Independence Day 2022: तिनका भी नहीं बचा था विभाजन में साथ, आज आगरा से करते तिल का निर्यात

Independence Day 2022 जीवत राम करीरा ने बताया विभाजन का दर्द साझा करते हुए पिता की आंखें हो जाती थी नम। विभाजन के बाद परिवर संपन्नता छोड़ पाकिस्तान से चला तो ग्वालियर में ठिकाना बनाया। जिसके बाद परिवार आगरा आ गया।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 14 Aug 2022 03:36 PM (IST) Updated:Sun, 14 Aug 2022 03:36 PM (IST)
Independence Day 2022: तिनका भी नहीं बचा था विभाजन में साथ, आज आगरा से करते तिल का निर्यात
Independence Day 2022: तिल निर्यातक जीवत राम करीरा।

आगरा, अम्बुज उपाध्याय। सिंधी सेंट्रल पंचायत के संरक्षक एवं तिल निर्यातक करने वाले जीवत राम करीरा की यादें दर्द भरी हैं। पिता, दादा की जुबानी विभाजन के दर्द को सुना तो बाल्यकाल में उसे झेला भी है। शाहगंज क्षेत्र में पांच वर्ष की आयु में पिता के साथ तिल धुलकर सुखाते थे। धीरे-धीरे काम बढ़ा और संयुक्त परिवार ने तरक्की करनी शुरू की। आर्थिक मजबूरी ने करीरा के हाथों से किताबें छीन ली और वे 10वीं तक ही पढ़ाई कर सके, इसके बाद वे ऐसे जुटे कि पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे जर्मनी, ग्रीस सहित अन्य देशों में तिल का निर्यात करते हैं, तो स्थानीय बाजार में मजबूत पकड़ बना रखी है।

तिल निर्यातक जीवत राम करीरा बताते हैं कि विभाजन के बाद परिवर संपन्नता छोड़ पाकिस्तान से चला तो ग्वालियर में ठिकाना बनाया। मां सातुल देवी के गहने बेच हौजरी का काम पिता और दादा ने शुरू किया। व्यापार नहीं चल सका, जिसके बाद ग्वालियर छोड़ 1947 में ही आगरा आ गए। बिजली घर के पास शिविर में रहे। पिता ने तिल लेकर धोकर बेचने का काम शुरू किया तो वे स्वयं भी उसमें हाथ बंटाने लगी। पहले तिल धोना खेल लगता था, लेकिन धीरे-धीरे उम्र बढ़ी तो पता चला हम व्यापार कर रहे हैं। वर्ष 1959 में पिता का देहांत हुआ तो स्कूल छोड़ पूरी तरह से काम में जुट गए। तीन अन्य भाइयों का भी योगदान रहा, लेकिन धीरे-धीरे सभी काल के गाल में समा गए। तिल के कारोबार ने रफ्तार पकड़ी तो परिवार भी बढ़ने लगा, इसी बीच जीवित राम के भाइयों के परिवार में वर्ष 1995 में जिम्मेदारी बंट गई। उन्होंने बोदला-बिचपुरी रोड स्थित फैक्ट्री से स्थानीय बाजार के साथ विदेशों तक धाक जमाई। दो बेटी और दो बेटों में से बड़ी बेटी की शादी दिल्ली हो गई तो छोटी बेटी उनके साथ ही रहती है। बेटा विपिन कारोबार संभालते हैं तो बड़े बेटे दिलीप का वर्ष 2016 में डेंगू के कारण निधन हो गया। दो महीने पहले उनकी पत्नी विमी का भी देहांत हो गया। जीवत राम बताते हैं कि कोविड के बाद से निर्यात तो प्रभावित है और स्थानीय तिल का काम सीजन में मजबूत रहता है। 

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