Holi 2020: धधकते अंगारों की चादर ओढ़ेगा आज ये नौजवान, जानिए क्‍या है ये सदियाेें पुरानी परंपरा

आज रात दहकती होलिका से गुजरेगा फालैन का मोनू पंडा। सैकड़ों साल से चली आ रही अनूठी पंरपरा। तीस फुट व्यास की सजाई जा रही होलिका।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 08:44 AM (IST) Updated:Mon, 09 Mar 2020 08:44 AM (IST)
Holi 2020: धधकते अंगारों की चादर ओढ़ेगा आज ये नौजवान, जानिए क्‍या है ये सदियाेें पुरानी परंपरा
Holi 2020: धधकते अंगारों की चादर ओढ़ेगा आज ये नौजवान, जानिए क्‍या है ये सदियाेें पुरानी परंपरा

मथुरा, जेएनएन। प्रहलाद नगरी की फालैन में सोमवार को पंडा मेले का आगाज होगा। लगातार दो दिन चलने वाले इस मेले में सोमवार दोपहर से रंग बरसना शुरू हो जाएगा। पूरे दिन होली के धमाल के बाद मंगलवार की तड़के दहकती होलिका में मोनू पंडा अग्नि परीक्षा देंगे। आस्थावानों का आगमन शुरू हो गया है। मेले को भव्य बनाने और सुरक्षित बनाने को ग्रामीणों व प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है। सोमवार सुबह से ही भक्त प्रहलाद के जयघोष के साथ होली का रंग वातावरण को सराबोर कर देगा। शहर से करीब पांच किलो मीटर दूर कोसी- शेरगढ़ रोड पर स्थित गांव फालैन में पंडा के अंगारों से निकलने का कारनामा आज सोमवार को साकार होगा।

मोनू पंडा पहली बार इस भूमिका को निभाएंगे। इसके लिए गांव में प्रहलाद कुंड के किनारे 30 फुट के व्यास में होलिका सजाई जाएगी। जिसकी ऊंचाई 15 फुट होगी। जलती होलिका से निकलने के लिए नौ फरवरी से एक माह के कड़े तप पर बैठकर प्रहलादजी के नाम की माला जप रहे हैं। सोमवार सुबह आसपास के सात गांवों के ग्रामीण होलिका पूजन करेंगे। सुबह से ही गांव में हुरियारों का आगमन शुरू हो जाएगा। जो दिन भर गुलाल की बरसात के मध्य ढोल- नगाड़ों के साथ समाज गायन करेंगे। दोपहर दो बजे से होलिका की परिक्रमा एवं गुलाल से होली खेलकर ग्रामीण पंडा मेला का शुभारंभ करेंगे। मेला आचार्य पंडित भगवान सहाय ने बताया कि मंगलवार तड़के चार बजे से मोनू पंडा दीपक की लौ पर हाथ रखकर होलिका की प्रवेश की अनुमति लेंगे। जब उन्हें दीपक की लौ ठंडी महसूस होगी, तब वे होलिका में अग्नि प्रवेश का इशारा कर प्रहलाद कुंड में स्नान के लिए जाएंगे। जहां से वे सीधे धधकती होलिका में प्रवेश कर भक्ति में शक्ति की परंपरा को साकार करेंगे।

तीन सेक्टरों में होगी फालैन की सुरक्षा

फालैन गांव में पंडा मेला को लेकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। गांव को तीन सेक्टरों में बांटकर अलग- अलग सुरक्षा कवच दिया है। सीओ जगदीश कालीरमन ने बताया कि मेले में 150 पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी। जिसमें 40 हेड कांस्टेबल, 70 कांस्टेबल तैनात होंगे। वहीं बीस महिला कांस्टेबलों को लगाया गया है। इसके अलावा आठ इंस्पेक्टर, 35 सबइंस्पेक्टर लगाए गए हैं। जबकि एक प्लाटून पीएसी भी तैनात की गई है।

प्रहलाद कुंड में किसी भी हादसे निपटने के लिए एक फ्लड कंपनी व फायर टेंडर को लगाया गया है।

एक माह से हैं मोनू पंडा घर से दूर

फालैन में धधकते अंगारों से गुजरने के लिए मोनू पंडा एक माह के कठिन तप पर बैठे थे। मोनू पंडा ने जागरण को बताया कि होलिका दहन से ठीक एक माह पूर्व ही उन्‍होंने अपना घर त्याग दिया था। पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया। गांव में बने प्रह्लाद कुंड तट पर बने प्रह्लाद मंदिर में ही मोनू रहे। एक माह तक मोनू घर की दहलीज नहीं चढ़े और पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन किया। मंदिरों में पूजन करने वाले मोनू एक माह तक मंदिर में जमीन पर ही सोए। केवल फलाहार का सेवन किया। चप्पल भी नहीं पहनी। एक माह तक गांव की सीमा से बाहर नहीं गए। रोज सुबह चार बजे उठकर कुंड में स्नान करने के साथ ही चार बजे से सात बजे तक पूजन किया। इसके बाद शाम को साढ़े तीन बजे से सात बजे तक पूजन किया। रात आठ बजे से 11 बजे तक विशेष जाप प्रतिदिन किया।

परंपरा है वर्षों पुरानी

ग्रामीणों के अनुसार वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। ऐसा नहीं है कि इस परंपरा का निर्वाहन कोई एक ही व्यक्ति ही करता हो। जब कोई पंडा जलती होली में से निकलने में असमर्थता व्यक्त करता है तो वह अपनी पूजा करने वाली माला, जिले भक्त प्रहलाद की माला कहते हैं उसे मंदिर में रख देता है। इसके बाद गांव का जो व्यक्ति उसे उठा लेता है वह जलती होली में से निकलता है। विशाल जलती होली से जिस समय पंडा निकलता है उस समय उस होली के आसपास खड़े रहना भी संभव नहीं होता है लेकिन पंडा धधकते अग्नि के बीच से बेदाग निकल जाता है। 

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