'मौसम से जंग' में खत्म हुए 'पढ़ाई के रंग'

स्कूलों में न छत है न दीवारें, सर्दी में पढ़ने से पहले जलाना पड़ता है अलाव

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 10:00 AM (IST)
'मौसम से जंग' में खत्म हुए 'पढ़ाई के रंग'
'मौसम से जंग' में खत्म हुए 'पढ़ाई के रंग'

आगरा, संदीप शर्मा। परिषदीय स्कूलों को सरकार कॉन्वेंट के मुकाबले खड़ा करने का प्रयास कर रही है लेकिन कई स्कूल तो अभी इस दौड़ से ही बाहर हैं। यहां शिक्षा का स्तर सुधारने की बात तो तब हो जब बच्चों की मौसम से जंग खत्म हो। स्कूल में न छत है और न दीवारें। सर्दी में स्कूल आते ही बच्चे पहले अलाव जलाते हैं फिर पढ़ाई शुरू हो पाती है। बरसात तो यहां 'स्थाई रेनी डे' लेकर आती है। गर्मी में बच्चे पढ़ने से ज्यादा पेड़ की छांव पर ध्यान देते हैं।

अगर आप सोच रहे हैं कि पढ़ाई का यह बदहाल मंदिर कहीं दूर-दराज के गांव में है तो आप गलत हैं। यह प्राचीन प्राथमिक विद्यालय शहर के बीचो-बीच जगदीशपुरा में स्थित है। स्कूल परिसर के नाम पर यहां सिर्फ एक छोटा सा कमरा है। इस पर टिन शेड है। इसमें 67 बच्चे पंजीकृत हैं। इसी परिसर में जूनियर हाईस्कूल भी संचालित है, जहां 28 बच्चे पंजीकृत हैं।

मौसम के मिजाज पर निर्भर है पढ़ाई:

यहां का स्कूल मौसम के मिजाज के आधार पर संचालित होता है। छत और दीवार न होने के कारण बच्चों को खुले में जमीन पर बैठाना पड़ता है। स्कूल में फर्नीचर के नाम पर शिक्षिकों की कुर्सियां ही हैं। गर्मी में तो बच्चों को पेड़ की छांव मिल जाती है। लेकिन छांव में बैठने के लिए भी मशक्कत करनी पड़ती है। बरसात तो यहां छुंट्टी का संदेश लाती है। अन्य स्कूलों में तो तभी रेनी डे होता है जब स्कूल के समय से आधा घंटे पहले से आधा घंटे बाद तक तेज बरसात हो। यहां पर यह नियम नहीं चलता। बरसात हो तो स्कूल में बच्चों को बैठने के लिए जगह ही नहीं मिलती तो छुंट्टी कर दी जाती है। अब सर्दी में भी हालत अलहदा नहीं हैं। जब कोहरा गिरेगा तो यहां पढ़ाई मुश्किल हो जाएगी। अब सर्दी शुरू हो गई है और बच्चे स्कूल आकर पहले कागज और सूखी लकड़ी से अलाव जलाकर तापते हैं। इसके बाद ही पढ़ाई शुरू हो पाती है।

हर बार अनसुनी ही रही फरियाद:

प्राथमिक स्कूल की प्रधानाध्यापक अलका पालीवाल बताती हैं कि स्कूल किराए पर चल रहा है। अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। जूनियर हाईस्कूल की प्रधानाध्यापक कीर्ति दुबे भी कहती हैं कि जैसे-तैसे स्कूल संचालित कर पा रहे हैं।

हमारी तरफ भी दें ध्यान

स्कूल के बच्चे भी सर्दी में ठिठुरते हुए पढ़कर परेशान हो चुके हैं। छात्रा गुंजन, अनुष्का व शालू ने बताया कि वह पढ़कर टीचर बनना चाहती हैं, लेकिन यहां पढ़ाई का माहौल ही नहीं है। -कई बार अधिकारियों को स्कूल के हालात से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। स्कूल में सुविधाओं के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं।

नीलम सिंह, नगर शिक्षा अधिकारी -किराए के इस स्कूल में संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। कुछ लोग स्कूल बंद कराने की साजिश भी रच रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

आनंद प्रकाश शर्मा, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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