Pulwama Terror Attack: हरिपदी गंगा में विसर्जित हुईं शहीद भागीरथ की अस्थियां
सोरों वासी पहुंचे घाट पर लहराया तिरंगा गूंजे जयकारे। छोटे भाई ने विसर्जित कीं अस्थियां गमगीन हुई आंखें।
आगरा, जेएनएन। कासगंज के सोरों की हरिपदी गंगा घाट पर शुक्रवार को फिर भारत मां के जयकारे गूंजे। शहीद को श्रद्धांजलि देने वालों की आंखे नम थी तो शहीद के परिजनों के लिए सम्मान भी। राजस्थान से सिर्फ चचेरे भाई और शहीद के भाई के साथ यहां पर दर्जनों की भीड़ उमड़ पड़ी। वराह घाट पर विधि विधान के साथ अस्थियां विसर्जित की गई। इस दौरान यहां पर जयकारे गूंजते रहे।
राजस्थान के जिला धौलपुर के गांव जैतपुर निवासी 27 वर्षीय भागीरथ पुत्र परशुराम सीआरपीएफ में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। 12 फरवरी को एक माह की छुट्टी के बाद वापस ड्यूटी पर गए थे, लेकिन 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का शिकार बन गए। शुक्रवार को छोटे भाई बलवीर भागीरथ की अस्थियों को लेकर सोरों आए। उनके साथ सिर्फ चचेरे भाई योगेंद्र सिंह थे, लेकिन शहीद की अस्थियों के हरिपदी गंगा घाट पर पहुंचने की खबर पर सोरों के कई लोग यहां पर पहुंच गए। हाथ में तिरंगा एवं शहीद के फोटो के साथ में वह परिजनों के साथ चल पड़े। घाट पर अस्थियों के पूजन के बाद में इनका विसर्जन किया। इस दौरान जयकारों से वराह घाट गूंज उठा। शहीद के छोटे भाई बलवीर यूपी पुलिस की तैयारी कर रहे हैं।
तीन वर्ष का बेटा, डेढ़ वर्ष की बेटी
शहीद भागीरथ के दो बच्चे हैं। बड़ा बेटा विनय तीन वर्ष का है तो बेटी शिवांगी मात्र डेढ़ वर्ष की। परिजन अस्थियों के साथ में नहीं आए थे, लेकिन शहीद के मासूम बच्चों के संबंध में सुनकर हर आंख गमगीन नजर आई।
यह लोग पहुंचे श्रद्धाजंलि देने
अस्थियां विसर्जन के दौरान सोरों से नीरज तिवारी, सतीश भारद्वाज, राधाकृष्ण भारद्वाज, सुशील भारद्वाज, कृष्णकांत महेरे, अभिषेक त्रिगुणायत, निशांत कोठेवाल, सौरभ दीक्षित, अंकित पचौरी, मोहित चौबे, सचिन निर्भय, पुष्कर मिश्रा, सोहन पंडा, कौशल तिवारी, सोनू बेंदेल, पंकज शास्त्री, दुर्गेश तिवारी, विशाल, दद्दा दुबे आदि श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
पूरे परिवार की रगों में दौड़ता है देशभक्ति का लहू
भागीरथ के पूरे परिवार में देशभक्ति लहू बनकर रगों में दौड़ता है। भागीरथ जहां सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में छह साल से नौकरी कर रहे थे, वहीं उनका छोटा भाई बलवीर यूपी पुलिस में तैनात है। वह भी अपने बड़े भाई की तरह सीमा पर जाकर देश की सेवा करना चाहता था। वह सेना में भर्ती होना चाहता था, लेकिन ऐसा न हो सका। इसके बाद उसने वर्दी पहनने के लिए पुलिस की नौकरी कर ली।
चार साल पहले हुई थी शादी
भागीरथ सिंह की चार साल पहले उत्तर प्रदेश के पिनाहट ब्लॉक के गांव मल्लापुरा में शादी हुई थी। उनकी पत्नी का नाम रंजना देवी है। भागीरथ सिंह के दो बच्चे हैं। उनका तीन साल का एक बेटा विनय है और डेढ़ साल की एक बेटी शिवांगी है। उनकी शहादत के बाद से पूरा परिवार गहरे सदमे में है।
एक महीने की छुट्टी बिता तीन दिन पहले गए थे
शहीद भागीरत सिंह 17 जनवरी से छुट्टी पर थे। 10 फरवरी को छुट्टी पूरी कर वह घर से निकले थे और 11 फरवरी को उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन की थी। घर जाने से पहले उन्होंने पत्नी और बुजुर्ग पिता से वादा किया था कि वह जल्दी ही वापस लौटेंगे। भागीरथ जब चार वर्ष के थे, तभी उनके सिर से मां का साया उठ गया था।