Jagran Exclusive: तो प्रदेश में कारतूसों की नहीं हो सकेगी निर्बाध बिक्री

एसएसपी ने कारतूसों के सत्यापन में सामने आए तथ्यों के साथ डीजीपी को भेजा प्रस्ताव। 85 फीसद कारतूस गायब प्रस्ताव में कारतूसों की निर्बाध बिक्री पर विराम लगाने की बताई जरूरत।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 19 Mar 2019 12:48 PM (IST) Updated:Tue, 19 Mar 2019 12:48 PM (IST)
Jagran Exclusive: तो प्रदेश में कारतूसों की नहीं हो सकेगी निर्बाध बिक्री
Jagran Exclusive: तो प्रदेश में कारतूसों की नहीं हो सकेगी निर्बाध बिक्री

आगरा यशपाल चौहान। शस्त्र लाइसेंसों पर कारतूसों की फर्जी खरीदारी का खेल अब खत्म होने वाला है। आगरा में 69 शस्त्र लाइसेंसों के कारतूस खरीद के भौतिक सत्यापन से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैैं। इसके बाद एसएसपी अमित पाठक ने पूरे प्रदेश में कारतूसों की निर्बाध बिक्री पर रोक लगाने का प्रस्ताव डीजीपी को भेजा है। उनकी सिफारिशें मानी गईं तो नियमावली में संशोधन कर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।

एसएसपी अमित पाठक ने पिछले दिनों जिले के 69 शस्त्र लाइसेंसों पर लिए गए कारतूसों का सत्यापन कराया था। इन पर अब तक 13693 कारतूस खरीदे गए थे। इनमें से शस्त्र धारकों के पास केवल 1856 कारतूस बचे हैं और 258 खोखे हैं। 11579 कारतूस गायब हो गए। इस तरह कुल खरीद के 85 फीसद कारतूस गायब हैं। इन कारतूसों के अपराधियों को बेचने या दुरुपयोग की आशंका है। प्रदेश स्तर पर यह संख्या करोड़ों में होने की आशंका है।

एसएसपी ने डीजीपी ओपी सिंह को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि कारतूसों की निर्बाध बिक्री पर रोक लगाई जाए। साथ ही वर्तमान नीति और नियमों पर पुन: विचार किया जाए। उनके इस सुझाव की पिछले दिनों हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग में डीजीपी ने सराहना भी की थी।

कब- कब हुए नियमावली में संशोधन

- असलहों और कारतूसों की बिक्री आम्र्स एक्ट वर्ष 1959-61 के तहत की जा रही थी। इसके तहत रिवाल्वर पिस्टल पर एक बार में 10 और वर्ष में 25-25 कारतूस दिए जाते थे। रायफल और बंदूक के लिए वर्ष भर की लिमिट 100 थी।

- वर्ष 2012 के बाद जितेंद्र सिंह की याचिका पर कोर्ट ने कारतूस बिक्री पर सख्ती के निर्देश दिए। इसके बाद खाली खोखे लिए जाने लगे।

- वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने संशोधन किया। इसमें लिमिट बढ़ा दी गई। इसके बाद रिवाल्वर और पिस्टल के लिए एक बार में 100 और वर्ष भर में 200 कारतूसों की खरीद की लिमिट कर दी। बंदूक और रायफल के लाइसेंस पर भी वर्ष में 200 कारतूस खरीदे जा सकते हैं।

ये भी दिए सुझाव

- प्रत्येक जनपद में पिछले दो वर्षों 100 शीर्ष कारतूस क्रेताओं के पास वर्तमान में मौजूद कारतूसों का भौतिक सत्यापन कराया जाए।

- लोक सभा चुनाव के बाद प्रदेश में अभियान चलाकर शस्त्र व आयुद्ध का संपूर्ण भौतिक सत्यापन करा लिया जाए। ताकि भविष्य की नीति निर्धारण के लिए सही तथ्य व वास्तविक आंकड़े उपलब्ध हो सकें।

- सत्यापन के दौरान शस्त्र लाइसेंस धारकों और विक्रेताओं द्वारा आठ अक्टूबर 2018 को जारी हुए शासनादेश के प्रावधानों का उल्लंघन पाया गया है। अन्य जनपदों में भी इसके आधार पर जांच करा सकते हैं।

- शस्त्र विक्रेताओं द्वारा गलत एंट्री की जा रही है। छत्ता थाना क्षेत्र में मामला सामने आया तो संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है।

- कारतूस के साथ लाइसेंसी शस्त्रों का भी सत्यापन कराया जाए। क्योंकि फर्जी शस्त्र लाइसेंस पर असलहे लेने की भी आशंका है।

- नेशनल डाटा बेस ऑफ आम्र्स लाइसेंस की फीडिंग में गलत एंट्री की गईं। फर्जी यूआइएन नंबर भी दिए गए। इनमें गड़बड़ी की आशंका है। इसलिए डाटा चेक कराया जाए।

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