सती होने की जिद पर अड़ी लौंग श्री , प्रशासन के उड़े होश, जानिये क्या है पूरा मामला

बीमारी से पति की मृत्यु के बाद 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने लिया फैसला। पुलिस ने आकर कराया पति का अंतिम संस्कार।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 03:14 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 03:14 PM (IST)
सती होने की जिद पर अड़ी लौंग श्री , प्रशासन के उड़े होश, जानिये क्या है  पूरा मामला
सती होने की जिद पर अड़ी लौंग श्री , प्रशासन के उड़े होश, जानिये क्या है पूरा मामला

आगरा, जेएनएन: पति से किया वादा निभाना है। उम्र भर पति के चरणों की दासी बनकर रही हूं, अब उन्हीं के साथ दुनिया भी छोड़कर जाना है...उम्र 75 साल। नाम लौंग श्री। पति की मृत्यु के बाद आम महिलाओं की तरह शोक करने की जगह चुना ऐसा रास्ता की प्रशासन के भी होश उड़ गए।

मैनपुरी में शहर कोतवाली के गांव अगौथा निवासी गोरेलाल शाक्य उम्र 80 वर्ष कुछ दिनों से बीमार थे। रविवार रात उनकी मौत हो गई। सुबह परिजन अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे। तभी उनकी पत्नी 75 वर्षीय लौंगश्री नवविवाहिता की तरह सजकर और पूजा की थाली लेकर आ गईं। पति के साथ सती होने के लिए कहने लगी। परिजनों और ग्रामीणों ने महिला को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मानी। लौंगश्री का कहना था कि वह 30 साल से तप कर रही हैं। अब अपने पति के साथ ही जाएंगी। किसी भी रोकने से नहीं रुकेंगी। लौंग श्री ने अपने पति को सत्यवान और खुद को सावित्री बताया। इसके बाद वो सती होने की तैयारी करने लगी। तभी किसी ने पुलिस को सूचित कर दिया। जानकारी होने पर पुलिस- प्रशासन में खलबली मच गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच, प्रक्रिया रुकवाई। पुलिस ने अपने सामने गोरेलाल के शव का अंतिम संस्कार कराया। पुलिस अधिकारी का कहना था कि अत्याधिक धार्मिक प्रवृति की होने के कारण लौंग श्री ने यह फैसला लिया था। फिलहाल उन्हें समझा दिया गया है। परिजनों को भी उनका ध्यान रखने की हिदायत दे दी है।  

क्या है सती होना

कुछ पुरातन भारतीय हिंदु समुदायों में सती एक ऐसी प्रथा थी जिसमें किसी पुरुष की मृत्युोपरांत उसकी पत्नी उसके अंतिम संस्कार के दौरान उसकी चिता में स्वयमेव प्रविष्ट होकर आत्मत्याग कर लेती थी। 1829 में अंग्रेजों द्वारा भारत में इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया थ। भारतीय समाज में राजाराम मोहन राय जैसे तमाम समाज सुधारकों के अथक प्रयासों के बाद समाज को इस कलंक से मुक्ति मिल पाई थी। 

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