लॉकडाउन में देवदूत बने मेडिकल स्टोर कर्मचारी

असहज स्थितियों में कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने अपने कारोबार से ज्यादा जान बचाने की जिम्मेदारी पर अधिक ध्यान दिया। दवा संबंधित मरीज तक कैसे पहुंची यह प्राथमिकता रखी। ऐसी जिम्मेदारियों में एलाइड मेडिकल स्टोर के कर्मचारी भी आगे रहे।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 09:05 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 09:05 PM (IST)
लॉकडाउन में देवदूत बने मेडिकल स्टोर कर्मचारी
दवा संबंधित मरीज तक कैसे पहुंचे, यह प्राथमिकता रखी।

अलीगढ़, जेएनएन। किसी गंभीर बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को समय पर दवा न मिले तो क्या हाल होगा? इसका अंदाजा आप सहज लगा सकते हैं। ऐसे में निश्चित ही जरूरी दवा मेडिकल स्टोर से लाकर देना पहली जिम्मेदारी होगी, लेकिन यदि बाजार ही बंद हो तो? तय है संकट बढ़ जाता है। लॉकडाउन के समय लोगों का आना-जाना ही बंद था। बाजारों में सन्नाटा। मेडिकल स्टोर कहीं-कहीं खुले, लेकिन आने-जाने के संसाधन भी बंद। असहज स्थितियों में कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने अपने कारोबार से ज्यादा जान बचाने की जिम्मेदारी पर अधिक ध्यान दिया। दवा संबंधित मरीज तक कैसे पहुंचे, यह प्राथमिकता रखी। ऐसी जिम्मेदारियों में एलाइड मेडिकल स्टोर के कर्मचारी भी आगे रहे।

थम गया था सब कुछ

22 मार्च को जनता कफ्र्यू वाले दिन तो कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था। इसके बाद लॉकडाउन के साथ सब कुछ बंद हो गया। लोगों की जिंदगी की रफ्तार थम गई। चिकित्सकों की प्रक्टिस बंद हो गई। वाणिज्यक प्रतिष्ठान व बाजारों  को बंद कर दिया। आवश्यक सेवाओं के लिए प्रशासन ने अनुमति के लिए दरबार खोले तो कनवरीगंज स्थित एलाइड मेडिकल स्टोर के मालिक देवेंद्र कुमार जैन भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने मेडिकल स्टोर तो खोल दिया, लेकिन पुलिस के सख्त पेहरा के चलते लोग गलियों से बाहर नहीं आ रहे थे। ऐसे में जैन ने अपने कर्मचारियों की एक टीम बनाई। चिकित्सीय  सेवा (दवा की होम डिलेवरी)  के लिए शहर के लोगों के तमाम वाट्ससएप ग्रुप पर प्रचार प्रसार किया। स्टोर पर काम करने वाले कर्मचारियों के आवागमन के लिए अनुमति पत्र भी प्रशासन से जारी कराए। मरीजों के पर्चे वाटस पर मंगा कर उनके घरों तक दवा पहुंचाई। यह काम बिना होम डिलीवरी चार्ज के किया। दवा की एमआरपी पर 10 फीसद की छूट दी। 59 दिन तक सख्त लॉकडाउन में यह क्रम चलता रहा। पुराने शहर के लोगों के लिए यह कर्मचारी किसी देव दूत से कम नहीं थे।

अनुभव का लाभ लॉकडाउन में मिला

देवेंद्र कुमार जैन ने एलाइड मेडिकल स्टोर की स्थापना जून 1970 में कनवरीगंज में हुई। इनके  पिता डॉ. अचरज लाल जैन पेशेवर चिकित्सक थे। इनका एक मात्र मेडिकल स्टोर भी था। 1973 में डॉ. अचरज का निधन हो गया।  क्लीनिक पर आने वाले मरीजों की सेवा देवेंद्र कुमार जैन करने लगे। उन्होंने अपने बेटे नितिश जैन को एम. फार्मा कराया। ताकि मरीजों को दवा का सुझाव भी दे सकें। इस अनुभव का लाभ लॉकडाउन में जमकर मिला।

 हमारा लक्ष्य हमेशा समाजसेवा का रहा। लॉकडाउन में तमाम पारंपरिक मरीजों को दवा नहीं मिल रही थी, तब हमने दो अप्रैल से होम डिलीवरी की सुविधा शुरु की। दवा की एमआरपी पर १० फीसद तक छूट दी गई।

-देवेंद्र कुमार जैन, मालिक, एलाइड मेडिकल स्टोर, कनवरीगंज

देवेंद्र जैन का दवा कारोबार क्षेत्र में बड़ा नाम

देवेंद्र कुमार जैन का दवा कारोबार क्षेत्र में बड़ा नाम है। रिटेल काउंटर के साथ इनका थोक दवा की सप्लाई भी होती है।50 साल पहले १५ हजार रुपये से शुरू हुई इस फर्म का चार करोड़ रुपये सालाना टर्न ओवर है।40 दवा कंपनियों की डीलरशिप भी है।

 जैडिक जैल है खुद का ब्रांड

देवेंद्र कुमार जैन के बेटे नितिश जैन ने खुद का ब्रांड जैडिक जैल तैयार किया है। डॉ. एएलएस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की मेन्युफैक्चङ्क्षरग कंपनी है। दर्द निवारक इस जैल का क्षेत्रीय बाजार के साथ गाजियाबाद सहित तमाम जिले व राज्यों में डीलरशिप दी हुई है।

 

समाज के लोगों को 15 फीसद छूट  

देवेंद्र जैन समाज सेवा में भी अग्रणी रहते हैं। वे उदय ङ्क्षसह जैन कन्या इंटर कॉलेज के प्रबंधक हैं। श्री वर्धमान दिगंबर जैन मंदिर पालकी खाना के प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष हैं। वे दवा खरीद पर समाज के लोगों को १५ फीसद छूट देते हैं।

 दवा कारोबार को समाजसेवा से भी जोड़ा है। मुनाफा कम कर गरीबों की भी समय समय पर सेवा करते हैं। लॉकडाउन के समय जब स्टोर के कर्मचारी दवा होम डिलीवरी के लिए जाते थे, तब ऐसे लोग भी होते थे, जिनकी कॉल नहीं होती थी। उन्हें भी दवा दी गई।

- नितिश जैन,  निदेशक, डॉ. एएलएस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड

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40 साल से दवा ले रहा हूं। लॉक डाउन के समय हल्का बुखार, खांस या दर्द होने पर  जैन को मोबाइल कर दवा मंगाई। इनके कर्मचारी घर पहुंचकर दवा देकर गए।

- गोपाल दास, महावीरगंज

 लॉक डाउन में दवा की दिक्कत होने पर मोबाइल कर मेडिकल स्टोर से सेवा ली गई। समय पर दवा मिलने से राहत मिल पाई।

- अशोक कुमार,  कनवरीगंज

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