नमाज अदा कर मांगी मुल्क से महामारी के खात्मे की दुआ

कोरोना के बीच घरों में पढ़ी गई नमाज इबादत में बीता 17वां रोजा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 08:45 PM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 08:45 PM (IST)
नमाज अदा कर मांगी मुल्क से महामारी के खात्मे की दुआ
नमाज अदा कर मांगी मुल्क से महामारी के खात्मे की दुआ

आगरा, जागरण संवाददाता। रमजान के तीसरे जुमा पर जामा मस्जिद सहित शहर की प्रमुख मस्जिदों में नमाज अदा कर मुल्क में अमन-चैन की दुआ मांगी गई। रोजेदारों ने मुल्क में फैले कोरोना को खत्म कर सभी को सेहतमंद अता फरमाने की दुआ की। मस्जिदों में इस दौरान शारीरिक दूरी और मास्क का प्रयोग रोजेदारों ने किया। कोरोना महामारी के बीच रमजान माह के तीसरे जुमे की नमाज घरों में पढ़ी गई।

रमजान के पवित्र माह के तीसरे जुमा की तैयारी सुबह से रोजेदारों ने कर ली थी। हालांकि कोविड संक्रमण के चलते मस्जिद में कम संख्या में रोजेदार नमाज अदा करने पहुंचे। तीसरे जुमा पर जामा मस्जिद में इस्लामिया लोकल एजेंसी के चेयरमैन हाजी असलम कुरैशी ने नमाज अदा कराने के साथ अल्लाह ताला से दुआ की कि कोरोना रूपी महामारी से मुल्क को मुक्त कर दें। अल्लाह सभी बीमारों को सेहत अता फरमाएं। उन्होंने आमजन से कोरोना संक्रमण के मद्देनजर मास्क का प्रयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि 17वां रोजा आखिरत की ़िफक्र है, अल्लाह का जिक्र है। इस बात को इस तरह समझना होगा कि किसी भी शख्स के सामने मोटे तौर पर दो ही तरह से फिक्र होती है, दुनियावी (सांसारिक) और दीनी (धार्मिक)। दुनियादारी के दलदल से निकलकर दीनदारी के जरिए रूहानियत की फिक्र ही दरअसल आखिरत की फिक्र है। आखिरत की फिक्र अस्ल में मगफिरत की फिक्र है, रोजा जिसका रूहानी रास्ता है। उन्होंने कहा कि 17वां रोजा चूंकि रमजान के मगफिरत के अशरे का हिस्सा है, इसलिए आखिरत की फिक्र के साथ-साथ मगफिरत की मं•िाल पर पहुंचने के लिए अल्लाह के जिक्र में रोजेदार को मशगूल रखने का सिलसिला भी है। वैसे भी रमजान रहमत का दरिया है, जिसमें से मगफिरत का मोती खोजने के लिए रोजा एक जरिया है। दूसरी ओर, माह-ए-रमजान में एक ओर जहां घरों में इबादत का दौर जारी है तो दूसरी ओर सभी पर अल्लाह की बरकत बरसे, इसकी दुआ भी रोजेदार कर रहे हैं।

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