Pollution in Agra: आगरा के होटल व्यवसायियों के काम की खबर, माननी होगी अब CPCB की ये Guideline

Pollution in Agra आगरा के छोटे होटलों और रेस्टोरेंट को लगाने होंगे ईटीपी। सीपीसीबी द्वारा तैयार गाइडलाइन में प्रदूषण नियंत्रण को तय किए गए हैं मानक।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 11 Sep 2020 08:11 AM (IST) Updated:Fri, 11 Sep 2020 11:16 AM (IST)
Pollution in Agra: आगरा के होटल व्यवसायियों के काम की खबर, माननी होगी अब CPCB की ये Guideline
Pollution in Agra: आगरा के होटल व्यवसायियों के काम की खबर, माननी होगी अब CPCB की ये Guideline

आगरा, जागरण संवाददाता। मानव स्वास्थ्य के लिए प्रदूषण चुनौती बनता जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण को बड़े होटलों के बाद अब छोटे होटलाें, रेस्टोरेंट, मैरिज होम आदि के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा मानक तय किए गए हैं। उन्हें एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाना होगा। वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उचित इंतजाम करने होंगे। इसका पालन कराने की जिम्मेदारी उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की रहेगी।

सितारा होटलों के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाना अनिवार्य है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के क्रम में सीपीसीबी ने अब छोटे होटलों, रेस्टोरेंट और मैरिज होम के लिए भी गाइडलाइन तैयार की है। उन्हें वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण के साथ ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को गाइडलाइन में निर्धारित किए गए मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। 20 कमरों वाले होटल, 20 से कम कमरों वाले होटल, 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले बैंक्वेट हॉल और 36 लोगों की सिटिंग कैपेसिटी वाले रेस्टोरेंट को ईटीपी लगाना होगा। ईटीपी से होने वाले डिस्चार्ज में उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पर्यावरणीय मानकों का पालन करना होगा। इससे जल प्रदूषण को रोकने में सहायता मिलने के साथ ही भूगर्भ जल के अत्यधिक दोहन पर भी शिकंजा कसा जा सकेगा।

जल प्रदूषण के लिए

-एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाना अनिवार्य होगा, जिससे किचन, लांड्री और घरेलू सीवेज का शोधन किया जा सके।

-शोधित सीवेज का अधिकतम उपयोग टॉयलेट फ्लशिंग, फर्श धोने और गार्डनिंग में किया जाएगा।

-प्रतिदिन होने वाली पानी की खपत की जानकारी को मीटर लगाना होगा। ईटीपी पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर लगाना होगा।

-ईटीपी के लिए अलग से बिजली का मीटर लगाना होगा।

-भूगर्भ जल के दोहन के लिए संबंधित विभाग की अनुमति आवश्यक होगी। बिना अनुमति के भूगर्भ जल दोहन पर कार्रवाई की जाएगी।

-रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा।

वायु प्रदूषण के लिए

-जेनसेट में उसी ईंधन का उपयाेग किया जा सकेगा, जिसके लिए अनुमति होगी।

-खाना पकाने और किचन से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए उचित इंतजाम करने होंगे।

-रोशनी करने, पानी गर्म करने में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना होगा।

-पर्यावरण को क्षति पहुंचाने पर सीपीसीबी और यूपीपीसीबी जुर्माना कर सकेंगे।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए

-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स, 2016 के अनुसार साॅलिड वेस्ट का निस्तारण करना होगा।

-100 किग्रा प्रतिदिन से अधिक का वेस्ट जनरेट करने वाले मैरिज होम को बल्क वेस्ट जनरेटर की श्रेणी में रखा जाएगा। उन्हें उद्यान व गार्डन वेस्ट को अलग करना होगा। इसे वो सड़क, गली या नाली में फेंकने के बजाय अपने परिसर में ही एकत्र करेंगे।

-फूड वेस्ट को अन्य वेस्ट के बजाय अलग रखकर खाद बनानी होगी।

-डिस्पोजेबल प्लास्टिक का कम से कम उपयोग और रिसाइकिलिंग सुनिश्चित करनी होगी।

-नगर निगम व नगर निकायों को सॉलिड वेस्ट को संग्रहित करने और उसके निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी होगी।

ध्वनि प्रदूषण के लिए

-डीजे का उपयोग संबंधित विभाग की अनुमति होने पर रात 10 बजे तक ही किया जा सकेगा।

-वही डीजल जेनसेट प्रयोग में लाए जा सकेंगे, जिनसे मानक से अधिक शोर नहीं हो।

-सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार रात 10 बजे तक केवल हरित पटाखे चलाए जा सकेंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। छोटे होटल, मैरिज होम व रेस्टाेरेंट से एक दिन में भले ही कम प्रदूषण होता हो, लेकिन पूरे वर्ष के आंकड़ों को देखें तो यह बहुत अधिक होता है। इसलिए गाइडलाइन बनाई गई है।

-कमल कुमार, प्रभारी अधिकारी सीपीसीबी

सीपीसीबी द्वारा गाइडलाइन तैयार कर पूर्व में सुझाव आमंत्रित किए गए थे। अब इसी गाइडलाइन का पालन कराया जाएगा। होटल, रेस्टोरेंट और मैरिज होम को अनुमति देने से पूर्व संबंधित विभागों को गाइडलाइन के मानकों पर ध्यान देना होगा।

-भुवन यादव, क्षेत्रीय अधिकारी यूपीपीसीबी 

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