उपचुनाव से शुरु किया सफर तो धुरंधर भी न तोड़ सके थे विधायक का रिकॉर्ड

डॉ. रामबाबू हरित तीन बार और सत्य प्रकाश विकल तीन बार विधायक रहे थे लेकिन पांच बार लगातार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सिर्फ जगन प्रसाद के पास ही था।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 10 Apr 2019 06:22 PM (IST) Updated:Wed, 10 Apr 2019 09:49 PM (IST)
उपचुनाव से शुरु किया सफर तो धुरंधर भी न तोड़ सके थे विधायक का रिकॉर्ड
उपचुनाव से शुरु किया सफर तो धुरंधर भी न तोड़ सके थे विधायक का रिकॉर्ड

आगरा, जागरण संवाददाता। भाजपा विधायक जगन प्रसाद गर्ग के नाम लगातार पांच बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दर्ज था। हर चुनाव में भाजपा के कुछ लोग उनके खिलाफ झंडा उठाते थे। इसके बाद भी उन्हें ही टिकट मिलता और चुनाव भी जीत जाते। 1998 में वह पहली बार विधायक बने थे। फिर 2002, 2007, 2012 और 2014 में चुना गया। इस तरह लगातार पांच बार वे विधायक बने थे। उनसे पूर्व डॉ. रामबाबू हरित तीन बार और सत्य प्रकाश विकल तीन बार विधायक रहे थे लेकिन पांच बार लगातार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सिर्फ जगन प्रसाद के पास ही था।

ये था उनका रुटिन
विगत दो दशकों से जगन प्रसाद गर्ग की दिनचर्या निर्धारित थी। 1998 में पहली बार चुनाव जीतने के बाद से प्रात: आठ से दस बजे तक कार्यालय में समस्याएं सुनना। फिर क्षेत्र में दौरा। सरकारी कार्यालयों में जाकर जनता की समस्याएं निपटाना यह उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था। 

आगरा की उत्तरी विस सीट पर वैश्य बिरादरी का जलवा रहा कायम
उत्तरी विधान सभा सीट पर कई प्रत्याशियों ने ताल ठोकी लेकिन जीत का सेहरा वैश्य प्रत्याशियों के सिर ही बंधता रहा। आजादी के बाद हुए पहले विधान सभा चुनाव से लेकर अब तक इस सीट पर वैश्य समाज का ही दबदबा रहा। 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में उत्तरी विधान सभा सीट से बाबू लाल मीतल पहले विधायक बने। इसके साथ ही इस सीट पर वैश्य समाज का आधिपत्य हो गया। प्रत्याशी चाहे किसी भी जाति का हो, उसका प्रचार कितना ही प्रभावी हो लेकिन जीत वैश्य प्रत्याशियों की झोली में ही जाती रही। पूर्वी विधान सभा के नाम से जानी जाने वाली इस सीट पर वैश्य प्रत्याशियों के जीतने का सिलसिला लगातार जारी रहा। वैश्य बहुल सीट होने के कारण राजनैतिक दल भी प्रत्याशियों के चयन करने से पहले वैश्य समाज के प्रत्याशियों को प्रमुखता देने लगे। 1977 तक वैश्य समाज के कब्जे में रहने वाली उत्तर विधान सभा सीट पर पहली बार इस मिथक को तोड़ते हुए सुरेन्द्र कुमार कालरा ने कब्जा किया। हालांकि कालरा सिर्फ तीन साल ही इस सीट को अपने पास रख सके। 1980 के विधान सभा चुनाव में ओम प्रकाश जिंदल ने यह सीट अपने नाम कर ली। ओम प्रकाश जिंदल के बाद अब तक इस सीट पर सिर्फ वैश्य प्रत्याशी के सिर ही जीत का सेहरा सजा। ओम प्रकाश जिंदल के बाद सत्य प्रकाश विकल इस सीट पर 1985 से 1998 तक लगातार तीन बार विधायक बने। इसके बाद से यह सीट जगन प्रसाद गर्ग के कब्जे में रही।

कालरा ने तोड़ा था मिथक
1977 में हुए विधान सभा चुनाव में 1969 से लगातार दो बार कांग्रेस से विधायक डॉ प्रकाश नारायण गुप्ता और सुरेन्द्र कुमार कालरा (सिंधू) के बीच करीबी मुकाबला रहा था। कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़े सिंधू ने यह सीट महज 556 वोट से अपने नाम की। सिंधू के 25472 वोट के मुकाबले जेएनपी के डॉ प्रकाश नारायण गुप्ता को 24916 वोट मिले।

वर्ष विजेता जाति
1951 बाबू लाल मीतल वैश्य
1957 आदिराम सिंघल वैश्य
1962 बालोजी अग्रवाल वैश्य
1967-69 आर एस अग्रवाल वैश्य
1969-77 प्रकाश नारायण गुप्ता वैश्य
1980-85 ओम प्रकाश जिंदल वैश्य
1985-98 सत्य प्रकाश विकल वैश्य
1998-अब तक जगन प्रसाद गर्ग वैश्य


जब की थी अपने केंद्रीय मंत्री पर टिप्पणी
12 मार्च 2016 को आगरा शहर में एक्साइज डयूटी के विरोध में बंद चल रहे सर्राफा कारोबारियों के बीच पहुंचे भाजपा विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को बर्खास्त करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि हम मोदी जी से कहेंगे वित्त मंत्री को हटाओ और देश को बचाओ। इस दिन आगरा में एक्साइज डयूटी के विरोध में सर्राफा बाजार बंद रहा। एमजी रोड पर व्यापारियों ने प्रदर्शन किया। उस दिन दोपहर में दोपहर में केंद्रीय मंत्री डॉ. राम शंकर कठेरिया के आवास पर सर्राफा कारोबारी पहुंचे। यहां विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर ही टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा था कि भाजपा व्यापारियों की पार्टी है, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली व्यापारी नहीं हैं। वे क्या जाने व्यापरियों की क्या समस्याएं होती हैं। 

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