'जवानों जीत के दिखाओ'... पहला क्रिकेट वर्ल्‍ड कप जीत रचा था इतिहास Aligarh news

25 जून 1983 को उस दिन गेंदबाजी करने उतरी भारतीय टीम से कपिल देव ने एक ही लाइन बोली कि जवानों जीत के दिखाओ.. इस लाइन ने बनाया वर्ल्‍ड चैंपियन।

By Parul RawatEdited By: Publish:Thu, 25 Jun 2020 12:40 PM (IST) Updated:Thu, 25 Jun 2020 12:40 PM (IST)
'जवानों जीत के दिखाओ'... पहला क्रिकेट वर्ल्‍ड  कप जीत रचा था इतिहास Aligarh news
'जवानों जीत के दिखाओ'... पहला क्रिकेट वर्ल्‍ड कप जीत रचा था इतिहास Aligarh news

अलीगढ़, [गौरव दुबे]। 'जवानों जीत के दिखाओ'... मात्र चार शब्दों की इस लाइन ने क्रिकेट जगत में भारत को शिखर पर पहुंचा दिया था। यहां बात हो रही है क्रिकेट वर्ल्‍ड कप 1983 की। कपिल देव की अगुवाई में जब भारतीय टीम 60 ओवर में 183 रन बनाकर ऑलआउट हुई तो किसी ने नहीं सोचा था कि वेस्टइंडीज के क्लाइव लॉयड, गार्डन ग्रीनिज जैसे धुरंधर बल्लेबाजों से सजी टीम के सामने लक्ष्य को बचा पाएगी, मगर 25 जून 1983 को उस दिन गेंदबाजी करने उतरी भारतीय टीम से कपिल देव ने एक ही लाइन बोली कि 'जवानों जीत के दिखाओ'... इस लाइन ने बनाया वल्र्ड चैंपियन। इसके बाद कई उतार-चढ़ाव से भरे रोमांचक मैच में भारतीय टीम ने जीतोड़ लड़ाई लड़ी और अंत मेंं विश्वकप भारत की मुटठी में आ गया। यह वो कारनामा था जिसकी उम्मीद क्रिकेट पंडितों से लेकर, वेस्टइंडीज व कई भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने भी नहीं की थी। उस दौर में रेडियो पर कमेंट्री सुनने के शौकीन व क्रिकेट प्रेमी 75 वर्षीय शराफत उल्लाह ने सांसें रोक देने वाले फाइनल मुकाबले के कुछ यादगार रोमांचक पलों को दैनिक जागरण टीम से साझा किया।

जब खाना खाकर सो गए थे चाचा

बाबरी मंडी निवासी शराफत चाचा ने बताया कि उस समय टीवी था, मगर प्रसारण देख पाना मुश्किल होता था। दोपहर तीन से साढ़े तीन बजे शुरू हुए फाइनल मैच को रेडियो पर सुना था। फाइनल में भारत के 183 रन पर निराशा हुई तो रेडियो बंद कर खाना खाकर सो गए। वेस्टइंडीज की पारी के 10 से 15 ओवर होने के बाद घर वालों ने जगाया और कहा, अरे रेडियो चलाओ और सुनो। भारतीय टीम हावी है। तब रेडियो खोला तो जीत के बाद ही बंद हुआ। सांसें थाम देने वाले मैच में रात का खाना आया तो घर वालों को भी फटकार दिया और खाना वापस कर दिया था। जीत के बाद मिठाई खाकर सो गए थे।

लाला व कपिल का खास योगदान

चाचा बताते हैं कि, लाला अमरनाथ की गेंद पर कपिल देव ने विवियन रिचर्ड का शानदार व यादगार कैच लपक कर मैच का रुख पलट दिया। टीम के अलावा इन दोनों का खास योगदान रहा मैच जीतने में। हर ओवर में रोमांच होता था कि इस गेंद पर ये हो जाए, अगली गेंद पर वो हो जाए.. आदि आदि..।

इंडोर स्टेडियम में मना था जश्न

शराफत बताते हैं कि जीत के बाद दिल्ली के इंडोर स्टेडियम में लता मंगेशकर, दिलीप कुमार, सायरा बानो सभी आए थे। वहां भारतीय टीम की जीत का जश्न मनाया गया था।

गार्डन ग्रीनिच बोल्ड हुए तो बिखर गई चाय

अलीगढ़ क्रिकेट अकादमी के कोच अजय शर्मा बताते हैं कि आठ वर्ष की उम्र में वो रघुवीर सहाय इंटर कॉलेज के शिक्षक ज्ञानेश चंद्र सक्सेना के घर पर मैच देख रहे थे। जब गार्डन ग्रीनिच को बलविंदर सिंह संधू ने बोल्ड किया तो ज्ञानेश जी उछल पड़े। उनके हाथ मेें चाय का कप था, चाय कमरे में फैल गई थी। ये गेंद उनको आज भी याद है।

क्रिकेट प्रेमियों का मिजाज बदला

आइपीएल क्रिकेटर रिंकू सिंह का कहना है कि क्रिकेट में तब भी रोमांच था अब भी है। पहले मैच भी कम होते थे, जिससे प्रदर्शन प्रभावित नहीं होता था। अब 50-50, 20-20, टेस्ट व आइपीएल जैसी प्रतिस्पर्धाएं हैं। इनमें सामंजस्य बैठाना चुनौती होता है। मगर समय के साथ क्रिकेट प्रेमियों का मिजाज बदला है। उस हिसाब से खुद को ढालना होगा। क्रिकेटर कुणाल वाष्र्णेय का कहना है कि 1983 के मैच के बारे में घर पर बड़ों से व कोच सर से सुनता हूं तो लगता है कितना दबाव झेला होगा टीम ने। ऐसे ऐतिहासिक क्षणों से बेहतर करने की प्रेरणा मिलती है।

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