ब्रह्मा जी की नगरी में संतो ने रचा इतिहास, जानिये एक साध्वी को क्या मिली है जिम्मेदारी

ब्रज में पहली बार किसी साध्वी को बनाया गया है महंत। मथुरा के चौमुहां में श्रीराधामोहन जी मंदिर की गद्दी सौंपी।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 04:00 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 04:00 PM (IST)
ब्रह्मा जी की नगरी में संतो ने रचा इतिहास, जानिये एक साध्वी को क्या मिली है जिम्मेदारी
ब्रह्मा जी की नगरी में संतो ने रचा इतिहास, जानिये एक साध्वी को क्या मिली है जिम्मेदारी

आगरा, एनआर राजपूत। तीनों लोकों से न्यारी ब्रजभूमि में पहली बार साध्वी को महंत बनाकर इतिहास रचा गया। यूं तो ब्रजभूमि मथुरा में तीन हजार से अधिक प्रसिद्ध मठ और मंदिर हैं। इन सभी में पुरुष ही महंत हैं। मगर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी की नगरी चौमुंहा में पहली बार श्री राधामोहन जी मंदिर में साध्वी हरिप्रियादास को महंत बनाया गया है।

 साधु- संतों ने इस निर्णय से समाज को समानता के अधिकार का आइना दिखाया है। इससे नारी सशक्तीकरण और समानता के अधिकार को बल मिला। साथ ही लोगों को सीख मिली की वे भी नारी को समानता का अधिकार देना सीखें। बता दें कि कस्बा के तकिया मुहल्ला में स्थित   श्रीराधामोहन जी मंदिर सैकड़ों साल पुराना है।

बेशकीमती संपत्ति है मंदिर के नाम

ठाकुर जी के नाम पर 12 बीघा हाईवे से सटी बेशकीमती जमीन है। साथ ही हाईवे पर एक गोशाला भी है। इसमें 120 गोवंश हैं। मंदिर प्रांगण में श्री राधामोहन जी सरस्वती विद्या मंदिर के नाम से कक्षा आठ तक स्कूल संचालित है। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे अध्ययनरत हैं।

बाबा बल्लभदास ने सौंपी विरासत

मंदिर में जगन्नाथ बाबा, त्यागी बाबा, राधारमन बाबा, रघुबीर दास के बाद बल्लभदास महंत बने। आठ जनवरी को शाकुंभरी सिद्धपीठ गद्दी सहारनपुर की साध्वी हरिप्रियादास को बाबा बल्लभदास ने महंती चादर ओढ़ाई। 11 जनवरी को बाबा बल्लभदास ने उनके नाम मंदिर की जमीन की वसीयत भी कर दी। कस्बावासियों ने विरोध शुरू कर दिया। कई बार पंचायत हुई। फिलहाल मंदिर की महंत साध्वी हरिप्रिया दास ही हैं।

जैविक खेती से बढ़ाई जाएगी मंदिर की आमदनी

साध्वी हरिप्रिया दास ने कहा कि वो चाहती हैं कि मंदिर, गोशाला और स्कूल का पर्याप्त विकास हो यहां के साधु-संत प्रसन्न रहें। कस्बावासी चाहेंगे तो वे गोशाला, स्कूल और मंदिर को नई पहचान दिलाएंगी। मंदिर की जमीन पर जैविक खेती, नीबू, पपीता के बाग लगाए जाएंगे। इससे मंदिर की आमदनी बढ़ेगी। वहीं गोशाला में गोमूत्र से निर्मित दवाइयों का निर्माण कराया जाएगा।

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