Migrated Birds: साइबेरिया की पिपिट को भी अब रास आया जोधपुर झाल, पहुंची हजारों किमी दूर से

Migrated Birds आगरा-दिल्‍ली हाईवे पर जोधपुर झाल में विकसित वैटलैंड विदेशी पक्षियों को रास आ रहा है। सर्दियों की शुरुआत होने के साथ ही कई तरह के पक्षियों ने यहां डेरा डाल दिया है। भरतपुर के घना पक्षी विहार की तरह ही यहां पक्षियों को अनुकूल माहौल मिल रहा है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 03:51 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 03:51 PM (IST)
Migrated Birds: साइबेरिया की पिपिट को भी अब रास आया जोधपुर झाल, पहुंची हजारों किमी दूर से
साइबेरिया से जोधपुर झाल पहुंची पिपिट। उपलब्‍ध फोटो

आगरा, प्रतीक गुप्‍ता। कोरोना काल में भले ही इंसानों की यात्रा मुश्किल हो गई हो लेकिन दुनिया भर के परिंदोंं ने सुदूर देशों की यात्रा शुरू कर दी है। लाॅकडाउन से कम प्रदूषित मौसम की मेहरबानी और विदेशी मेहमानों के स्वागत में बांंहें फैलाए खड़े वेटलैंड, परिंदोंं के प्रकृति से मिलन के गवाह बन रहे हैं। गुलाबी सर्दी की दस्तक और सूरज की कम होती तपिश ने विदेशी परिंदोेेंं के ठहरने के लिए आगरा में अनुकूल माहौल बना दिया है। इस बार भरतपुर के घना पक्षी विहार की तरह ही आगरा के नजदीक जोधपुर झाल भी विदेशी मेहमानों की चहचहाहट से गुलजार है।

हल्की ठंड और कोहरे की धुंध से खुशनुमा हुई जोधपुर झाल की प्राकृतिक शरणस्थली साइबेरिया की पिपिट को रास आ रही है। साइबेरिया से हजारों किलोमीटर की यात्रा करके आई पिपिट की दो प्रजातियों ने जोधपुर झाल की गोद में सर्दियोंं के प्रवास के लिए आशियाना बना लिया है।

भारत में 11 प्रजातियां मिलती हैं पिपिट की

बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेेवलपमेंट सोसायटी के अध्यक्ष डॉ केपी सिंह ने बताया कि पिपिट पासिफ़ॉर्मस आर्डर की मोटासिलिड परिवार के जीनस ऐन्थस में वर्गीकृत है। पिपिट को फील्डलार्क अथवा टिटलार्क भी कहते हैं। पिपिट आकार में छोटे व पतले होते हैं। इनका आकार पांच से नौ इंच तक होता है। नुकीली चोंच, नुकीलेे पंख और लंबे पैरों के बड़े पंजे पिपिट की मुख्य पहचान हैं। यह खुले मैदानों में, कीटों को खाते हुए और जल्दी जल्दी चलते हुए दिखाई देते हैं। यह जमीन पर ही अंडे देती हैं और अंडों की संख्या छह तक होती है।

पिपिट सूखे रेगिस्तान, वर्षा वन और अंटार्कटिका को छोड़ पूरी दुनिया में पाई जाती हैं। पिपिट की पूरी दुनिया में लगभग 50 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से भारत में पिपिट की लगभग 11 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें कुछ प्रवासी प्रजातियां शामिल हैं। भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों के नाम अपलेन्ड पिपिट, रोजी पिपिट, रिचर्ड्स पिपिट, पेडीफील्ड पिपिट, ब्लिथ पिपिट, टैनी पिपिट, नीलगिरी पिपिट, लोंग बिल्ड पिपिट, ओलाइव पिपिट, ट्री पिपिट और बाटर पिपिट हैं।

दो प्रजातियां साइबेरिया से आईं

जोधपुर झाल की जैव विविधता का अध्ययन कर रहे बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसायटी के सदस्यों ने जोधपुर झाल पर पिपिट की चार प्रजातियों की पहचान की है। यहां पिपिट की सर्दियों के मौसम में प्रवास हेतु आने वाली अन्य प्रजातियां भी मौजूद हो सकती हैं इसलिए अभी निरीक्षण का कार्य चल रहा है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर अक्तूबर माह में साइबेरिया से प्रवासी टैनी पिपिट और ट्री पिपिट सर्दियों के मौसम में प्रवास हेतु पहुंंची हैं। जोधपुर झाल पर पेडीफील्ड पिपिट व लोंग बिल्ड पिपिट पहले से ही मौजूद हैं।

