देवकीनंदन ठाकुर: 'जल्द करूंगा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति को आंदोलन, आगरा में मस्जिद के नीचे रखी हैं मूर्तियां'

कथाव्यास देवकीनंदन ठाकुर ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से मनुष्य संस्कारवान बनता है और मनोरथ सिद्ध होती है। बताया कि तुलसी पूजन से घर में लक्ष्मीजी का निवास होता है। देवकी नंदन ठाकुर ने बातचीत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन की बात की।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 15 Apr 2023 08:07 AM (IST) Updated:Sat, 15 Apr 2023 08:07 AM (IST)
देवकीनंदन ठाकुर: 'जल्द करूंगा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति को आंदोलन, आगरा में मस्जिद के नीचे रखी हैं मूर्तियां'
Devkinandan Thakur बोले- जल्द ही करूंगा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति को आंदोलन।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में कुबेरपुर के ग्राम बिहारीपुर स्थित गर्ग वेयर हाउस में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा शुक्रवार से प्रारंभ हो गई। इसमें व्यासपीठ से कथाव्यास देवकीनंदन ठाकुर श्रीकृष्ण की मनोहारी कथा का श्रवण करा रहे हैं। शुक्रवार को आगरा आने पर हमने उनसे श्रीकृष्ण जन्मभूमि, भारतीय संस्कृति, सभ्यता और ओटीटी चैनल के बढ़ते प्रभाव आदि विभिन्न बिंदुओं पर वार्ता की।

प्रश्न: श्रीराम जन्मभूमि मुक्त हो चुकी है, श्रीकृष्ण जन्मभूमि का क्या होगा?

उत्तर: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्त कराने को मैं जल्द ही एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाऊंगा, जिसमें युवाओं की भूमिका अहम होगी। इसमें संस्कृति, धर्म और ईश्वर के लिए सनातनी आवाज बुलंद की जाएगी। आंदोलन ब्रज भूमि से प्रारंभ होकर आगरा, कानपुर, प्रयागराज होते हुए पूरे देश में पहुंचेगा। आंदोलन संविधान के दायरे और मर्यादा के दायरे में रहकर होगा। हम सच्चे समझाएंगे कि सनातनी वो हैं, जो आजादी के 75 वर्ष बाद भी संविधान और कानून में विश्वास रखकर ईष्ट प्राप्ति का प्रयास कर रहे हैं। हमारे श्रीकृष्ण का मंदिर तोड़कर उनकी मूर्तियां आगरा की मस्जिदों की सीढ़ियों में चिनवा दीं, फिर भी हम मौन हैं। हम कोर्ट व नेताओं से अपील करेंगे कि उन सीढ़ियों को खुदवाकर मूर्तियां निकलवाएंगे। मस्जिद को हम नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

प्रश्न: युवाओं के लिए क्या संदेश है?

उत्तर: युवाओं से आह्वान है कि अपने और अपनी आवश्यकताओं के लिए जीना आसान है, लेकिन जो अपनी संस्कृति, धर्म और ईश्वर के लिए जीते हैं, उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। कितना जिया अहम नहीं, कौन कैसे जिया? अहम है।

प्रश्न: सनातन धर्म में अहिंसा को प्रमुखता देना सही है?

उत्तर: अन्याय सहना सनातन धर्म नहीं, हिंदुत्व के बिना राष्ट्र रक्षा संभव नहीं। हम मारने-काटने की बात नहीं करते, सर्वे भवतुं सुखिना में विश्वास करते हैं। सियाराम मैं सब जग जानी को मानने वाले हैं। लेकिन कोई हमें काट डाले, मार डाले, हमारी बहनों की अस्मिता पर हाथ डाले, उसके बाद भी चुप रहना, सनातन धर्म नहीं, कमजोरी है। हिंदुओं का अस्तित्व तभी बचेगा, जब वह स्वयं आगे आएंगे, उन्हें मिटाने वाले बहुत हैं, बचाने वाला कोई नहीं, जबकि हिंदुओं ने सभी को बचाया, चाहे कोरोना हो या तुर्किए। हमारे ऋषियों ने कई सूत्र, नमस्ते और वसुधैव कुटुंबकम दिया। हम बचेंगे, तो सनातन धर्म बचेगा, मानवता बचेगी, वर्ना दुनिया भी नहीं बचेगी।

प्रश्न: ओटीटी चैनल और वेबसीरीज समाज को कहां ले जा रही हैं?

उत्तर: आज के ओटीटी चैनल अश्लीलता परोस रहे हैं। मैं पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी सरकार से अपील करता हूं कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति बचानी है, तो आपत्तिजनक प्रसारण करने वाले ओटीटी चैनल बंद कर दें। वह पवित्र रिश्तों को अतरंगी बनाकर तार-तार कर रहे हैं। यह प्रपंच रचा जा रहा है। उन्होंने पहले हमें सस्ते स्मार्ट फोन थमाएं, अब अश्लील वेब सीरीज का शौक लगा रहे हैं, रिश्तों को गलत रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

प्रश्न: वर्तमान शिक्षा पद्धति पर क्या राय है?

उत्तर: मैं वर्तमान शिक्षा पद्धति कतई संतुष्ट नहीं क्योंकि इसमें बच्चों को संस्कार नहीं मिल रहे। बच्चे स्कूल पढ़ाने जाते हैं, लेकिन वहां उनसे फूहड़ नृत्य कराया जाता है। बेटियों को भेडिए गंदी मंशा से घूरते हैं। शिक्षा का अर्थ है संस्कार, जो देने चाहिए। 

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