दर्शकों की बेरुखी ने बढ़ाई शिल्पियों की चिंता, बादल भी कर रहे परेशान

बुधवार सुबह हुई बूंदाबादी से कारपेट वाले हुए परेशान, ताज महोत्सव में दो दिन में पहुंचे केवल 4300 दर्शक

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 06:00 AM (IST)
दर्शकों की बेरुखी ने बढ़ाई शिल्पियों की चिंता, बादल भी कर रहे परेशान
दर्शकों की बेरुखी ने बढ़ाई शिल्पियों की चिंता, बादल भी कर रहे परेशान

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी के मौसम में आए बदलाव और शिल्पग्राम में दर्शकों के कम आने से देशभर से आए शिल्पी चिंता में हैं। बारिश होने पर उन्हें अपना सामान खराब होने की चिंता है, जबकि दर्शकों के कम आने से उन्हें अपेक्षित बिक्री नहीं होने की फिक्र सता रही है।

ताज महोत्सव का आगाज सोमवार को राज्यपाल राम नाईक द्वारा किया गया था। महोत्सव में पहले दिन उद्घाटन के बाद ही टिकट लगती है। इसके चलते पहले दिन केवल 300 टिकट ही बिके। दूसरे दिन मंगलवार को यह संख्या बढ़कर चार हजार तक पहुंची जरूर, लेकिन महोत्सव के स्तर को देखते हुए यह बहुत कम है। इस बार महोत्सव में बॉलीवुड के बड़े कलाकारों के कार्यक्रम तो कम हैं ही, बोर्ड एग्जाम भी चल रहे हैं, ऐसे में भीड़ बढ़ने की उम्मीद अधिक नहीं है। इससे शिल्पी परेशान हैं। उधर, बुधवार सुबह आसमान में घिरे बादलों और बूंदाबांदी ने शिल्पियों की धड़कनें तेज कर दीं। सबसे अधिक दिक्कत खुले में स्टॉल लगाने वाले शिल्पियों को है। कारपेट की स्टॉल लगाने वाले सुभाषचंद्र ने बताया कि अगर बारिश हुई तो कारपेट खराब होंगे। उन्हें सुखाना पड़ेगा। हमारे पास कारपेट को पॉलीथिन से कवर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। महोत्सव आयोजन समिति द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आम आदमी के लिए महंगा महोत्सव

ताज महोत्सव में दर्शकों के लिए टिकट की दर भले ही नहीं बढ़ाई गई है, लेकिन आम आदमी के लिए यह बहुत महंगा है। महोत्सव में तीन वर्ष तक के बच्चों के लिए तो कोई टिकट लेने की जरूरत नहीं है, लेकिन इससे अधिक उम्र के बच्चों के लिए 50 रुपये का टिकट लेना पड़ रहा है। पिछले वर्ष तक 12 वर्ष तक के बच्चों का टिकट 10 रुपये का ही होता था, इससे थोड़ी राहत रहती थी। फन पार्क को रास्ता नहीं, तीन दिन से बंद हैं झूले

ताज महोत्सव आयोजन समिति ने बच्चों के मनोरंजन को झूलों का टेंडर उठाया था। होटल लीला पैलेस की जगह पर फन पार्क में झूले लग गए हैं, लेकिन वहां तक लोगों को जाने के लिए रास्ता नहीं दिया गया है। इससे महोत्सव शुरू होने के तीन दिन बाद भी झूले चालू नहीं हो पाए हैं।

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