1. ट्री पिपिट :

इसका वैज्ञानिक नाम एंथस ट्रिवियलिस है। ट्री पिपिट एक छोटा पक्षी है, जो गौरैया की तरह है। यह यूरोप और साइबेरियन पर्वतीय क्षेत्र में प्रजनन करता है। यह सर्दियों में अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में लंबी दूरी तय करके प्रवास पर पहुंंचता है। यह मैदानी पिपेट से मिलता जुलता है। ऊपर से भूरे रंग और नीचे पेट व ब्रेस्ट पर सफेद रंग पर छोटे छोटे काले निशान होते हैं। यह बड़ी चोंच के कारण से थोड़ा छोटे मैदानी पिपिट से अलग दिखता है। अधिकतर पेड़ों में अपना बसेरा बनाते हैं। प्रजनन के लिए खुला वुडलैंड व झाडियों का चयन करते हैं। घोंसलों का निर्माण जमीन पर करते हैं। मादा 4-8 अंडे देती है। यह प्रजाति कीटभक्षी है, लेकिन भोजन में छोटे छोटे बीजों को भी खाते हैं।

2. टैनी पिपिट :

इसका वैज्ञानिक नाम एंथस कैंपिस्ट्रिस है। यह पिपिट आकार में अन्य पिपिट की तुलना में बडा पक्षी है। यह पिपिट उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, पुर्तगाल से मध्य साइबेरिया और मध्य मंगोलिया तक के अधिकांश मध्य पैलेक्टिक क्षेत्रों में प्रजनन करती है। यह सर्दियों में उष्णकटिबंधीय अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप में आने वाला प्रवासी पक्षी है। इसका आकार 6.3 इंच तक होता है। इसका ऊपरी शरीर रेतीले भूरे रंग का और नीचे हल्का पीला होता है। यह रिचर्ड पिपिट की तरह दिखता है लेकिन उससे थोड़ा छोटा, छोटे पंख व चोंच, पूंछ और पैर थोडे़ छोटे होते हैं। यह मधुर गीत गाता है। सर्दियों में दक्षिण एशिया में प्रवास के समय यह रिचर्ड, ब्लिथ व पैडीफील्ड पिपिट के साथ प्रवास करता है। टैनी पिपिट कीटभक्षी है। प्रजनन स्थलों में शुष्क- जलवायु व अर्ध-रेगिस्तानी इलाके भी शामिल हैं। घोंसला जमीन पर बनाते हैं। मादा 4-6 अंडे देती है।

3. पैडीफील्ड पिपिट

इसे ओरिएंटल पिपिट भी कहते हैं। इसका जीव वैज्ञानिक नाम एंथस रूफुलस है। यह दक्षिण पूर्व एशिया में फिलीपींस तक पाया जाता है। खुले चरागाह और कृषि भूमि में एक निवासी (गैर-प्रवासी) प्रजनक है। इसका ऊपरी भाग भूरा और नीचे ब्रेस्ट हल्की पीले रंग की होती है। इसकी पूंछ लंबी और चोंच लंबी व काली होती है। पैरों की लंबाई भी ज्यादा होती है। युवा पक्षी वयस्कों की तुलना में अधिक गहरे रंग के होते हैं।

4. लोंग बिल्ड पिपिट :

इसका वैज्ञानिक नाम एंथस सिमिलिस है। अरब प्रायद्वीप और दक्षिण एशिया की निवासी है। इनमें कम दूरी का माइग्रेशन पाया होता है। यह एक मध्यम-बड़े आकार का पिपिट है। इसका आकार 16-17 सेंटीमीटर लंबा होता है। ऊपरी भाग का रंग रेत जैसा भूरा व नीचे सफेद और हल्का पीलापन लिए होता है। यह टैवी पिपिट से थोड़ा बड़ा है। इसकी लंबी पूंछ और लंबी काली चोंच होती है। भोजन में यह बीज और कीड़े खाता है। प्रजनन स्थानों में चट्टानों, कम वनस्पति के साथ सूखी व खुली ढलान वाली भूमि का चयन करते हैं। यह भी घोंसला जमीन पर बनाते हैं। मादा 2-4 अंडे देती है। 

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