धरतीपुत्र के गढ़ में दरकी सपा की जमीन, जानिये अब क्‍या रणनीति अपनाएगी पार्टी

बगावत से जूझ रहा है मुलायम सिंह का गढ़ मैनपुरी। परिवार की तरह संगठन भी हो चुका है दो फाड़। आमने-सामने की जंग के ऐलान के बाद फिर गरमाई सियासत। दोनों ओर से तोडफ़ोड़ की तैयारी।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 05 Feb 2019 05:44 PM (IST) Updated:Tue, 05 Feb 2019 05:44 PM (IST)
धरतीपुत्र के गढ़ में दरकी सपा की जमीन, जानिये अब क्‍या रणनीति अपनाएगी पार्टी
धरतीपुत्र के गढ़ में दरकी सपा की जमीन, जानिये अब क्‍या रणनीति अपनाएगी पार्टी

आगरा, दिलीप शर्मा। सूबे में सपा के सबसे मजबूत सियासी दुर्ग में बगावत की हवा चल रही हैं। सैफई परिवार की रार के साथ-साथ संगठन में पड़ी दरार अब गहरी हो चुकी है। फीरोजाबाद में अपनों के बीच सियासी जंग के खुले ऐलान ने मैनपुरी के सर्द मौसम में भी सियासी गर्मी ला दी है। अब यहां दोनों ओर से सिपहसालारों को तोडऩे की बिसात बिछाई जा रही है।

मैनपुरी लोकसभा सीट को मुलायम सिंह यादव के गढ़ के रूप में जाना जाता है। वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यहां से चुनाव लड़े थे। तब से लेकर अब तक बीते 22 वर्षों में हुए आठ चुनावों में सपा को ही जीत मिलती रही है। हालांकि इस जीत में शिवपाल सिंह यादव की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मुलायम सिंह के हर चुनाव में चुनावी प्रबंधन शिवपाल ही संभालते थे। यहां करहल और किशनी विस क्षेत्रों में उनका काफी प्रभाव माना जाता है। उनके प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने के बाद कई नेता-कार्यकर्ता सपा छोड़कर उनके पाले में आ चुके हैं। यह भी कहा जा सकता है कि जिले में प्रसपा का पूरा संगठन ही सपा के बागियों से बना है। इनमें कई दिग्गज भी शामिल हैं। दोनों दलों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अब तक यह भी उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद परिवार में सुलह हो जाएगी। फीरोजाबाद की रैलियों के बाद आशा भी समाप्त हो गई है। ऐसे में दोनों दल इसी लिहाज से रणनीति बनाने में जुटे हैं।

ये दिग्गज कर चुके हैं बगावत

मानिक चंद यादव: सदर विस से पूर्व विधायक। करहल और सदर विधानसभा पर प्रभाव

सुजान सिंह यादव: पूर्व जिपं सदस्य। यादव बहुल बन्नदल में प्रभाव माना जाता है।

अनिल यादव: करहल से विधायक रहे। पूर्व मंत्री बाबूराम यादव के पुत्र हैं। वर्तमान में पुत्र राहुल यादव जिपं सदस्य है। करहल में प्रभाव।

संध्या कठेरिया: दो बार किशनी विधानसभा क्षेत्र की सपा से विधायक रह चुकी हैं, किशनी क्षेत्र में प्रभाव।

सुभाष चंद्र: पूर्व एमएलसी। मुलायम ङ्क्षसह के राजनीतिक गुरु पूर्व मंत्री नत्थू ङ्क्षसह यादव के पुत्र। करहल क्षेत्र में प्रभाव।

डॉ. रामकुमार: पूर्व डीसीबी चेयरमैन। करहल के निवासी। शिवपाल के करीबी माने जाते हैं।

जैसीराम यादव: पूर्व चेयरमैन किशनी। किशनी में इस बार चेयरमैन के चुनाव में बगावत की, सपा प्रत्याशी की हार में भूमिका मानी जाती है।

अर्चना राठौर: पूर्व सदस्य राज्य महिला आयोग। किशनी विधानसभा की निवासी। किशनी के क्षत्रिय बाहुल्य क्षेत्रों में प्रभाव।

अमित यादव: राज्यसभा सदस्य स्व. दर्शन ङ्क्षसह यादव और वर्तमान में सपा विधायक सोबरन ङ्क्षसह के नाती। करहल क्षेेत्र प्रभाव।

प्रसपा की कई और दिग्गजों पर निगाह

प्रसपा अभी कई और दिग्गजों पर निगाह टिकाए हुए है। सूत्रों के मुताबिक अगले सप्ताह ये खुलकर सामने आ जाएंगे।

शिवपाल के करीबी फिर भी न छोड़ी सपा 

प्रसपा भले ही बगावत का दावा कर रही हो, लेकिन सपा की मजबूती भी कम नहीं। कई ऐसे नेता भी अब तक सपा में ही बने हुए हैं, जो शिवपाल के करीबी माने जाते थे। इनमें मूलरूप से करहल के रहने वाले और वर्तमान में शहर में रह रहे एक नेता व कुरावली के एक प्रमुख नेता शामिल हैं।

मुलायम न लड़े तो आसान न होगी जंग

मैनपुरी लोकसभा भले ही सपा का गढ़ हो, लेकिन मुलायम ङ्क्षसह यादव के न लडऩे की सूरत में यहां चुनाव दिलचस्प होने की बात कही जा रही है। क्योंकि मुलायम के न लडऩे पर प्रसपा भी अपना प्रत्याशी मैदान में उतारने की तैयारी कर रही है। ऐसे में शिवपाल के प्रभाव वाले क्षेत्रों में वोटों के लिए कांटें की लड़ाई होगी।

आमने - सामने

जनता और पार्टी के निष्ठावान लोग शिवपाल यादव के साथ हैं। यह सम्मान की जंग है। अभी और भी कई बड़े नेता सपा को छोड़कर हमारे साथ आएंगे।

वोट सिंह यादव, जिलाध्यक्ष प्रसपा

बसपा से गठबंधन के बाद सपा की पिछली बार से ज्यादा बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित है। दूसरे दलों के लोग भी दस्तक दे रहे हैं। प्रसपा से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

खुमान सिंह वर्मा, जिलाध्यक्ष सपा 

chat bot
आपका साथी