Foundation Day of VHP: स्थापना और अखंड भारत दिवस साथ-साथ मनाएगा विहिप, होगा Corona Protocol का भी पालन

Foundation Day of VHP संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम प्रखंड स्तर पर तय करने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही शारीरिक दूरी के पालन के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 07 Aug 2020 03:11 PM (IST) Updated:Fri, 07 Aug 2020 11:04 PM (IST)
Foundation Day of VHP:  स्थापना और अखंड भारत दिवस साथ-साथ मनाएगा विहिप, होगा Corona Protocol का भी पालन
Foundation Day of VHP: स्थापना और अखंड भारत दिवस साथ-साथ मनाएगा विहिप, होगा Corona Protocol का भी पालन

आगरा, जागरण संवाददाता। अयोध्या में भव्य श्रीराम के मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को रामभक्तों के साथ उत्सव के रूप में मना विहिप अब अपने स्थापना दिवस, अखंड भारत दिवस की तैयारियों में जुट गया है। 11 से 14 अगस्त तक संगठन ने कार्यक्रम अवधि निर्धारित की है। संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम प्रखंड स्तर पर तय करने की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही शारीरिक दूरी के पालन के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।

विहिप की स्थापना 1964 में मुंबई में जन्माष्टमी के दिन हुई थी। स्थापना दिवस पर संगठन भव्य कार्यक्रम करता था, लेकिन इस बार संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रमों की रूपरेखा में परिवर्तन किया गया। स्थापना दिवस और अखंड भारत दिवस के कार्यक्रमों को एक ही साथ करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए प्रखंड स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। विहिप के प्रांत उपाध्यक्ष सुनील पाराशर ने बताया कि आगरा महानगर में विहिप के 40 प्रखंड हैं। हर प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम होगा, लेकिन उसकी रूपरेखा प्रखंड की तय करेगा। अधिकतर आयोजन मंदिर, चौपाल स्तर पर होते हैं। इसमें राम नाम कीर्तन, हनुमान चालीसा पाठ, महाआरती, गोष्ठी सम्मिलित हैं। सभी को शारीरिक दूरी का पालन कर आयोजन करने को कहा गया है। 14 अगस्त को अखंड भारत दिवस संगठन मनाता है, लेकिन ये आयोजन भी संयुक्त रूप से ही किया जाएगा। 

ये है VHP की स्थापना का इतिहास 

विश्व हिन्दू परिषद की स्थापना 1964 में हुई। इसके संस्थापकों में स्वामी चिन्मयानंद, एसएस आपटे, मास्टर मारा सिंह थे। पहली बार 21 मई 1964 में मुबइर् के संदीपनी साधनाशाला में एक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन आरएसएस सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर ने बुलाई थी। इस सम्मेलन में हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध के कई प्रतिनिधि मौजूद थे। सम्मेलन में गोलवलकर ने कहा कि भारत के सभी मताबलंवियों को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हिंदू , हिन्दुस्तानियों के लिए प्रयुक्त होने वाला शब्द है और यह धर्मों से ऊपर है।]सम्मेलन में तय हुआ कि प्रस्तावित संगठन का नाम विश्व हिंदू परिषद् होगा। 1966 के प्रयाग के कुंभ मेले में एक विश्व सम्मेलन के साथ ही इस संगठन का स्वरूप सामने आया। आगे यह फैसला किया गया कि यह गैर-राजनीतिक संगठन होगा और राजनीतिक पार्टी का अधिकारी विश्व हिंदू परिषद का अधिकारी नहीं होगा। संगठन के उद्देश्य और लक्ष्य कुछ इस तरह तय किए गए−

− हिंदू समाज को मजबूत करना

− हिंदू जीवन दर्शन और आध्यात्म की रक्षा, संवर्द्धन और प्रचार 

− विदेशों में रहनेवाले हिंदुओं से तालमेल रखना, हिंदू और हिंदुत्व की रक्षा के लिए उन्हें संगठित करना और मदद करना

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