चुंगी मैदान में नेताजी ने दिया था सशस्त्र युद्ध का संदेश

मोतीगंज स्थित मैदान में वर्ष 1940 में की थी सुभाषचंद्र बोस ने सभा आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक की सभा में उमड़ी थी लोगों की भीड़

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:59 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:59 PM (IST)
चुंगी मैदान में नेताजी ने दिया था सशस्त्र युद्ध का संदेश
चुंगी मैदान में नेताजी ने दिया था सशस्त्र युद्ध का संदेश

आगरा, जागरण संवाददाता। जंग-ए-आजादी में जिले का योगदान भी कम नहीं रहा है। यहां के सपूतों ने भी स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया था। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष के साक्षी कई स्थल यहां मौजूद हैं। इन्हीं में से एक मोतीगंज का पुरानी चुंगी मैदान है, जो ऐतिहासिक रैलियों का गवाह रहा है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने इसी मैदान में सशस्त्र क्रांति का संदेश दिया था। रैली में उन्होंने 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा..' का नारा लगाकर युवाओं में जोश भर दिया था।

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए वर्ष 1939 में चुनाव हुआ था। महात्मा गांधी ने इस चुनाव में पट्टाभि सीतारमैया का समर्थन किया था। गांधीजी के समर्थन के बावजूद नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने सीतारमैया को हरा दिया था। गाधीजी ले इसे अपनी व्यक्तिगत हार बताया था, इसके बाद अप्रैल, 1939 में नेताजी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक पार्टी बनाई थी। इसकी सभा वर्ष 1940 में मोतीगंज स्थित चुंगी मैदान में हुई थी। उस समय द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो चुका था। नेताजी ने जर्मनी का जिक्र करते हुए कहा था कि अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध का समय आ गया है।

वर्तमान में यहां कई आढ़त हैं, लेकिन चुंगी मैदान के गौरवशाली अतीत के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। वर्तमान समय में कांग्रेस द्वारा 15 अगस्त व 26 जनवरी को फुलट्टी से निकाले जाने वाले जुलूस का समापन यहीं होता है।

यहां शहीद हुए थे परशुराम

वरिष्ठ इतिहासविद राजकिशोर राजे ने बताया कि सुभाषचंद्र बोस के अलावा चुंगी मैदान में महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय ने बैठकें की थीं। अंग्रेजों भारत छोड़ो, नमक सत्याग्रह और विदेशी कपड़ों की होली जैसे आंदोलन यहीं हुए। नौ अगस्त, 1942 को शहर के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। दस अगस्त को फुलट्टी बाजार से जुलूस निकाला गया। ब्रिटिश सरकार ने पूरी कोशिश की कि मोतीगंज में सभा नहीं हो, लेकिन जुलूस चुंगी मैदान तक पहुंच गया। पुलिस की फायरिग में हाथों में तिरंगा थामे आगे चल रहे परशुराम (16) शहीद हो गए थे। पहले यहीं था चुंगी का आफिस

यहां स्थित दाराशिकोह की हवेली में पहले चुंगी का आफिस हुआ करता था। इसके चलते मैदान का नाम चुंगी मैदान पड़ गया। दाराशिकोह की हवेली में पुस्तकालय शुरू करने का प्रयास किया गया था, लेकिन वो परवान नहीं चढ़ सका।

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टाक

बड़े-बुजुर्ग बताते थे कि यहां औरंगेजब की कोर्ट लगा करती थी। बुजुर्गों से सुना है कि स्वतंत्रता आंदोलन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने यहां मैदान में सभा की थी। इससे अधिक जानकारी नहीं है।

-राकेश सविता, क्षेत्रीय निवासी प्राचीन इमारत के बारे में प्रचलित है कि इसे मुगल शासन में बनाया गया था। कहा जाता है कि यहां औरंगजेब ने अपने भाई को कैद करके रखा था। अंग्रेजों की गोली से यहां एक व्यक्ति शहीद हुआ था। यहां नगर पालिका का कार्यालय था।

-रमन लाल गोयल, व्यापारी

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