CoronaVirus in Agra: अच्छी है खबर, कोरोना को मात देने वालों का बढ़ रहा ग्राफ, आप भी देखें क्या कहता है आंकड़ा

CoronaVirus in Agra 25 दिन के बच्चे ने दी कोरोना को मात 80 साल के प्रोस्टेट कैंसर के मरीज की बचाई जान। एसएन मेडिकल कॉलेज के कोविड हास्पिटल में भर्ती हुए 75 फीसद ठीक। गंभीर मरीजों का इलाज करते समय डाक्टर जूनियर डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ हुए संक्रमित।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 12 Oct 2020 04:10 PM (IST) Updated:Mon, 12 Oct 2020 04:10 PM (IST)
CoronaVirus in Agra: अच्छी है खबर, कोरोना को मात देने वालों का बढ़ रहा ग्राफ, आप भी देखें क्या कहता है आंकड़ा
एसएन मेडिकल कॉलेज के कोविड हास्पिटल में भर्ती हुए 75 फीसद ठीक।

आगरा, जागरण संवाददाता। एसएन मेडिकल कालेज में 25 साल का बच्चा कोरोना को मात दे चुका है। डाक्टरों की टीम ने 80 साल के प्रोस्टेट कैंसर से पीडित कोरोना संक्रमित मरीज की जान बचा ली। एसएन में कोरोना को मात देने वालों में 50 फीसद से अधिक गंभीर मरीज शामिल हैं।

कोरोना संक्रमित पहली महिला मरीज को मार्च में एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में बनाए गए कोविड हास्पिटल में भर्ती किया गया। अप्रैल और मई में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद स्त्री रोग विभाग की नई बिल्डिंग को कोविड हास्पिटल बनाया गया। मरीजों के इलाज और व्यवस्थाएं गड़बड़ाने पर प्राचार्य का तबादला कर दिया गया। डा संजय काला ने प्राचार्य का पद संभालने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार के साथ टीम को साथ लेकर काम किया। अगस्त सितंबर में मरीजों की संख्या 160 तक पहुंच गई, आइसीयू के सभी बेड भर गए। गंभीर मरीजों की संख्या बढ़ने लगी। ऐसे में डाक्टरों की टीम ने एक एक मरीज के इलाज पर कई घंटे तक चर्चा की, इसके बाद इलाज दिया। इससे गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकी। एसएन में कोरोना संक्रमित 1344 मरीज भर्ती हुए हैं। इसमें से 1040 ठीक हो चुके हैं।

केस वन - 25 दिन के बच्चे को कोरोना संक्रमित होने पर एसएन के ​कोविड हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। 20 दिन बाद ठीक होने पर डिस्चार्ज कर दिया गया।

केस टू - 80 प्रोक्टेट कैंसर से पीडित कोरोना संक्रमित मरीज को एसएन के कोविड हॉस्पिटल में गंभीर हालत में भर्ती किया गया, वे पूरी तरह से ठीक हो गए। 18 दिन बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

प्राचार्य सहित डाक्टर हुए संक्रमित, इलाज करते रहे

एसएन के प्राचार्य डा संजय काला, इलाज करने वाले डाक्टर, जूनियर डाक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ सहित 56 संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमित होने के बाद भी वे काम करते रहे। इससे मरीजों की जान बचाई जा सकी।

वेंटीलेटर पर मरीज को जाने से रोका, बच गई जान

एसएन के मेडिसिन विभाग के प्रो डा मृदुल चतुर्वेदी ने बताया कि गंभीर मरीजों में खून में आक्सीजन का स्तर गिरने लगता है। इन मरीजों को वेंटीलेटर पर शिफ्ट करने पर जान बचने की संभावना 10 से 20 फीसद तक होती है। ऐसे में मरीजों को बाईपैप मशीन, हाई फ्लो नैजल कैनुला से आक्सीजन देकर वेंटीलेटर पर जाने से बचाया गया। इसके साथ ही रेमडेसिवीर इंजेक्शन दिए गए। इस तरह गंभीर मरीजों की जान बच गई।

एसएन के डाक्टर, सीनियर रेजीडेंट, जूनियर डाक्टर,, पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों ने 18 से 20 घंटे काम किया। गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए डाक्टरों की टीम ने आपस में चर्चा की, इसके बाद मरीजों का इलाज किया गया।

डा संजय काला, प्राचार्य एसएन मेडिकल कालेज

एसएन मेडिकल कालेज में कोरोना संक्रमित 1344 मरीज भर्ती हुए हैं, 75 फीसद मरीजों को ठीक होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। इसमें गंभीर मरीजों की संख्या अधिक है।

डा प्रशांत प्रकाश, नोडल अधिकारी एसएन मेडिकल कालेज 

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