Nirjala Ekadashi 2020: व्रत रखनेे से पहले जान लें इस दिन की पांच सावधानियां और चार महाउपाय

Nirjala Ekadashi 2020 जल के महत्‍व को समझाने के लिए मनीषियों ने किया निर्जला एकादशी पर व्रत का विधान। जल दान से मिलता है पुण्‍य।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 03:29 PM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 06:18 PM (IST)
Nirjala Ekadashi 2020: व्रत रखनेे से पहले जान लें इस दिन की पांच सावधानियां और चार महाउपाय
Nirjala Ekadashi 2020: व्रत रखनेे से पहले जान लें इस दिन की पांच सावधानियां और चार महाउपाय

आगरा, जागरण संवाददाता। निर्जला एकादशी का दिन धर्म की दृष्टि से यह व्रत आयु, आरोग्य और पापों का नाश करने वाला माना गया है। दो जून को बिना जल पिए निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। निर्जला एकादशी के व्रत पालन में व्यवस्थित दिनचर्या और आहार के साथ जल संयम का विधान है। इसके पीछे धर्म के साथ वैज्ञानिक महत्‍व भी है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार प्राचीन ऋषि- मुनियों द्वारा बनाया ज्येष्ठ मास में निर्जला एकादशी का व्रत विधान सनातन धर्म के मनुष्य और जगत कल्याण के दर्शन का प्रमाण है। इस व्रत में निर्जल या जल नहीं पीने के पीछे न केवल धार्मिक बल्कि व्यावहारिक और वैज्ञानिक लाभ भी छुपे हैं। इसके अलावा कुछ विशेष सावधानियां बरतते हुए चार उपाय करने से भगवान विष्‍णु की विशेष कृपा मिलती है। 

क्‍या है महत्‍व 

पंडित वैभव कहते हैं कि यह व्रत वास्तव में पानी की अहमियत को बताता है। जल पंच तत्वों में एक माना गया है। चूंकि अक्सर इंसान किसी विषय या वस्तु का महत्व उससे शरीर और मन में होने वाले अनुभव के आधार पर ही समझता है। यही कारण है कि इस व्रत का विधान जल का महत्व बताने के लिए ही धर्म के माध्यम से परंपराओं में शामिल किया गया। जब व्रती पूरे दिन जल ग्रहण नहीं करता है, तब जल की प्यास से खुद-ब-खुद उसे जल का महत्व महसूस हो जाता है। किंतु धर्म भाव के कारण वह दृढ़ता से व्रत संकल्प पूरा करता है। यह समय एक कठिन तप के समान होता है। वह भी गर्मी के ऐसे मौसम में जबकि पानी का अभाव होता है और जल के साथ ठंडक की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है। यह बातें भारतीय मनीषियों की दूरदर्शिता को उजागर करती है। 

निरोग रखता है निर्जल व्रत

स्वस्थ्य रहने के लिए नियमित और संतुलित भोजन, सधी हुई दिनचर्या व जीवनशैली जरूरी है। साथ ही एकाग्रता के लिए मेडिटेशन करने पर भी जोर दिया जाता है। भगवान विष्णु के स्मरण, मंत्र जप और ध्यान से मेडिटेशन की तरह ही एकाग्रता और ऊर्जा मिलती है। आहार और जल का संयम हमारी पाचन क्रिया को बल प्रदान करता है। इस प्रकार अगर कोई इस व्रत को चाहे धार्मिक दृष्टि से न भी कर पाए, तो निरोग रहने के लिए भी इस व्रत का पालन बहुत फायदेमंद साबित होगा।

बरतें ये सावधानियां

- निर्जला एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठेंं। 

- घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं। 

- एकादशी की पूजा पाठ में साफ- सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें।

- निर्जला एकादशी के व्रत विधान में परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें।

-  सभी प्रकार की पूजा पाठ की सामग्री शुद्ध और साफ ही प्रयोग में लाएं।

करें ये महाउपाय

- निर्जल व्रत रखें और जलदान करें।

- निर्जला एकादशी का व्रत विधान करने और जरूरतमंद लोगों को फल अन्न आसन जूते छतरी और शरबत आदि का दान करने से मन की इच्छा पूरी होने के साथ साथ सभी पापों का नाश भी होता है।

- एक चकोर भोजपत्र पर केसर में गुलाबजल मिलाकर ओम नमो नारायणाय मन्त्र तीन बार लिखें।

- अब एक आसन पर बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें पाठ के बाद यह भोजपत्र अपने पर्स या पॉकेट में रखे।

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