Family Planning: छोटे परिवार की अलख जगाएं, समाज में खुशहाली लाएं

World contraceptive day राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तत्वावधान में सीफार व यूपी टीएसयू के सहयोग से ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित। देश में सीमित संसाधनों को देखते हुए जनसंख्‍या नियंत्रण के प्रति हर नागरिक को देना होगा ध्‍यान। पहले और दूसरे बच्‍चे में हो तीन साल का गैप।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 05:51 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 05:51 PM (IST)
Family Planning: छोटे परिवार की अलख जगाएं, समाज में खुशहाली लाएं
विश्‍व गर्भ निरोधक दिवस पर स्‍वास्‍थय मंत्रालय की ओर से जागरूकता कार्यक्रम। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। परिवार के साथ ही समाज और देश की खुशहाली के लिए जरूरी हो गया है कि हर कोई छोटे परिवार के बड़े फायदे के बारे में गंभीरता से विचार करे। इसके अलावा बच्चे का जन्म तभी हो, जब माता-पिता उसके लिए पूरी तरह तैयार हों। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास 'बास्केट ऑफ़ च्वाइस' मौजूद है। लोग अपनी सुविधा अनुसार उसमें से कोई भी साधन अपना सकते हैं ताकि अनचाहे गर्भ धारण की समस्या से बचने के साथ ही माँ-बच्चे की मुस्कान भी बनी रहे।

यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के अपर मिशन निदेशक हीरा लाल ने विश्व गर्भ निरोधक दिवस (26 सितम्बर) की तैयारियों और जागरूकता पर चर्चा के लिए सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन मीडिया कार्यशाला के दौरान कही। उनका कहना था कि हमारे संसाधन सीमित हैं, ऐसे में आबादी को भी सीमित रखना बहुत ही जरूरी है। दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखना चाहिए ताकि महिला का शरीर पूरी तरह से दूसरे गर्भधारण के लिए तैयार हो सके। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी सुधार जा सकता है। उन्होंने नव दम्पतियों को शादी के दो साल बाद ही बच्चे के बारे में सोचने के प्रति जागरूक करने की बात कही, क्योंकि पहले जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझें, परिवार को समझें और अपने को आर्थिक रूप से इस काबिल बना लें कि अच्छी तरह से बच्चे का लालन-पालन कर सकें, तभी बच्चा पैदा करने की योजना बनाएं। 

अस्थाई गर्भ निरोधक साधनों की बढ़ी मांग

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की परिवार नियोजन कार्यक्रम की महाप्रबंधक डॉ. अल्पना शर्मा ने प्रदेश में परिवार नियोजन को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रमों और आगे की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 के परिवार कल्याण कार्यक्रमों के परिणाम बहुत उत्साहजनक थे, किन्तु वर्ष 2020-21 सत्र की शुरुआत ही कोविड-19 महामारी से हुई, इस कारण से प्रगति धीमी रही। फिर भी गर्भनिरोधक गोली छाया, प्रसव के तुरंत बाद लगने वाली पीपीआईयूसीडी और कंडोम की डिमांड ज्यादा रही। इसमें फ्रंट लाइन वर्कर (आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम) की भूमिका सराहनीय रही। कोविड के चलते अस्पतालों में नसबंदी की सेवा नहीं दी जा सकती थी तो लोगों ने अस्थायी साधनों के प्रति दिलचस्पी दिखाई। प्रदेश में बड़ी संख्या में घर लौटे प्रवासी कामगारों को भी क्‍वारंटाइन सेंटर से जाते समय उनके मनमुताबिक गर्भ निरोधक साधन मुहैया कराये गए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आबादी के अनुपात में करीब 57 लाख दम्पतियों तक कोई न कोई गर्भ निरोधक साधनों को पहुंंचाना बहुत जरूरी है, तभी हम सकल प्रजनन दर को 2.7 से 2.1 पर ला पायेंगे।  

अन्तरा केयर लाइन की काउंसलर बनीं महिलाओं की सखी

अन्तरा केयर लाइन (टोल फ्री नंबर- 18001033044) के संचालन का दायित्व निभाने वाली एब्ट की एसोसिएट डॉ. रवि आनंद ने कहा कि तिमाही गर्भ निरोधक साधन अन्तरा इंजेक्शन अपनाने वाली महिलाओं की मदद के लिए तैनात काउंसलर जब फोन करती हैं तो लाभार्थी बेहिचक अपनी सारी समस्याओं पर बात करती हैं। इससे उनमें एक विश्वास जगा है। उन्होंने बताया कि पहला डोज लेने वाली महिलाओं में से करीब 60 फीसद दूसरा डोज लेती हैं और उनमें से करीब 70 फीसद तीसरा डोज भी लेना पसंद करती हैं। अंतरा केयर लाइन सातों दिन सुबह आठ बजे से रात नौ बजे तक चलती है।   

व्यवहार परिवर्तन जरूरी 

पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया की ओर से पूनम मुतरेजा ने महिला सशक्तिकरण पर प्रकाश डाला और परिवार नियोजन को लेकर लोगों के व्यवहार परिवर्तन की बात कही। उन्होंने कहा कि गर्भ निरोधक साधनों की मौजूदगी के बाद भी अनचाहे गर्भधारण की स्थिति ठीक नहीं है। देश में हर साल होने वाले करीब 16 मिलियन एबार्शन में से 75 फीसद महिलाओं को सुरक्षित एबार्शन की सुविधा नहीं मिल पाती, इस बड़े जोखिम से उनको उबारना जरूरी है। लोग अपनी सोच और व्यवहार में परिवर्तन लाकर लड़के-लड़कियों की शादी सही उम्र में ही करें, जल्दी बच्चा पैदा करने को लेकर दबाव न बनाएं। उन्होंने “मैं कुछ भी कर सकती हूँ” का वीडियो प्रदर्शित कर इस दिशा में इंटरटेनमेंट एजुकेशन की उपयोगिता के बारे में भी समझाया। संचालन कर रहीं सीफॉर की रंजना द्विवेदी ने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को जनमुद्दा बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कार्यशाला के सभी पैनलिस्टाेें का धन्यवाद ज्ञापित किया।  

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