Women Empowerment: पैतृक संपत्ति में अधिकार से होगा महिला सशक्तीकरण

Women Empowerment सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कराया गया वेबिनार। वक्ताओं ने दिया आपसी सामंजस्य पर जोर।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 17 Aug 2020 10:12 AM (IST) Updated:Mon, 17 Aug 2020 10:12 AM (IST)
Women Empowerment: पैतृक संपत्ति में अधिकार से होगा महिला सशक्तीकरण
Women Empowerment: पैतृक संपत्ति में अधिकार से होगा महिला सशक्तीकरण

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन, नेशनल चैंबर आॅफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स और वी फॉर आगरा द्वारा सुप्रीम कोर्ट के  बेटियों को पैैतृक संपत्ति में दिए गए अधिकार के अादेश पर वेबिनार कराया गया। वक्ताओं ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-छह की यह व्याख्या देखते हुए सभी को इस तरह वसीयत और परिवार के सदस्यों में आपसी सामंजस्य के आधार पर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिवार में भाई-बहन का रिश्ता बना रहे।

अधिवक्ता केसी जैन ने कहा कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 से दिया गया है। संयुक्त हिंदू परिवार में बेटियों को हिस्सेदार नहीं माना जाता था, लेकिन 2005 के संसदीय कानून के द्वारा बेटियों को हिस्सेदार बनाया गया। 2005 में हुए कानूनी बदलाव की व्याख्या अब की गई है। यह कानून प्रगतिशील है और महिला सशक्तीकरण की दिशा में बड़ा कदम है। इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिटायर्ड जज राजीव लोचन मेहरोत्रा ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि बेटियों को चलते हुए व्यापार में हिस्सा दिया जाए, उन्हें नकद भी दिया जा सकता है। वह बेटियां जिनकी स्थिति खराब है या तलाक हो चुका है, उनके लिए यह काननू बड़ा सहारा बन सकता है। एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि यह कानून सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वाजपेयी ने इसे पारिवारिक संबंधों को नष्ट करने का कुप्रयास और जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ ने सांस्कृतिक परंपराओं को नष्ट करने और आपसी रिश्तों में दूरी बढ़ाने वाला बताया। अधिवक्ता गौरव जैन ने भी इसका समर्थन नहीं किया। इंदर जैन ने कानून को अच्छी पहल बताया। श्वेता गुप्ता ने कानून को महिला सशक्तीकरण की दिशा में प्रगतिशील कदम बताया। चैंबर अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने कानून को सामाजिक परिवर्तन लाने का माध्यम बताया। अंत में वक्ताओं ने बदलाव को स्वीकार करने की बात कही।

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