हस्तकला के हुनर से बढ़ाया हौसला

लोकेश शर्मा अलीगढ़ बदलते परिवेश में ग्रामीण महिलाएं भी खुद को ढालना सीख रही हैं। जो ढ

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 02:13 AM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:09 AM (IST)
हस्तकला के हुनर से बढ़ाया हौसला
हस्तकला के हुनर से बढ़ाया हौसला

लोकेश शर्मा, अलीगढ़ : बदलते परिवेश में ग्रामीण महिलाएं भी खुद को ढालना सीख रही हैं। जो ढल चुकी हैं, वे दूसरी महिलाओं का हौसला बढ़ा रही हैं। पड़ियावली की शीतल गौतम इन्हीं में एक हैं। हस्तकला के हुनर से उन्होंने गांव की कई महिलाओं को स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराए हैं। अब वह महिलाओं के 10 समूह चला रही हैं, इनमें 120 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन महिलाओं की बनाईं वस्तुएं प्रदर्शनियों में सजाई जाती हैं। पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

मडराक क्षेत्र के गांव पड़ियावली की शीतल ने 2019 में एक समूह से शुरुआत की थी, जिसमें 20 महिलाएं थीं। इन महिलाओं को घरेलू साज-सज्जा की वस्तुएं बनाना सिखाया। प्रशिक्षित हो चुकीं महिलाओं की बनाई वस्तुएं प्रदर्शनी में सजने लगीं और बिक्री भी होने लगी, तब अन्य महिलाओं ने समूह से जुड़ना शुरू कर दिया। शीतल बताती हैं कि शुरुआत में घर-घर जाकर महिलाओं को जोड़ना शुरू किया था। काफी परेशानियां सामने आईं। गांव के परिवेश में महिलाओं को इतनी आजादी कहां मिलती है। परिवार के लोगों को समझाया, तब अनुमति मिली। अब समझाना नहीं पड़ता, लोग हालातों को समझने लगे हैं। कोरोना संकट ने लोगों की सोच बदल दी है। यही वजह है कि अब वह 120 महिलाओं के 10 समूह चला रही हैं। 'नारी प्रतिष्ठा स्वयं सहायता समूह' की वह अध्यक्ष हैं। महिलाओं को स्वरोजगार दिलाने के अब तक के प्रयास सफल रहे हैं। प्रशिक्षित महिलाएं अपनी बेटियों को यह हुनर दे रही हैं। हुनर के अफसर भी कायल

समूह द्वारा बनाई गई वस्तुओं की सरकारी कार्यक्रम, नुमाइश, दीवाली मेले में प्रदर्शनी लगती है। महिलाओं द्वारा इस बार मिट्टी के दीये, सुराही, गुल्लक, आकर्षक थैले, बंदरवान, फुटपैड बनाए गए हैं। शीतल ने बताया कि समूह द्वारा बनाए मास्क की गुणवक्ता की काफी प्रशंसा हुई थी। महिलाएं सरकारी स्कूलों की यूनीफार्म की सिलाई का काम भी कर रही हैं। सरकारी विभागों ने उनके बनाए थैलों की बिक्री होती है। जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने भी समूह के कार्यों को सराहा था। गरीब बच्चों को शिक्षा

शीतल का कहना है कि वह गांव के गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा देना चाहती हैं। इसके लिए कोचिग शुरू करने की योजना है। गांव की पढ़ी-लिखी महिलाओं की मदद से वह यह कार्य करेंगी। कोरोना संकट के चलते सरकारी प्राइमरी स्कूल भी बंद हैं। ऐसे में बच्चों को काफी मदद मिलेगी।

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