आपके काम की हो सकती है ये खबर, सस्‍ता फैशन पड़ सकता है जानिए कैसे महंगा

आंखें खराब कर रहे रोड साइड बेचे जा रहे गॉगल्स। सस्ती प्लास्टिक के होते हैं चश्मे ज्यादातर युवा हैं इनके खरीदार।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 14 May 2019 05:41 PM (IST) Updated:Tue, 14 May 2019 06:50 PM (IST)
आपके काम की हो सकती है ये खबर, सस्‍ता फैशन पड़ सकता है जानिए कैसे महंगा
आपके काम की हो सकती है ये खबर, सस्‍ता फैशन पड़ सकता है जानिए कैसे महंगा

आगरा, जागरण संवाददाता। फैशन के लिए रोड साइड मिलने वाले अलग-अलग स्टाइल के सस्ते गॉगल्स आंखों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं। इसकी वजह है इसका मटेरियल, जो सस्ते प्लास्टिक का बना होता है। इसके चलते यह सौ रुपये तक मिल जाते हैं। इन्हें खरीदने वालों में ज्यादातर युवा होते हैं, जो सस्ते और फैशन के फेर में इनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करते हैं। नेत्र चिकित्सक बताते हैं कि इन गॉगल्स के साइड इफेक्ट ज्यादा हैं। गर्मियों में ये और ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।

आइ इंफेक्शन की समस्या

सर्दियों की तुलना में गर्मी में यूवी रेडिएशन तीन गुना ज्यादा होता हैं। इसलिए गर्मियां शुरू होते ही धूप के चश्मे की जरूरत महसूस होने लगती है। कई युवा फैशन और स्टाइल के चक्कर में नकली ब्रांड या सस्ते सन ग्लासेज इस्तेमाल करते हैं, वह इन्हें एसेसरीज के तौर पर कैरी करते हैं। जबकि आंखों की सुरक्षा के लिए अच्छे लैंस वाले सनग्लासेज जरूरी हैं। जो अल्ट्रावॉयलेट किरणों को रिफ्लेक्ट कर सकें। यही वजह है कि जब भी धूप का चश्मा खरीदें तो उसमें इस्तेमाल हुए लैंस को अवश्य देख लें कि वो किस स्तर के हैं।

विशेषज्ञ की राय

धूप से आंखों का बचाव बहुत जरूरी है। बढ़ते तापमान में आंखों की सुरक्षा के लिए अच्छे लैंस वाले सनग्लासेज की जरूरत है। सनग्लास एक तरह से आंखों के सुरक्षा कवर की तरह है। इससे अल्ट्रावायलेट किरणों से सुरक्षा मिलती है। धूप का सीधा प्रभाव आंखों तक पहुंचता है। ऐसे में सनग्लास यूवी प्रोटेक्टिव नहीं है तो आंखों को नुकसान होता है। साधारण चश्मा खरीदने के बजाय ब्रांडेड सनग्लास का उपयोग ही करना चाहिए।

डॉ. हिमांशु यादव, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज

ऐसे करें नकली ब्रांड की पहचान

- सनग्लास के लैंस पर हल्का सा प्रेशर देकर देखें यह ग्लास है या प्लास्टिक। यदि यह फाइबर और प्लास्टिक है तो ये नकली है।

- नोज ब्रिज पर उकेरे हुए अक्षर से भी पहचान की जा सकती है। ब्रांडेड कंपनी अपने ब्रांड का नाम और लैंस का साइज लिखती हैं।

- सनग्लास की स्टिक या कमानी पर लैंस की डिटेल्स के साथ लैंस कोड, मॉडल नंबर सब लिखा होता है।

- सनग्लास पर लिखे गए ब्रांड के नाम को हल्का सा रगड़कर देखें, यदि नकली है तो प्रिंट निकल जाएगा।

फैशन संग सुरक्षा भी जरूरी

आजकल युवा वर्ग धूप के चश्मे सुरक्षा के लिहाज से नहीं, बल्कि फैशन के अनुसार उपयोग करता है। साथ ही धूप का चश्मा धूप, धूल, धुंआ और छोटे कीड़ों से आंखों की सुरक्षा करता है। यदि लगातार लंबे समय तक घटिया लैंस का चश्मा पहना जाए तो इससे आंखों को नुकसान हो सकता है। डॉक्टरों को कहना है कि फैशन करें पर आंखों का भी रखें ख्याल।

धूप से टूट जाती है टीयर सेल

तेज धूप के कारण आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल असर पड़ने के कारण धूल के कण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तेज धूप में निकलने पर सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से आंखों के ऊपर बनी टीयर सेल या आंसू की परत टूटने या क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। जिससे आंखों के कार्निया को भी यूवी किरणों से उतना ही नुकसान पहुंचता है।

आइ मेंबरेन हो रही है डेमेज

आंखों की निचली और ऊपरी पलकों की बाहरी परत को कंजेक्टिवा कहते हैं। ये आंखों का एक बहुत ही संवेदनशील भाग होता है। जब इस मेंबरेन को धूप में दिक्कत होती है, तब इसमें खुजली होनी शुरू हो जाती है। ये वायरल, बैक्टीरियल और एलर्जी संक्रमण, कंजक्टिवाइटिस कहलाता है। इसलिए धूप में जाते समय इसे कवर करने के लिए सनग्लास पहनना बहुत जरूरी होता है।

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