विवेचक का कारनाम, मां को बना दिया बेटी से सामूहिक दुष्‍कर्म का गुनहगार, पढ़ें क्‍या है पूरा मामला Agra News

मां समेत नौ के खिलाफ हुआ था मुकदमा। विवेचना के दौरान दो और नाम आए सामने। दस आरोपितों के नाम निकाले पीड़िता की मां को जेल भेजा।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 12:18 PM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 12:18 PM (IST)
विवेचक का कारनाम, मां को बना दिया बेटी से सामूहिक दुष्‍कर्म का गुनहगार, पढ़ें क्‍या है पूरा मामला Agra News
विवेचक का कारनाम, मां को बना दिया बेटी से सामूहिक दुष्‍कर्म का गुनहगार, पढ़ें क्‍या है पूरा मामला Agra News

आगरा, यशपाल चौहान। क्या कोई मां अपनी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर सकती है? इस सवाल का जवाब न ही होगा, क्योंकि न तो प्राकृतिक तौर पर इसकी कल्पना की जा सकती है, न ही भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) में ऐसी कोई परिभाषा है और न नजीर। लेकिन, सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में विवेचक ने यह कारनामा कर दिखाया है। मुकदमे में नामजद पीड़िता की मां को जेल भेज दिया गया और सिर्फ उसी के खिलाफ चार्जशीट लगा दी। दिलचस्प है कि अन्य 11 आरोपितों में से दस को क्लीनचिट दे दी गई। अब प्रश्न यह है कि यदि मां ने अपराध सामूहिक दुष्कर्म के लिए उकसाने का भी किया तो किसे? अब विवेचक की इस कारस्तानी से अधिकारी पसोपेश में हैं।

खंदौली थाने में 31 जनवरी को एक किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ। पीड़िता की मां व एक अन्य महिला समेत नौ लोग नामजद हुए थे। घटनास्थल टेढ़ी बगिया स्थित एक होटल बताया गया। तत्कालीन एसओ खंदौली प्रशांत त्यागी ने इसकी विवेचना की। विवेचना के दौरान दो और आरोपितों के नाम प्रकाश में आए। कुछ दिन बाद दस आरोपितों को शपथ पत्र के आधार पर क्लीनचिट दे दी। छह मार्च को मुकदमे में नामजद पीड़िता की मां को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 24 अप्रैल को सिर्फ पीड़िता की मां के खिलाफ ही सामूहिक दुष्कर्म, मारपीट, पॉक्सो एक्ट और उकसाने की धारा में चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। अधिकारियों ने भी इसको आंख बंद कर आगे बढ़ा दिया। अब जब विवेचक की इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं तो अफसर बगलें झांक रहे हैं।

विवेचक की मनमानी पर अफसरों की आंखें बंद

अकेले महिला को सामूहिक दुष्कर्म में आरोपित कर चार्ज शीट देने के मामले में कई स्तर पर लापरवाही बरती गई। सामूहिक दुष्कर्म का मामला एसआर (स्पेशल रिपोर्ट) केस की श्रेणी में आता है। 24 घंटे में एसआर फाइल खोलकर इसकी रिपोर्ट सीओ, एडीशनल एसपी, एसएसपी से लेकर आइजी तक भेजनी होती है। इसके बाद प्रत्येक 14 दिन बाद क्रमागत आख्या भी इन्हीं अधिकारियों तक जाती है। इस केस में भी ऐसा हुआ होगा। मगर, सवाल यह है कि ये सभी कैसा पर्यवेक्षण कर रहे थे?

यह हुए मुकदमे में नामजद

पीड़िता की मां, अलीगढ़ का पवन, उसका भाई नानक, फरीदाबाद के मुकेश, सुमित, लल्ला, सुरेश, मकान मालिक महिला, सुनील और पीड़िता की नानी।

इनके नाम विवेचना में बढ़े

 रमेश बाबू, राजेश ।

जेल में है पीड़िता की मां

पुलिस द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में जेल भेजी गई पीड़िता की मां अभी जेल में हैं। उसकी जमानत के लिए अभी तक किसी ने प्रार्थना पत्र भी नहीं दिया है।

इनका क्‍या है कहना

मामला संज्ञान में आया है। विवेचना की समीक्षा कराई जा रही है। ऐसी गलती करने वाले विवेचक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बबलू कुमार, एसएसपी

यह विवेचक की घोर लापरवाही है। अकेली महिला किसी महिला से दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म नहीं कर सकती। ऐसा विवेचक पुलिस मैन्युअल के हिसाब से कठोर कार्रवाई का हकदार है। अधिकारियों को इसकी समीक्षा करके कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे भविष्य में कोई ऐसी अंधेरगिर्दी न करे।

डॉ. हरिदत्त शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

 

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