Harmful : रासायनिक खाद से किसानों का मोह नहीं हो रहा भंग, मिट्टी ही नहीं फसलों की गुणवत्‍ता भी हो रही प्रभावित

Harmful रासायनिक खाद से किसानों का मोह भंग नहीं हो रहा है। हर वर्ष लक्ष्‍य से अधिक खाद खेतों में खपा दिया जाता है। जबकि रासायनिक खाद से मिट्टी ही नहीं फसलों की गुणवत्‍ता भी प्रभावित होती हैै। बावजूद इसके किसान इसका प्रयोग कर रहे हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Mon, 08 Aug 2022 05:02 PM (IST) Updated:Mon, 08 Aug 2022 05:31 PM (IST)
Harmful : रासायनिक खाद से किसानों का मोह नहीं हो रहा भंग, मिट्टी ही नहीं फसलों की गुणवत्‍ता भी हो रही प्रभावित
प्राकृतिक खेती की दिशा में सरकारी प्रयासों के बाद भी रासायनिक खाद पर किसानों की निर्भरता बढ़ती जा रही है।

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ । Harmful : प्राकृतिक खेती की दिशा में सरकारी प्रयासों के बाद भी रासायनिक खाद पर किसानों की निर्भरता बढ़ती जा रही है। हर वर्ष लक्ष्य से अधिक खाद खेतों में खपा दिया जाता है। किसान भी जानते हैं कि अत्याधिक रासायनिक खाद से मिट्टी ही नहीं, फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है फिर भी मोह नहीं छोड़ रहे। 

ऐसे भी जागरूक किसान हैं, जो chemical fertilizer त्याग चुके हैं और लंबे समय से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। ऐसे किसानों की संख्या कम है। जैविक उत्पाद के लिए उपयुक्त बाजार न मिलना इसका कारण बताया जा रहा है।

सहकारी समितियों और निजी प्रतिष्ठानों पर रासायनिक खाद की उपलब्धता पर प्रशासन का जोर रहता है। खाद वितरण के हर फसली सीजन में लक्ष्य तय होते हैं। ये लक्ष्य खाद निर्माता कंपनियों को दिए जाते हैं।

इस खरीफ सीजन में रासायनिक खाद का लक्ष्य 1,06,109 मीट्रिक टन है। इसमें यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य निर्धारित हैं। बीते सात chemical fertilizer का कुल लक्ष्य 80 हजार मीट्रिक टन था। लक्ष्य से अधिक एक लाख मीट्रिक टन खाद खेतों में खप गया। किसानों का मानना है कि रासायनिक खाद से उत्पादन अच्छा होता है। किसानों के ये मिथक कृषि वैज्ञानिक अपने शोध में तोड़ चुके हैं।

क्वार्सी स्थित कृषि फार्म पर हुए शोध में स्पष्ट था कि प्राकृतिक खेती से कम लागत में बेहतर उत्पादन हुआ। कृषि अधिकारी रागिब अली बताते हैं कि गेहूं पर शोध हुआ था। एक हेक्टेयर में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर गेहूं की खेती की गई और एक हेक्टेयर में रासायनिक खाद का उपयोग कर गेहूं उगाया गया। प्राकृतिक खेती से 42 कुंतल पैदावार हुई, लागत 1200 रुपये आई। रासायनिक खाद आधारित खेती में 40 कुंतल उपज हुई और लागत छह हजार रुपये आई। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। कुछ किसान प्राकृति खेती कर भी रहे हैं।

रासायनिक खाद से नष्ट होते जीवांश कार्बन : उप कृषि निदेशक (शोध) डा. वीके सचान बताते हैं कि रासायनिक खाद के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में जीवांश कार्बन नष्ट होते हैं। यही जीवांश कार्बन मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं। कम से कम 0.51 से 0.80 प्रतिशत तक जीवांश कार्बन मिट्टी में होने चाहिए। यहां मिट्टी में अनुमानित 0.30 प्रतिशत जीवांश कार्बन हैं। मृदा परीक्षण की रिपोर्ट के अनुसार अलीगढ़ मंडल में 0.21 (अति न्यूनतम) प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली 13 प्रतिशत भूमि है। 0.21 से 0.50 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली 80 प्रतिशत भूमि है। छह प्रतिशत भूमि ही 0.51 प्रतिशत जीवांश कार्बन वाली बची है।

रासायनिक खाद का लक्ष्य

खाद, लक्ष्य (मीट्रिक टन में)

यूरिया, 77,632,

डीएपी, 22,176

एमओपी, 5,358

एनपीके, 473

एसएसपी, 470

इनका कहना है

रासायनिक खाद की मांग बढ़ रही है। किसानों की मांग के अनुसार खाद उपलब्ध कराया जाता है। जनपद में पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है।

- अभिनंदन सिंह, जिला कृषि अधिकारी

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