरलीधर पोद्दार ने उन्हें उनका चित्र भेंट किया, जिसे डा. मलखान सिंह ने नीलामी में 51 रुपये में प्राप्त कर लिया। उसी दिन नेताजी आगरा प्रस्थान कर गए। इसके बाद नेताजी का दोबारा आना नहीं हुआ।

सुभाष चौक की स्थापना

1997 में आजादी की 50वीं वर्षगांठ व नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती (23 जनवरी) पर अहिंसा फाउंडेशन ने घंटाघर के पास नेताजी की प्रतिमा की स्थापना व सुभाष चौक का सुंदरीकरण अपनी धनराशि से कराया।

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