श्रीराम ने किया अहिल्या का उद्धार

By Edited By: Publish:Tue, 01 Oct 2013 02:28 AM (IST) Updated:Tue, 01 Oct 2013 02:29 AM (IST)
श्रीराम ने किया अहिल्या का उद्धार

अलीगढ़ : धरती पर प्रभु के अवतार लेने के बाद अब वे असुरों का संहार करने के लिए बढ़ चले है। अचलताल स्थित रामलीला में सोमवार को प्रभु श्रीराम ने ताड़का समेत कई राक्षसों का वध किया। राक्षसों से पीड़ित ऋषि-मुनि की मदद की। उन्हें भरोसा दिलाया कि अब वे आ चुके हैं इसलिए निश्चिंत होकर हवन-यज्ञ करें। रामलीला में सबसे पहले प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण की आरती उतारी गई। मथुरा से आई श्री आदर्श रामलीला मंडली के कलाकारों ने लीला का मंचन शुरू किया। राजा दशरथ अपने चारों पुत्रों को निहार कर खुश हो रहे थे। अब उनका पूरा जीवन आराम से व्यतीत होगा। इसीबीच विश्वामित्र राज दरबार में पहुंचते हैं। वे राजा दशरथ से उनके पुत्र राम और लक्ष्मण को वन में ले जाने की मांग करते हैं। राजा दशरथ इतना सुनते ही व्याकुल हो जाते हैं। वे कहते हैं कि हे ऋषिवर यदि आप चाहो तो मुझे वन में ले चलो, मैं राक्षसों से ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाऊंगा। मगर विश्वामित्र राजन की बात नहीं मानते हैं। अंत में गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पर राजा दशरथ अपने दोनों पुत्रों राम-लक्ष्मण को भेज देते हैं। जंगल में राम ताड़का का वध करते हैं। यहां से राक्षसों का वध करने के बाद विश्वामित्र अपने दोनों शिष्यों को लेकर जनकपुरी स्वयंवर में शामिल होने के लिए चलते हैं। रास्ते में श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया। जनकपुरी में दोनों भाइयों का भव्य स्वागत किया गया।

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