अब तो हो जाइए सचेत, पूरी तरह से ‘जहरीली’ हो चुकी आगरा की यमुना Agra News

आइआइटी रुड़की से सेवानिवृत्त प्रो. एससी हांडा ने जताई है ताज को लेकर चिंता।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Tue, 26 Nov 2019 01:31 PM (IST) Updated:Tue, 26 Nov 2019 01:31 PM (IST)
अब तो हो जाइए सचेत, पूरी तरह से ‘जहरीली’ हो चुकी आगरा की यमुना Agra News
अब तो हो जाइए सचेत, पूरी तरह से ‘जहरीली’ हो चुकी आगरा की यमुना Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। शहंशाह शाहजहां ने मुमताज की याद में ताज की तामीर को जिस यमुना के तट को चुना था, उसी का जल अब ताज के लिए परेशानियां खड़ी कर रहा है।

इसकी पुष्टि आगरा में हुए आर्किटेक्ट एसोसिएशन की नेशनल कांफ्रेंस में भाग लेने आगरा आए व ताज की सॉइल टेस्टिंग करने वाले आइआइटी, रुड़की से सेवानिवृत्त प्रो. एससी हांडा ने भी की है। उन्होंने ताज से यमुना के दूर होने को अच्छा बताया है। उन्होंने ताज की नींव के लिए यमुना के प्रदूषित जल की अपेक्षा स्वच्छ पानी की व्यवस्था पर जोर दिया था।

ताज के पास सबसे प्रदूषित मिली यमुना

उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की रिपोर्ट में ताज के पास यमुना सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई थी। यह स्थिति नालों के सीधे गिरने व यमुना में सीवेज के बहने से हो रही है। यही वजह है कि उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने यमुना में प्रदूषण की स्थिति पर जनवरी से अगस्त तक की रिपोर्ट जारी की थी। नोएडा, मथुरा, आगरा, फीरोजाबाद, प्रयागराज में 20 स्थलों पर लिए गए यमुना जल के सैंपल पर यह रिपोर्ट आधारित थी।

इसमें ताज के डाउन स्ट्रीम में यमुना सर्वाधिक प्रदूषित मिली थी। यहां टोटल कॉलिफार्म (मानव व जीव अपशिष्ट) का औसत 115625 एमपीएन दर्ज किया गया था। इससे कम यह मथुरा के शाहपुर में 111750 एमपीएन था। इसकी वजह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का सफेद हाथी बनना और नालों का सीधे यमुना में गिरना है। यमुना में 92 नाले गिरते हैं, जिनमें से 31 नगर निगम द्वारा टैप किए जा चुके हैं। 61 नालों को टैप किया जाना है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रलय की बैठक के बाद आठ सितंबर, 2016 से आगरा में लगी तदर्थ रोक भी इस स्थिति के चलते हटना आसान नहीं है। इसमें जल व वायु प्रदूषण को देखा जाता है।

सीवरेज के कारण बन रही अमोनिया

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी कराई है। इसमें यमुना जल के सैंपल भी लिए गए थे। आइआइटी ने अपनी रिपोर्ट में दिए अतिरिक्त सुझावों में बताया है कि ताज के पास यमुना में अमोनिया गैस बन रही है। नदी की यह स्थिति उसमें नालों के सीधे गिरने और सीवरेज के बहने से हो रही है। इससे नदी में हाइड्रोजन सल्फाइड बनने की संभावना कम होगी। जो अत्यधिक संक्षारक गैस है और सैप्टिक या अपशिष्ट जल से उत्सर्जित होती है। सीपीसीबी के प्रभारी अधिकारी कमल कुमार ने बताया कि सोर्स अपोर्शनमेंट स्टडी केवल एक सीजन की है। जब तक सभी सीजन में स्टडी नहीं होती है, तब तक सही स्थिति सामने नहीं आएगी।

टोटल कॉलिफार्म का मानक

टोटल कॉलिफार्म को मोस्ट प्रोबेबल नंबर (एमपीएन) प्रति 100 एमएल में मापा जाता है। पीने के पानी में यह 100 और नहाने के पानी में 500 से अधिक नहीं होना चाहिए। जिस पानी में यह पांच हजार एमपीएन से अधिक हो, उसे ट्रीट नहीं कर सकते हैं।

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