टीटीजेड में दूसरों को राहत लेकिन जूता उद्योग को लेकर संशय बरकरार, जानिए क्या है मामला

व्हाइट कैटेगरी में शामिल किया गया है फिनिश्ड लेदर गुड्स। फुटवियर को लेकर स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 17 Dec 2018 12:30 PM (IST) Updated:Mon, 17 Dec 2018 12:30 PM (IST)
टीटीजेड में दूसरों को राहत लेकिन जूता उद्योग को लेकर संशय बरकरार, जानिए क्या है मामला
टीटीजेड में दूसरों को राहत लेकिन जूता उद्योग को लेकर संशय बरकरार, जानिए क्या है मामला

आगरा, जागरण स्पेशल। आगरा के ताजमहल के अलावा जूते ने दुनियाभर में पहचान बनाई है। यूरोप समेत कई देशों में आगरा का बना जूता ही निर्यात हो रहा है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी आगरा के जूते की बड़ी भागीदारी है। लेकिन ताजमहल को प्रदूषण को बचाने की खातिर बनाए गए ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में जूता उद्योग भी बंदिशों का शिकार बना। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों के वर्गीकरण की नई सूची ने टीटीजेड क्षेत्र के उद्योगों में नई जान फूंक दी है। 156 उद्योगों के व्हाइट श्रेणी में शामिल होने से शहर के अधिकांश उद्योगों को लाभ मिला है, लेकिन जूता उद्योग को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस सूची में फिनिश्ड लेदर गुड्स को व्हाइट श्रेणी में रखा गया है लेकिन फिनिश्ड लेदर फुटवियर को उल्लिखित नहीं किया गया है।

जूता उद्योग से जुड़े लोगों को मानना है कि लेदर उद्योग को फुटवियर, गुड्स और गारमेंट की श्रेणी में बांटा गया था। फिनिश्ड लेदर फुटवियर उद्योग में जूते को शामिल किया गया था, जबकि फिनिश्ड लेदर गुड्स में पर्स, बेल्ट और अन्य एसेसरीज शामिल थीं। फिनिश्ड लेदर गारमेंट में जैकेट आदि को शामिल किया गया था। अब सिर्फ फिनिश्ड लेदर गुड्स को व्हाइट श्रेणी में रखा गया है। इसमें यह कहीं नहीं कहा गया कि गुड्स में जूता, जैकेट आदि शामिल हैं या नहीं। दूसरी तरफ फुटवियर उद्योग अभी भी ग्र्रीन कैटेगरी में शामिल है। जूता उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रदूषण विभाग को नई सूची में स्थिति साफ करनी चाहिए।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी प्रदूषित और गैर प्रदूषित उद्योगों की सूची तैयार की जा रही है। इस सूची के आधार पर ही टीटीजेड में प्रदूषणकारी उद्योगों की स्थित साफ हो सकेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर दो साल से लगी एडहॉक मोरीटोरियम की रोक को हटाया जाना है।

फिनिश्ड लैदर से बना कोई भी उत्पाद चाहे जूता हो या गारमेंट, उसे व्हाइट कैटेगरी में शामिल किया जाना चाहिए। नई सूची में विस्तार से वर्गीकरण किया जाना चाहिए था जिससे भविष्य में किसी प्रकार का संशय न रहे।

पूरन डावर, अध्यक्ष, एफमेक

अधिकांश उद्योगों को व्हाइट कैटेगरी में शामिल किया जा चुका है। कुछ कमियां हैं, उन्हें सोमवार को चीफ सेक्रेटरी के साथ होने वाली बैठक में उठाया जाएगा। जिससे स्थिति स्पष्ट हो सके।

इंजी. उमेश शर्मा, पर्यावरण समिति अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

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