कांच की नगरी में 'दरके' मुलायम के घराने के रिश्ते, जानिये कैसे टूटी थी संबंधों की डोर

विस चुनाव के बाद टूटी रिश्तों की डोर, छिन गई कुर्सियां। रविवार को शिवपाल ने भतीजे के सामने चुनाव लडऩे का किया था ऐलान।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 04 Feb 2019 01:58 PM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 01:58 PM (IST)
कांच की नगरी में 'दरके' मुलायम के घराने के रिश्ते, जानिये कैसे टूटी थी संबंधों की डोर
कांच की नगरी में 'दरके' मुलायम के घराने के रिश्ते, जानिये कैसे टूटी थी संबंधों की डोर

आगरा, डॉ.राहुल सिंघई। सूबे के सबसे बड़े सियासी घराने के रिश्तों का तानाबाना सुहागनगरी फीरोजाबाद में दरकने लगा है। विधानसभा चुनाव से पहले हुई रार में कई रिश्तों में दरार आ गई। आगामी लोकसभा चुनाव में भतीजे अक्षय के सामने चाचा शिवपाल के एलान से परिवार में एकता की उम्मीदें लगभग खत्म ही हो गई हैं।

सैफई से शुरू हुई समाजवादी सियासत के अगुआ रहे मुलायम सिंह का फीरोजाबाद से गहरा नाता रहा। खुद शिकोहाबाद में पढ़ेे- लिखे और यहीं से जीतकर मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही रिश्तों का ताना- बाना भी बढ़ता गया। शिकोहाबाद के पूर्व पालिकाध्यक्ष रामप्रकाश यादव नेहरू मैनपुरी सांसद तेज प्रताप के नाना के नाते मुलायम के समधी हैं। यह रिश्ता नेहरू के भाई सपा के विधायक हरिओम यादव से भी है, लेकिन दोनों मोर्चा खोले हैं। नेहरू ने सपा प्रत्याशी के खिलाफ शिकोहाबाद से चुनाव लड़ा और सपा विधायक हरिओम अब प्रसपा के मंच से हमला कर रहे हैं।

जसराना से चार बार सपा के विधायक रहे रामवीर यादव से भी मुलायम सिंह से समधी का नाता है। विस चुनाव में सपा के खिलाफ निर्दल ताल ठोंकी और फिर भाजपा में शामिल हो गए। सपा के जिपं अध्यक्ष विजय प्रताप छोटू के खिलाफ अविश्वास लाकर रामवीर के बेटे अमोल यादव जिपं अध्यक्ष बने। जिपं अध्यक्ष पद के लिए उपचुनाव के बाद विजय प्रताप को पार्टी से बाहर कर दिया गया। उनके विधायक पिता हरिओम यादव सपा में हैं, लेकिन प्रसपा के साथ मिलकर ताल ठोक रहे हैं।

जन्मदिन पर पिघली थी रिश्तों की बर्फ

जिस रामलीला मैदान से रविवार को शिवपाल ने भतीजे अक्षय के खिलाफ चुनाव का एलान किया, उसी मैदान पर जुलाई में प्रो.रामगोपाल यादव के जन्म दिवस के कार्यक्रम में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव एक साथ आए थे। उस वक्त रिश्तों की बर्फ पिघलने की उम्मीद बढ़ी, मगर अंजाम तक नहीं पहुंच पाई।

फीरोजाबाद में रहा एकछत्र राज

फीरोजाबाद सपा का गढ़ रहा। वर्ष 1993 और 2002 के विस चुनाव में जिले की चारों सीटें सपा के खाते में थीं। वर्ष 2012 में पांच सीटें हुई, जिसमें से शिकोहाबाद, जसराना और सिरसागंज सीट सपा के पास थी। परिवार में बिखराव के बाद सपा केवल सिरसागंज सीट ही जीत पाई थी।  

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