रंग बदलता है यह प्याला, करता था विषाक्त भोजन की पहचान

व‌र्ल्ड म्यूजियम डे आज ताज म्यूजियम में रखी रकाबी करती थी विषाक्त भोजन की पहचान मुमताज की संक्षिप्त जीवनी पांडुलिपि शस्त्रों को देखने का मौका।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 May 2019 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 06:26 AM (IST)
रंग बदलता है यह प्याला, करता था विषाक्त भोजन की पहचान
रंग बदलता है यह प्याला, करता था विषाक्त भोजन की पहचान

आगरा, जागरण संवाददाता । मुमताज की याद में शहंशाह शाहजहां का बनवाया ताजमहल तो सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है ही, यहां म्यूजियम में सहेजी गई वस्तुएं भी कुछ कम नहीं। इनमें विषाक्त भोजन की पहचान कर रंग बदलने वाली रकाबी (प्याला) तो हाथी दांत पर बने शाहजहां और मुमताज के चित्र भी आकर्षक हैं। म्यूजियम में शाहजहां के राजा जयसिंह को भेजे गए फरमान हैं तो ताजमहल के निर्माण का नक्शा भी।

ताजमहल में वायसराय लॉर्ड कर्जन के समय वर्ष (1899-1905 ई.) में ताज म्यूजियम की स्थापना रॉयल गेट में की गई थी। 18 सितंबर, 1982 से यह पश्चिमी जलमहल में ग्राउंड फ्लोर पर संचालित है। इसमें मुख्य हॉल के साथ बनी तीन दीर्घाओं में मुगल लघु चित्र, पांडुलिपियां, शाही फरमान, सनद सुलेखन, शस्त्र, बर्तन, ताज के निर्माण योजनाओं का प्रारूप, चित्र, पेंटिंग, मुमताज की संक्षिप्त जीवनी आदि हैं। जेड पत्थर और चीनी मिट्टी की वस्तुओं में जेड का नक्काशीदार कुरान रखने का स्टैंड, अलंकृत लोटा, पत्थर पर जड़ा दर्पण, तलवारें, खंजर आदि भी हैं। इनमें खास आकर्षण चीनी मिट्टी की बनी रकाबी (प्याला) है। बताया जाता है कि यह रकाबी विषाक्त भोजन की पहचान करती थी। भोजन में विषाक्त मिला होने पर यह रंग बदलती थी या टूट जाती थी।

म्यूजियम में हाथी दांत पर बने शाहजहां और मुमताज के चित्र भी दर्शनीय हैं। शहंशाह शाहजहां का राजा जयसिंह को ताजमहल के निर्माण के लिए मकराना से संगमरमर की निरंतर आपूर्ति को लिखा गया अगस्त, 1632 का फरमान भी यहां है। ताज के निर्माण में प्रयुक्त प्रीसियस और सेमी-प्रीसियस स्टोन के विषय में भी म्यूजियम में जानकारी मिलती है। कुछ पत्थरों के टुकड़े यहां रखने के साथ नक्शे के माध्यम से यह जानकारी दी गई है कि उन्हें कहां से मंगाया गया था। सीकरी की समृद्ध विरासत को सहेजे है म्यूजियम

फतेहपुर सीकरी में स्थित खजाना महल में बनाया गया म्यूजियम सीकरी की समृद्ध विरासत को सहेजे हुए है। यहां वर्ष 1977 और 1999 में हुए उत्खनन में सीकरी के अकबर से भी पूर्व आबाद होने के साक्ष्य मिले थे। म्यूजियम में वीर छबीली टीले से प्राप्त जैन श्रुत देवी सरस्वती, यक्षी अंबिका, तीर्थकर आदिनाथ, तीर्थकर संभवनाथ की मूर्तियां, रसूलपुर और हाड़ा महल के पास उत्खनन में मिले धूसर मृद्भांड, गैरिक मृद्भांड, कुषाण काल के मृद्भांड, लोहे की कुल्हाड़ी, तांबे की घंटी, कटोरा आदि हैं।

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