विकास से कोसों दूर है गभाना

अलीगढ़ : जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर व तहसील मुख्यालय बने गभाना गांव के ग्रामीण विकास की

By Edited By: Publish:Sun, 07 Feb 2016 01:59 AM (IST) Updated:Sun, 07 Feb 2016 01:59 AM (IST)
विकास से कोसों दूर है गभाना

अलीगढ़ : जिला मुख्यालय से करीब 22 किलोमीटर दूर व तहसील मुख्यालय बने गभाना गांव के ग्रामीण विकास की किरण को देखने से आज भी कोसों दूर हैं। जगह-जगह लगे गंदगी के ढ़ेर, बजबजाती नालियां, सड़कों पर बहता नालियों का गंदा पानी, जर्जर पशु अस्पताल, विद्यालय, जर्जर बिजली के तार गांव की बदहाली व सरकारी उपेक्षा की कहानी बयां करने को काफी हैं। ऐसे में ग्रामीण विकास की उम्मींद ही छोड़ चले हैं।

गन्ना अधिकारी ने लिया है गोद

करीब दस हजार की मिश्रित आबादी वाले गभाना गाव को जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार ने करीब डेढ़ साल से गोद ले रखा है। गांव को गोद लेने पर ग्रामीणों को समस्याओं के जल्द समाधान के साथ ही गांव के विकास की उम्मींद बनी थी, लेकिन उनकी आस अब टूट चुकी है। गांव में कहीं विकास तो नही दिखता, समस्याएं सुरसा के मुंह की तरह दिखाई पड़ती हैं।

नहीं बदले हालात

जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार कई बार गांव का दौरा कर चुके हैं सुधार की तमाम योजनाएं भी बनाई लेकिन उसके बेहतर नतीजे अभी तक सामने नही आ सके हैं।

72 बच्चे कुपोषित

गांव में संचालित छह आंगनबाड़ी केंद्रों पर नामांकित 876 बच्चों में से कुल 74 कुपोषित बच्चे चिह्नांकित किए गए थे, जिनमें से 44 कुपोषण के मापदंडों से बाहर निकल चुके हैं तो 30 बच्चों का अभी भी आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य विभाग की आशा व एएनएम की देखरेख में चिकित्सकीय उपचार करा रहे हैं।

विकास कार्य में पिछड़ा

कई साल पहले गभाना अंबेडकर ग्राम योजना में रह चुका है, लेकिन विकास के किसी भी पटल पर वह आज तक संतृप्त नहीं हो सका है। गांव की सीमेंटेड सड़कें मरम्मत व रखरखाव के अभाव में खस्ता हालत में पहुंच गई हैं तो वहीं ग्रामीण मुख्य मार्गो पर अपने पशुओं को बांधे रखते हैं, जिससे वहां अतिक्रमण के साथ गंदगी भी फैली रहती है।

गंदगी के ढ़ेर

गांव में प्रवेश से लेकर अंबेडकर चौक, महादेव मंदिर, प्राथमिक विद्यालय नं एक व दो, कालेज रोड़, पैंठ बाजार, दुर्गा मंदिर मार्ग, श्रेयस ग्रामीण बैंक, सोमना ड्रेन नाले के साथ तमाम जगहों पर गंदगी के ढेर लगे पड़े हैं। गंाव में तैनात सफाई कर्मी कभी दिखाई नही पड़ता है, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना बनी रहती है।

बदहाल पशु व स्वास्थ्य केंद्र

गांव में बना पशु चिकित्सालय गिरासू अवस्था में है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पर्याप्त चिकित्सक व स्टाफ की तैनाती न होने से ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं।

शिक्षा : प्राथमिक विद्यालय न एक में 126 व दो में 106 तथा जूनियर हाईस्कूल में 55 बच्चों को पढ़ाने के लिए यहां शिक्षकों की पूरी फौज तैनात है, लेकिन शिक्षा का स्तर गिरा हुआ है। तीनों विद्यालयों में शौचालयों की स्थिति दयनीय है। मजबूरी में बच्चों को खुले में जाना पड़ता है। चार हैंडपंपों में से भी दो खराब पड़े हुए है।

पब्लिक बोल

जिला स्तरीय अधिकारियों के गांव को गोद लेने के बाद गांव के विकास जो आशाएं थी वो व्यर्थ चली गई हैं। गांव का कोई विकास नहीं हो सका है।

-सतपाल सुमन ग्रामीण

गांव की समस्याओं को हल कराने व विकास के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा हूं। आला अधिकारियों से भी मिलकर गांव के हालत सुधारने की मांग कर चुका हूं।

-हरिश्चंद्र ग्राम प्रधान गभाना

इनका कहना है

गांव के अतिकुपोषित बच्चों में से आधे से अधिक बच्चे पर्याप्त देखभाल व चिकित्सकीय मदद से अब कुपोषित बच्चों की श्रेणी से बाहर आ चुके हैं। शेष बच्चों को भी इलाज व अभिभावकों की मदद से कुपोषण से बचाने के प्रयास जारी हैं।

-संजीव सिंह, सीडीपीओ चंडौस

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गांव में विकास कार्यो का खाका तैयार किया गया है, लेकिन अभी तक बजट न मिल पाने के कारण विकास कार्य शुरू नहीं हो सके हैं।

-सुशील कुमार, जिला गन्ना अधिकारी

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