Positive India: एसएसपी बोले मैं हूं ना और फिर Lockdown के बीच बाजी घर में बधाई

सात समंदर पार बैठे स्वजनों ने एसएसपी से मदद मांगी तो एससपी भी बोले चिंता न करो मैं हूं। खुद की गाड़ी से स्वजन प्रसूता को नर्सिंग होम ले गए। पुलिस फोन पर रास्ते की पहरेदार बनी।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 02 Apr 2020 05:10 PM (IST) Updated:Thu, 02 Apr 2020 05:10 PM (IST)
Positive India: एसएसपी बोले मैं हूं ना और फिर Lockdown के बीच बाजी घर में बधाई
Positive India: एसएसपी बोले मैं हूं ना और फिर Lockdown के बीच बाजी घर में बधाई

मथुरा, जेएनएन। ये वह खाकी है, जिसे लेकर आम लोगों की धारण अलग है। लेकिन कान्हा की नगरी में यही खाकी लाॅकडाउन में हमदर्द बन गई। सड़क पर सन्नाटा था और घर में प्रसूता दर्द से तड़प रही थी। अस्पताल के रास्ते बंद थे। सात समंदर पार बैठे स्वजनों ने एसएसपी से मदद मांगी, तो एससपी भी बोले, चिंता न करो मैं हूं। खुद की गाड़ी से स्वजन प्रसूता को नर्सिंग होम ले गए। पुलिस फोन पर रास्ते की पहरेदार बनी। तब तक चिंता करती रही, जब तक महिला के घर में बेटे के रूप में बधाई नहीं बज गई।

खाकी की मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती है ये घटना मंगलवार की है। शहर के विश्राम घाट पर रहने वाले नरेंद्र चतुर्वेदी के बेटे गजेंद्र दुबई के मीना बाजार में सीए हैं। उनके साथ ही छोटा भाई शुभम और उसकी पत्नी मोहिनी चतुर्वेदी रहती हैं। गर्भवती होने के कारण दो माह पहले ही मोहिनी मथुरा आई थीं। 31 मार्च को दिन में मोहिनी को प्रसव पीड़ा होने लगी। शहर में लाॅकडाउन है, सभी रास्ते बंद। स्वजन घबरा गए। अस्पताल कैसे लेकर जाएं इस चिंता में मोहिनी के ससुर नरेंद्र चतुर्वेदी परेशान हो गए। दुबई में बड़े बेटे गजेंद्र को फोन कर जानकारी दी। दुबई से ही गजेंद्र ने दोपहर में मथुरा के एसएसपी डाॅ. गौरव ग्रोवर को फोन किया। उन्हें परेशानी बताई। एसएसपी ने कहा परेशान होने की कोई जरूरत नहीं, मैं हूं, जिस समय पुलिस की सहायता की जरूरत हो, बता देना। एसएसपी ने अपने कार्यालय के कर्मचारियों को मोहिनी के ससुर नरेंद्र से लगातार संपर्क रखने को कहा। दिन में कई बार एसएसपी के आवास से पुलिसकर्मियों ने फोन कर स्थिति की जानकारी ली। शाम साढ़े छह बजे मोहिनी की प्रसव पीड़ा बढ़ी तो नरेंद्र चतुर्वेदी ने एसएसपी को फोन कर मदद मांगी। नरेंद्र अपनी गाड़ी में बहू को लेकर करीब दो किमी दूर स्थित निजी नर्सिंग होम ले गए। एसएसपी और कार्यालय के पुलिसकर्मी लगातार नरेंद्र के संपर्क में रहे। कहीं गाड़ी पुलिस न रोके, वायरलेस पर सूचना जारी की। नर्सिंग होम पहुंचने के बाद भी एसएसपी की फोन पर स्वजनों से बात होती रही। सवा सात बजे मोहिनी ने एक बेटे को जन्म दिया, नरेंद्र ने एसएसपी को फोन कर बधाई दी। बोले, घर से नर्सिंग होम तक आना पुलिस की मदद से संभव हुआ। दुबई में गजेंद्र ने खुश होकर प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में 31 हजार रुपये की मदद की। नरेंद्र कहते हैं कि आमतौर पर पुलिस ने अपनी छवि से अलग काम किया। एसएसपी ने कहा कि ये हमारा फर्ज था, समाज में जिसको भी जरूरत है, उसके परिवार के सदस्य के रूप में पुलिस काम कर रही है। 

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